Baccho ki kahani
- 1. बूढ़ी मछुआरी और सुनहरी मछली की कहानी
- 2. सिंह और खरगोश की कहानी
- 3. चाँद और सूरज की दोस्ती की कहानी
- 4. उड़ने वाला हाथी की कहानी
- 5. सूर्य की खोज की कहानी
- 6. माशा के जंगल स्कूल की कहानी
- 7. माशा और भालू की बर्फीली गुफा की खोज की कहानी
- 8. माशा की जादुई मिठाइयों की कहानी
- 9. माशा और भालू के कद्दू के महल की कहानी
- 10. माशा के बैंड की कहानी
हम लेके आये है कुछ मजेदार Baccho ki kahani जो आपको बहुत पसंद आने वाली हैं !!!
1. बूढ़ी मछुआरी और सुनहरी मछली की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गहरे समुद्र के किनारे एक बूढ़ा मछुआरा अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से झोपड़े में रहता था। मछुआरा रोज अपनी पुरानी, टूटी-फूटी नाव लेकर मछलियाँ पकड़ने जाता था, जबकि उसकी पत्नी, मछुआरन, दिन भर घर के छोटे-मोटे काम करती थी। उनका जीवन बहुत कठिन था, वे इतने गरीब थे कि कई बार उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं होता था।
मछुआरा सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करता, लेकिन किस्मत हमेशा उसका साथ नहीं देती। एक दिन, जब वह समुद्र में जाल डाल रहा था, अचानक जाल कुछ भारी लगने लगा। मछुआरा थोड़ा घबराया, लेकिन उसने जाल को खींचा। उसकी आँखों में चमक आ गई जब उसने देखा कि जाल में एक सुनहरी मछली फँसी हुई थी। मछली की त्वचा इतनी चमकदार थीं कि ऐसा लग रहा था जैसे वह सोने से बनी हो।
जैसे ही मछुआरे ने मछली को पकड़ने की कोशिश की, मछली ने बोलना शुरू कर दिया। “कृपया मुझे छोड़ दो,” मछली ने प्रार्थना की, “मैं साधारण मछली नहीं हूँ। अगर तुम मुझे वापस समुद्र में छोड़ दोगे, तो मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर सकती हूँ।”
मछुआरा, एक सरल और दयालु व्यक्ति था। उसने मछली से कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं तुम्हें आज़ाद करता हूँ। जाओ, अपने रास्ते जाओ।” मछुआरे ने मछली को वापस समुद्र में छोड़ दिया और अपने घर लौट आया।
जब मछुआरी ने यह सुना कि उसने एक जादुई सुनहरी मछली पकड़कर छोड़ दी और बदले में कुछ नहीं माँगा, तो वह आग-बबूला हो गई। उसने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, “तुम कितने मूर्ख हो! हमें इतने सालों से गरीबी में रहना पड़ रहा है और तुम्हें कुछ भी नहीं चाहिए? जाओ, वापस जाओ और उस मछली से एक नया, बड़ा घर माँगो।”
मछुआरा अपनी पत्नी की बात सुनकर झेंप गया। वह वापस समुद्र के किनारे गया, मछली को पुकारा। अचानक समुद्र की लहरों में हलचल हुई, और सुनहरी मछली पानी से बाहर आ गई। “क्या हुआ मछुआरे?” मछली ने पूछा। मछुआरे ने शर्माते हुए कहा, “मेरी पत्नी एक नया घर चाहती है।”
मछली ने मुस्कराते हुए कहा, “जाओ, तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई।”
