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10 lines short moral stories in Hindi मे हम आपके बच्चों के लिए चुनी हुई छोटी और मजेदार कहानियाँ लेके आयें है जिन्हे उन्हे पढ़ने मे मजा आएगा ।
10 lines short moral stories in Hindi
कहानियों की सूची
- 10 lines short moral stories in Hindi
- सोनल चिड़िया की कहानी
- आम का बँटवारा
- मिठाई की दुकान की कहानी
- मच्छरदानी की कहानी
- प्याज़ का बदला
- अनोखी बारिश
- गमछा
- संतरे का छिलका
- छोटे चूजे की कहानी
- ओले चुनें या आम ?
- गली का चिड़ियाघर
- चलते-चलते
- बाघ और लोमड़ी की कहानी
- टोटू की कहानी
- कल्लू, लल्लू, नल्लू कहीं के
- जीने का अंदाज
- सब्ज़ियों की दोस्ती की कहानी
- भुतहा बाग़ की कहानी
सोनल चिड़िया की कहानी
सोनल नाम की एक सुनहरी चिड़िया थी। सब उसे बहुत प्यार करते थे। एक बार वह आसमान में ऊँची चली गई। सोनल जोर से चीखी, “उई माँ, बचाओ!” सूरज की गर्मी से सोनल का सुनहरा शरीर झुलस गया। उसके सुनहरे पंख काले पड़ गए। वह गुमसुम और अकेली रहने लगी।
अब वह बस गाती रहती। उसकी आवाज़ ने सबका मन जीत लिया। सोनल अपनी आवाज़ के कारण ही पहचानी जाने लगी। कहा जाता है कि सोनल चिड़िया ही कोयल बन गई।
आम का बँटवारा
आकाश काले बादलों से ढक गया था। तभी तेज़ आँधी आई बबलू दौड़कर आम के बगीचे में पहुँचा। वहाँ मीता, रिजवान, जीरेन और गुल्ली टोकरी लिए खड़े थे। सब मजे से आम चुन-चुनकर टोकरी में रखने लगे। सबने मिलकर पचास आम इकट्ठे किए।
कच्चे आम में नमक लगाकर खाने के बारे में सोचकर ही उनके मुँह में पानी आने लगा। आँधी रुकी और बारिश होने लगी। बच्चे भीगते हुए टोकरी लेकर घर की तरफ दौड़े। घर पहुँचकर पाँचों दोस्तों ने आम बराबर-बराबर बाँटे।
मिठाई की दुकान की कहानी
रेशमा के घर के पास मिठाई की दुकान खुली है। दुकान में रसमलाई, गुलाबजामुन, जलेबी, बेसन की बर्फी, बूंदी के लड्डू मेवे के पेड़े और भी ढेर सारी मिठाइयाँ बनती हैं। दुकान में समोसे, ढोकला और खाँडवी भी बिकते हैं। एक दिन रेशमा घर के बाहर दरवाज़े पर खड़ी थी। मिठाइयों को देखकर उसके मुँह में पानी आ रहा था।
उसके कुछ देर बाद पीछे से पिताजी ने रेशमा के कंधे पर हाथ रखा। रेशमा चौंक गई। पिताजी ने रेशमा से पूछा, “रेशमा, आज कौन-सी मिठाई खाओगी?” रेशमा झट से बोली, “गुलाबजामुन।” पिताजी उसके जवाब पर मुस्करा दिए।
मच्छरदानी की कहानी
मदन की आँखें लाल थीं। उसके चेहरे पर छोटे-छोटे दाने थे। कल रात वह ठीक से सो नहीं पाया था। माँ ने उसके चेहरे को देखते हुए पूछा- यह क्या हुआ? यह कैसे निशान हैं? मदन बोला, “मच्छरों के काटने के निशान हैं।” “तुम तो मच्छरदानी में सोए थे”, माँ ने हैरान होकर पूछा। मदन ने माँ को बताया, “हुआ यह कि मच्छरदानी के अन्दर ढेर सारे मच्छर घुस आए थे। वे बाहर निकल ही नहीं रहे थे। मैंने सोचा कि अब सारे मच्छर अन्दर क़ैद हो गए हैं, मैं ही बाहर चला जाता हूँ। बस मैं मच्छरदानी से बाहर निकल आया ।” यह सुनकर माँ ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
प्याज़ का बदला
कहते हैं कि पहले प्याज़ सिर्फ जंगलों में ही पाया जाता था। जंगल के घने पेड़ उसके पड़ोसी और साफ हवा उसकी सहेली थी। झरनों में नहाना उसकी रोज की आदत थी। एक दिन जंगल में कुछ लोग आए । उन्होंने पेड़ों को काटा और प्याज़ को अपने साथ ले गए। प्याज ने रोते हुए उनसे छोड़ने के लिए विनती की। मगर लोगों ने उसकी एक नहीं सुनी। प्याज़ ने भी लोगों से बदला लेने और उन्हें रुलाने की ठान ली। उसी दिन से प्याज़ ने सोच लिया था कि अब जो कोई भी उसे काटेगा उसकी आँखों से आँसू बहने लगेंगे ।
अनोखी बारिश
चारों ओर घने जंगल थे। आसमान में कागज़ों के बादल छाए थे। मीठी को यह जगह बहुत अनोखी लगी। थोड़ी देर में रंग-बिरंगी चिट्टियों की बारिश होने लगी। सारी चिट्टियाँ झरने की तरह बह रहीं थीं । उसने एक चिट्ठी उठाई। यह चिट्ठी उसके दोस्त जॉन की थी। झरना परदे की तरह सरक गया। वहाँ से गुनगुनाने की आवाज़ आने लगी। खिड़की से सुबह की धूप अन्दर आ रही थी। आँखें मलते हुए मीठी खिड़की के पास गई। बाहर चाचाजी बैठे गुनगुना रहे थे।