मछुआरा जब घर लौटा, तो उसे अपने पुराने झोपड़े की जगह एक सुंदर, बड़ा घर मिला। उसकी पत्नी बहुत खुश थी, लेकिन कुछ ही दिनों में उसकी लालच बढ़ गई। अब उसे महल चाहिए था। मछुआरा फिर मछली के पास गया, और इस बार मछुआरी की इच्छा पूरी हुई—एक विशाल महल उनके पास आ गया।
लेकिन मछुआरी को अब भी संतोष नहीं हुआ। उसने कहा, “अगर मैं महल की रानी बन सकती हूँ, तो समुद्र की देवी क्यों नहीं?” वह समुद्र की देवी बनने की ख्वाहिश करने लगी। मछुआरा दुखी होकर फिर से मछली के पास गया। इस बार, मछली ने बिना कुछ कहे सिर हिलाया, और मछुवारे से कहा की जाओ तुम्हारी इच्छा पूरी हुई जब मछुआरा घर लौटा, तो उसने देखा कि वे फिर से अपने पुराने टूटे-फूटे झोपड़े में था और मछुआरी एक सुनहरी मछली बनकर एक छोटे से टब में तैर रही थी । उसको उसके लालच की सजा मिल गई थी।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि लालच का कोई अंत नहीं होता, और वह अंत में लालच सिर्फ विनाश ही लाता है।
2. सिंह और खरगोश की कहानी
किसी जमाने में एक घने जंगल में एक भयंकर सिंह का राज था। उसकी दहाड़ इतनी जोरदार थी कि पेड़-पौधे भी कांप उठते थे। हर रोज, सिंह शिकार पर निकलता और जंगल के किसी भी जानवर को पकड़कर खा जाता। उसकी भूख असीम थी और उसकी क्रूरता का कोई अंत नहीं था। जंगल के सारे जानवर उससे बेहद डरते थे। सिंह का आतंक इतना बढ़ गया था कि हर जानवर खुद को सुरक्षित रखने का उपाय सोचने लगा।
अंततः, सभी जानवरों ने एक सभा बुलाई। उस सभा में यह निर्णय लिया गया कि वे सिंह से बातचीत करेंगे और उसे एक समझौता प्रस्ताव देंगे। अगले दिन, एक बूढ़ा हिरण सिंह के पास गया और उससे कहा, “महाराज, हम जानते हैं कि आप जंगल के राजा हैं और आपको हर दिन शिकार चाहिए। लेकिन अगर आप हर दिन हम में से किसी एक को मारेंगे, तो जल्द ही जंगल खाली हो जाएगा। इसलिए, हम आपसे यह विनती करते हैं कि आप हर दिन हममें से एक जानवर को चुनें, जिसे हम खुद आपके पास भेजेंगे। इस तरह, आपको शिकार पर जाने की जरूरत नहीं होगी, और हम बाकी जानवरों की जान बचा सकेंगे।”
सिंह ने सोचा कि यह समझौता उसके लिए भी फायदेमंद है। उसे शिकार के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, और रोज उसे भोजन मिलता रहेगा। उसने जानवरों की बात मान ली। अब हर रोज एक जानवर अपनी बारी पर सिंह के पास जाता और उसका भोजन बनता।
एक दिन, बारी आई एक छोटे से खरगोश की। वह छोटा था, लेकिन उसकी बुद्धि बड़ी थी। उसने सोचा कि अगर मैं सिंह के पास जाता हूँ, तो मेरी मौत निश्चित है। इसलिए, उसने एक चाल सोची। खरगोश जानबूझकर सिंह के पास बहुत देर से पहुँचा। सिंह पहले से ही भूख और गुस्से से तड़प रहा था। उसने खरगोश को देखते ही गरजते हुए कहा, “तुम इतनी देर से क्यों आए?”
खरगोश ने कांपते हुए कहा, “महाराज, रास्ते में एक और सिंह मिला, जो कहता था कि वह इस जंगल का असली राजा है। उसने मुझे रोका और कहा कि वह ही इस जंगल का असली शासक है।”
सिंह यह सुनकर आग-बबूला हो गया। उसने गरजते हुए कहा, “मुझे उस दुस्साहसी सिंह के पास ले चलो! मैं उसे दिखाऊंगा कि असली राजा कौन है।”
खरगोश ने चालाकी से सिंह को एक गहरे कुएँ के पास ले गया। कुएँ के पास पहुँचकर उसने सिंह से कहा, “महाराज, वह सिंह इस कुएँ के अंदर रहता है।” सिंह ने जब कुएँ में झाँका, तो उसने अपना ही प्रतिबिंब देखा, लेकिन वह इतना गुस्से में था कि उसने सोचा कि यह वही दूसरा सिंह है। उसने बिना सोचे-समझे कुएँ में छलांग लगा दी और डूबकर मर गया।
इस प्रकार, छोटे से खरगोश ने अपनी बुद्धिमत्ता से विशाल और शक्तिशाली सिंह को हरा दिया और जंगल के सभी जानवरों को मुक्त कर दिया। इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि बुद्धि से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है, चाहे सामने कितनी ही बड़ी चुनौती क्यों न हो।
3. चाँद और सूरज की दोस्ती की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, जब दिन और रात का कोई फर्क नहीं था। सूरज और चाँद हमेशा साथ रहते थे, और आसमान में एक साथ चमकते थे। वे दोनों बहुत गहरे मित्र थे। सूरज अपनी तेज चमक से धरती को रोशन करता, जबकि चाँद अपनी हल्की चाँदनी से रातों को सुकून देता। दोनों मिलकर संसार को संतुलन में रखते थे।
लेकिन धीरे-धीरे, चाँद को यह महसूस होने लगा कि लोग सूरज को उससे ज्यादा पसंद करते हैं। सूरज की रौशनी इतनी तेज थी कि लोग दिनभर उसके नीचे काम करते, खेलते, और खुश रहते थे। जबकि चाँद की चाँदनी हल्की और ठंडी थी, और लोग उसे रात में सिर्फ सोने के समय देखते थे। चाँद को यह बात खलने लगी।
एक दिन, चाँद ने सूरज से उदासी भरे स्वर में कहा, “तुम्हारी रौशनी इतनी तेज है, लोग तुम्हें देखते हैं, तुम्हारे नीचे काम करते हैं, और तुम्हारे बिना तो कुछ भी नहीं चलता। लेकिन मेरी रौशनी से लोगों को कोई खास फर्क नहीं पड़ता। मुझे लगता है कि मेरी कोई खास अहमियत नहीं है।”
सूरज ने यह सुनकर हंसते हुए कहा, “ऐसा मत कहो मेरे दोस्त। दिन की रौशनी की अपनी अहमियत है, लेकिन रात की शांति और ठंडक भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। लोग दिन में मेहनत करते हैं, लेकिन रात में तुम्हारी चाँदनी में आराम करते हैं, और तुम्हारे बिना वे पूरी तरह से विश्राम नहीं कर सकते। तुम्हारी भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी मेरी। हम दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं।”
चाँद ने सूरज की बात को गौर से सुना। उसे अपनी अनोखी ताकत का एहसास हुआ। उस दिन से, चाँद ने अपनी जिम्मेदारी को खुशी-खुशी निभाना शुरू कर दिया। उसने देखा कि उसकी शीतल चाँदनी लोगों को रात में आराम और शांति देती है।
उस दिन से, चाँद ने अपनी चाँदनी पर गर्व करना शुरू कर दिया। वह अब पहले की तरह उदास नहीं था। उसने देखा कि उसकी शीतल और शांत चाँदनी में लोग आराम पाते हैं, पशु-पक्षी विश्राम करते हैं, और यहाँ तक कि पेड़-पौधे भी रात की ठंडक में साँस लेते हैं। वह समझ गया कि उसकी भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सूरज की।
समय बीतता गया, और सूरज और चाँद के बीच यह अनोखी दोस्ती और भी गहरी होती गई। सूरज ने चाँद को यह सिखाया कि हर किसी की अपनी खासियत होती है, और दुनिया को सही संतुलन में रखने के लिए सभी की अहमियत होती है। दिन और रात के इस चक्र ने धरती को जीवन दिया और दोनों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी को खुशी-खुशी निभाया।
आज भी, सूरज और चाँद आसमान में बारी-बारी से आते हैं और पूरी धरती को जीवन की रौशनी और शांति प्रदान करते हैं। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हर किसी की एक विशेष भूमिका होती है। हमें अपनी शक्तियों और कमजोरियों को पहचानकर खुद पर गर्व करना चाहिए, और दूसरों के साथ मिलकर जीवन का संतुलन बनाए रखना चाहिए।
4. उड़ने वाला हाथी की कहानी
थाईलैंड के एक छोटे से गाँव में एक विशाल हाथी रहता था। उसका नाम था सोमबून। सोमबून का दिल बहुत बड़ा था और उसमें एक बड़ा सपना पलता था – वह आसमान में उड़ना चाहता था। यह सपना सुनकर गाँव के लोग हँसते थे। “हाथी और उड़ना? यह तो असंभव है!” वे कहते। लेकिन सोमबून अपने इस सपने से कभी पीछे नहीं हटता। वह हर रोज गाँव के बच्चों को देखता, जो आकाश में पतंग उड़ाते थे। वह सोचता, “काश मैं भी उड़ पाता, जैसे ये पतंगें हवा में तैरती हैं।”
एक दिन, सोमबून अपने भारी कदमों से उदास होकर गाँव के एक बुद्धिमान बूढ़े व्यक्ति के पास पहुँचा। बूढ़ा व्यक्ति अपने अनुभवों से जीवन के कठिन प्रश्नों का समाधान निकालने के लिए जाना जाता था। सोमबून ने अपने दिल की बात कह दी, “दादा जी, मुझे उड़ने का सपना है, लेकिन सब कहते हैं कि हाथी उड़ नहीं सकते। क्या मेरा सपना कभी पूरा हो सकता है?”
बूढ़ा व्यक्ति मुस्कुराया और गहरी नजरों से सोमबून को देखा। “तुम्हारे पास उड़ने की ताकत है, सोमबून,” उसने कहा, “लेकिन वह ताकत तुम्हारे भीतर है, तुम्हें बस उसे पहचानना है।”
हाथी ने यह बात सुनी, लेकिन उसे समझ में नहीं आया। उसने कई दिनों तक अपने भीतर उस ताकत को खोजने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी खास महसूस नहीं हुआ। फिर भी, उसने हार नहीं मानी। एक दिन, वह खुशी-खुशी जंगल में दौड़ते हुए महसूस करने लगा कि उसके बड़े-बड़े कान हवा में लहराने लगे हैं। वह तेज दौड़ रहा था और उसके कान हवा में पंखों की तरह फैल रहे थे। अचानक उसने पाया कि वह जमीन से ऊपर उठने लगा है!
पहले तो सोमबून को यकीन नहीं हुआ, लेकिन जैसे-जैसे उसने अपने कानों को फैलाना और अपने शरीर को हल्का करना शुरू किया, वह हवा में तैरने लगा। सोमबून का सपना सच हो गया था! वह सचमुच उड़ने लगा था। गाँव के लोग अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पाए। इतने भारी-भरकम हाथी को आसमान में उड़ते देखना एक चमत्कार से कम नहीं था।
अब सोमबून रोज उड़ता, कभी गाँव के ऊपर, कभी पहाड़ियों के पार। उसकी उड़ान देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। गाँव के बच्चों के बीच वह सबसे प्रिय हो गया था, क्योंकि वह उन्हें अपनी पीठ पर बिठाकर आसमान की सैर कराता था। सोमबून ने सभी को यह सिखाया कि अगर आप अपने सपनों पर पूरा भरोसा रखते हैं और अपनी ताकत को पहचानते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है।
5. सूर्य की खोज की कहानी
अफ्रीका के एक छोटे से गाँव में एक अजीब स्थिति थी। वहाँ हमेशा अंधेरा ही अंधेरा रहता था। सूरज ने जैसे उस गाँव को छोड़ दिया था। लोग दिन और रात के फर्क को नहीं समझ पाते थे, क्योंकि वहाँ हमेशा घना अंधकार छाया रहता था। गाँव के लोग डर और उदासी में जीते थे। बच्चे खेल नहीं पाते थे, किसान खेती नहीं कर पाते थे, और जानवर हमेशा अंधेरे में छिपे रहते थे।
इस गाँव में एक साहसी लड़का था, जिसका नाम ज़ुबा था। वह बाकी लोगों की तरह अंधेरे में जीते-जीते थक चुका था। उसने कई बार अपने बुजुर्गों से सुन रखा था कि कभी इस धरती पर सूरज हुआ करता था, जो सबको रोशनी और गर्मी देता था। लेकिन यह कहानियाँ अब किसी पुरानी दंतकथा जैसी लगती थीं। ज़ुबा ने ठान लिया कि वह सूरज को खोजकर वापस लाएगा, चाहे कुछ भी हो जाए।
ज़ुबा ने अपने परिवार और दोस्तों से विदा ली और सूरज की तलाश में निकल पड़ा। उसकी यात्रा आसान नहीं थी। उसने ऊँचे-ऊँचे पहाड़ पार किए, जिनकी चोटियों पर बर्फ जमी हुई थी। घने जंगलों से गुजरा, जहाँ खतरनाक जंगली जानवर उसकी घात में बैठे थे। उसने उफनती नदियों को पार किया, जहाँ उसकी जान खतरे में थी। लेकिन उसका साहस और निश्चय उसे आगे बढ़ाता रहा।
कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद, वह एक विशाल और ऊँचे पहाड़ के पास पहुँचा। यह पहाड़ धरती से आकाश तक फैला हुआ था, और उसकी चोटी पर हल्की सी सुनहरी रौशनी चमक रही थी। ज़ुबा को समझ में आया कि यह वही जगह है, जहाँ सूरज छिपा हुआ है। उसने अपनी पूरी ताकत से उस पहाड़ की चढ़ाई शुरू की। चढ़ाई इतनी कठिन थी कि उसके हाथ-पैर कांपने लगे, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
आखिरकार, वह पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया। वहाँ उसने सूरज को देखा—वह एक विशाल, चमकता हुआ गोला था, जो पहाड़ के पीछे छिपा हुआ था। ज़ुबा ने सूरज से विनती की, “हे सूर्य देवता, कृपया वापस आओ और हमारी धरती को रोशनी से भर दो। बिना तुम्हारे हमारी दुनिया अंधकार में डूब चुकी है। लोग तुम्हारी रौशनी के बिना जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।”
सूरज ने ज़ुबा की बात ध्यान से सुनी। उसने ज़ुबा के साहस और उसकी प्रार्थना की सच्चाई को महसूस किया। सूरज ने कहा, “तुमने अपनी हिम्मत से यहाँ तक पहुँचकर यह सिद्ध किया है कि लोग अब मेरी जरूरत को समझते हैं। मैं तुम्हारे गाँव और धरती पर वापस लौटूँगा, लेकिन याद रखना, मेरी रौशनी का सम्मान करना और संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है।”
सूरज धीरे-धीरे पहाड़ से ऊपर उठने लगा और अपने तेज किरणों से पूरी धरती को रोशन कर दिया। गाँव के लोग, जो हमेशा अंधेरे में जीते थे, अचानक रोशनी से चकाचौंध हो गए। उन्होंने खुशी में नाचना शुरू कर दिया। ज़ुबा का स्वागत एक नायक के रूप में हुआ।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अगर हम साहस और धैर्य से काम लें, तो हम अंधकार से उजाले की ओर अपना रास्ता बना सकते हैं।
6. माशा के जंगल स्कूल की कहानी
एक दिन माशा ने अचानक फैसला किया कि वह जंगल के सभी जानवरों को पढ़ाना चाहती है। “मैं एक टीचर बनूँगी!” उसने बड़े उत्साह से कहा। भालू ने सिर हिला दिया, यह सोचते हुए कि अब कुछ गड़बड़ होने वाली है।
माशा ने जंगल के सभी जानवरों को स्कूल में बुला लिया—खरगोश, भेड़िया, गिलहरी और यहाँ तक कि उल्लू भी आ गए। माशा ने एक बड़ी सी ब्लैकबोर्ड लगाई और चॉक पकड़ते हुए बोली, “चलो, अब सब बैठो! आज मैं तुम्हें गिनती सिखाऊँगी!”
सब जानवर हैरानी से माशा को देखने लगे। माशा ने शुरू किया, “एक, दो, तीन…” तभी भेड़िया ऊँघने लगा। “अरे, ध्यान दो!” माशा ने उसे डाँटा। फिर अचानक खरगोश उछलकर बोला, “मुझे गाजर चाहिए!”
माशा ने हाथ पर कमर रखकर कहा, “स्कूल में गाजर नहीं, पढ़ाई होती है!”
लेकिन तभी गिलहरी ने अपने छोटे पंजों से बोर्ड को खरोंच दिया, और सारे जानवर हँसने लगे। माशा का गुस्सा सातवें आसमान पर था। वह बोली, “ठीक है, सबको सज़ा मिलेगी! अब सब मिलकर भालू की सफाई में मदद करेंगे!”
आखिरकार, माशा का स्कूल का सपना बिखर गया, लेकिन उस दिन सभी ने बहुत मज़े किए और जंगल में पढ़ाई के साथ हंसी-खुशी का माहौल बन गया। भालू ने माशा की ओर देखा और हँसते हुए बोला, “तुम्हारी क्लास तो बहुत शरारती है!”
7. माशा और भालू की बर्फीली गुफा की खोज की कहानी
एक ठंडी सर्दी की सुबह, माशा को बर्फ से खेलने का मन हुआ। वह भागकर भालू के घर पहुँची और बोली, “चलो, बर्फ में कुछ रोमांचक करें!” भालू आराम से सोफे पर बैठा था और बिल्कुल भी बाहर जाने का मूड नहीं था, लेकिन माशा के आगे भालू का कोई बस नहीं चलता।
“ठीक है, चलो बर्फ में कुछ खोजते हैं,” भालू ने अनमने मन से कहा। वे दोनों बर्फीली पहाड़ियों की ओर निकल पड़े। रास्ते में माशा ने एक पुरानी गुफा देखी और उत्साह से चिल्लाई, “भालू, देखो! वहाँ गुफा है। चलो अंदर चलते हैं!”
भालू को थोड़ा डर लगा, लेकिन माशा ने उसे खींचकर अंदर ले गई। गुफा के अंदर बहुत ठंड थी, लेकिन माशा की आँखों में चमक थी, जैसे उसने कोई बड़ा खजाना खोज लिया हो। “यहाँ कुछ रहस्यमयी है!” माशा ने कहा।
तभी गुफा के अंदर की दीवारों पर बर्फ से बने अजीबोगरीब चित्र उभरने लगे। माशा ने कहा, “ये तो जैसे जादू की दुनिया है!” भालू ने हैरानी से देखा, लेकिन तभी बर्फ का एक छोटा सा पहाड़ ढहने लगा और माशा फिसल गई!
भालू ने तुरंत उसे पकड़ा और दोनों हँसते-हँसते बाहर आ गए। “अब समझ आया क्यों ये गुफा खतरनाक है,” भालू ने कहा, “अगली बार सिर्फ बर्फ का आदमी ढूँढेंगे, गुफा में नहीं घुसेंगे!” माशा हँसते हुए बोली, “अगली बार और बड़ा रोमांच करेंगे!”
8. माशा की जादुई मिठाइयों की कहानी
एक दिन माशा ने सोचा कि वह भालू को मिठाइयाँ बनाकर सरप्राइज़ देगी। वह रसोई में गई और अजीबो-गरीब चीज़ें मिलाने लगी—आटा, चॉकलेट, शहद और… थोड़ा जादू! हाँ, माशा के पास एक पुरानी जादुई किताब थी, जिससे उसने सोचा कि मिठाइयों में थोड़ा जादू मिला दिया जाए।
मिठाइयाँ तो बन गईं, लेकिन जब भालू ने पहली बाइट ली, तो कुछ अजीब होने लगा। उसकी पूँछ चमकी और वह उड़ने लगा! “माशा! तुमने ये क्या कर दिया?” भालू ने हवा में लहराते हुए कहा।
माशा हँसते हुए बोली, “ये तो जादुई मिठाइयाँ हैं! अब तुम उड़ सकते हो, भालू!”
भालू ने परेशान होकर कहा, “मुझे उड़ना नहीं आता! मुझे नीचे उतारो!” माशा ने जल्दी से अपनी किताब निकाली और कहा, “अरे! मैं जादू को ठीक कर दूँगी।” उसने जादू के शब्द बोले और भालू धड़ाम से जमीन पर गिर गया।
“अगली बार मैं खुद मिठाइयाँ बनाऊँगा,” भालू ने सिर पकड़ते हुए कहा। माशा ने हँसते हुए जवाब दिया, “पर वो इतनी मज़ेदार तो नहीं होंगी!”
9. माशा और भालू के कद्दू के महल की कहानी
एक बार माशा ने भालू के बगीचे में एक बड़ा कद्दू देखा। वह इतनी उत्साहित हो गई कि उसने सोचा, “इस कद्दू को काटकर हम एक महल बनाएंगे!”
भालू को माशा का आइडिया कुछ खास पसंद नहीं आया, क्योंकि वह उस कद्दू को खाने के लिए उगा रहा था। लेकिन माशा के ज़िद्दी स्वभाव के आगे भालू का कोई बस नहीं चलता।
उन्होंने कद्दू को बड़े ध्यान से काटा और उसके अंदर एक महल जैसा कमरा बना लिया। माशा ने अंदर जाकर कहा, “वाह! यह तो असली कद्दू का महल है!” वह अपनी रानी की टोपी पहनकर महल में बैठ गई।
लेकिन थोड़ी देर बाद, भालू को भूख लगी। “माशा, अब कद्दू का सूप बनाओ।” माशा ने मुँह फुलाकर कहा, “पर मैं तो रानी हूँ! रानी सूप नहीं बनाती।”
तभी एक बड़ी गिलहरी ने कद्दू का टुकड़ा काट लिया और माशा चौंक गई। “ओह! महल पर हमला हो गया!” माशा ने कहा। भालू ने हँसते हुए कहा, “महल को बचाने का एक ही तरीका है—सूप बना दो!”
आखिरकार, माशा ने महल से सूप बनाया और दोनों ने मजे से खाया। माशा ने कहा, “कद्दू का महल भी मजेदार था, और सूप भी!”
10. माशा के बैंड की कहानी
एक दिन माशा को संगीत बजाने का शौक चढ़ा। उसने अपने दोस्तों के साथ एक बैंड बनाने की सोची। “मैं गिटार बजाऊँगी, भालू ड्रम्स बजाएगा, और बाकी जानवर नाचेंगे!” माशा ने उत्साहित होकर कहा।
भालू ने ड्रम्स बजाने की कोशिश की, लेकिन वह इतना बड़ा था कि उसकी हर बार ड्रम टूट जाती। खरगोश ने गिटार उठाया, लेकिन उसके छोटे-छोटे पंजे तारों तक नहीं पहुँच पाए। माशा ने खुद गिटार उठाया और जोर से बजाना शुरू किया।
तभी जंगल के सभी जानवरों ने जोर-जोर से गाना गाना शुरू किया, लेकिन उनकी आवाज़ इतनी खराब थी कि पूरा जंगल हँस पड़ा। “यह तो कोई संगीत नहीं, शोर है!” उल्लू ने कहा।
माशा ने हँसते हुए कहा, “शोर भी संगीत का एक रूप हो सकता है!” आखिर में, सभी ने मिलकर थोड़ा अभ्यास किया और एक प्यारा-सा गाना तैयार किया, जिसे सुनकर पूरा जंगल झूम उठा।
भालू ने कहा, “हमारे बैंड की शुरुआत भले ही मजाक थी, लेकिन अब तो हम असली कलाकार बन गए हैं!”
ये कहानियाँ न सिर्फ बच्चों को हँसाएँगी बल्कि उन्हें मस्ती और रोमांच से भी भर देंगी!
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