गमछा
पिताजी काम पर जा रहे थे। उनका गमछा कहीं मिल नहीं रहा था। मैंने उनसे कहा, / “आज आप रुमाल से काम चला लीजिए।” पिताजी मुस्कराते हुए बोले, “बेटा रुमाल से काम नहीं चलेगा, यह गमछा बड़े काम की चीज है। कंधे पर हो तो पसीना पोंछ लो । गर्मी लगे तो हवा कर लो। नींद आए तो पेड़ के नीचे बिछाकर सो जाओ। कड़ी धूप हो तो सिर पर बाँध लो। तुम चाहो तो इससे पोटली भी बाँध लो । सबसे बढ़िया तो यह कि अगर तालाब मिले तो नहाने के समय इस्तेमाल कर लो।” इतने में पीकू गमछा मुँह में दबाकर भागता हुआ आया। मैं झट से बोला, “अपना कुत्ता पीकू भी बड़े काम का है पिताजी ।”
संतरे का छिलका
सोनू और रानी बड़े चाव से संतरे खा रहे थे। रानी ने संतरे का छिलका उठाकर सोनू पर डाल दिया। सोनू कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने छिलके का रस रानी की आँखों में डाल दिया। रानी चीख पड़ी, “ऊई माँ!” उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसे रोता देखकर दादाजी आ गए। दादाजी ने पूछा, “तुमने इसे क्यों मारा? देखो कितना रो रही है!” सोनू ने जवाब दिया, “मैंने नहीं मारा। बस संतरे का रस इसकी आँखों में डाल दिया।” दादाजी को यकीन नहीं हुआ। सोनू ने संतरे का रस दादाजी की आँखों में भी डाल दिया। अब दादाजी की आँखों से भी आँसू निकलने लगे।
छोटे चूजे की कहानी
एक डरपोक चूजा था। वह बाहर नहीं निकलता था। इसलिए उड़ना ही नहीं सीख पाया। उसकी माँ उसे समझाती रहती. “दोनों साथ चलेंगे तो डर नहीं लगेगा।” लेकिन चूजे ने उड़ना। नहीं सीखा।
एक दिन माँ कहीं बाहर गई। सुबह से रात हो गई। माँ नहीं लौटी। चूजे को चिंता होने लगी। उसने पंख फैलाए और उड़ने की कोशिश की। जल्दी ही वह थक गया। उसने फिर उड़ने की कोशिश की। थोड़ी ही देर में वह उड़ने लगा। उसने लम्बी उड़ान भरी और माँ के पास पहुँच गया। माँ के पंखों में काँटे लगे थे। उसने चोंच से काँटे निकाले। अब वह रोज़ माँ के साथ उड़ने लगा। बिना डरे बिना थके।
ओले चुनें या आम ?
बहुत गर्मी है। कुएँ सूख गए हैं। ऊँचे पेड़ जैसे सिर झुकाए खड़े हैं। दोपहर में सब घर में बैठे हैं। घर के अन्दर जैसे आग लगी हुई है। पहले वाली फूस की छप्पर ही अच्छी थी। टीन की छत से गर्मी और बढ़ गई है।
कालू आँगन में आम पेड़ की छाया में गमछा बिछाकर लेट गया। अचानक ठंडी हवा का झोंका आया। थोड़ी राहत मिली। न जाने कब कालू की आँख लग गई। ठंडी हवा अपने पीछे आँधी ले आई। आसमान काला पड़ गया। बारिश के साथ ओले गिरने लगे। मिट्टी की खुशबू हवा में फैल गई। टीन की छत टन-टन बजने लगी। पेड़ों से आम गिरने लगे। कालू को समझ नहीं आया कि अब वह ओले चुने या आम?
गली का चिड़ियाघर
सोनू मोनू और रीना खेलने निकले। गली में उन्हें एक छोटी-सी बिल्ली दिखाई दी। वह बिल्ली एक चूहे पर घात लगाए बैठी थी। चूहा कोने में बैठा पकौड़ा खा रहा था। एक चींटी उस चूहे की तरफ जा रही थी। अचानक उन पर एक छाया पड़ी। यह एक बड़ी-सी चील की छाया थी । चील एक मुंडेर पर बैठ गई। उस गली में अब बच्चों के अलावा चींटी, बिल्ली, चील और चूहा थे। सभी एक दूसरे की ताक में थे। तीनों बच्चे सोचने लगे कि अब क्या करें? तीनों ने एक साथ ताली बजाई। चील उड़ गई। चींटी एक चीनी का दाना पीठ पर लाद कर झटपट भागी । चूहा पकौड़े का एक टुकड़ा लेकर बिल में घुस गया। बिल्ली को कुछ नहीं मिला वह अपना पंजा चाटने लगी। मोनू उसके लिए दूध ले आया। तीनों बच्चे उसके साथ खेलने लगे।
चलते-चलते
दीपू, पूनम और निहाल एक साथ स्कूल जाते हैं। तीनों में गहरी दोस्ती है। हर रोज़ की तरह आज भी तीनों स्कूल के लिए निकल पड़े। रास्ते में उन्हें फलों की रेहड़ी दिखाई दी। रेहड़ी पर तरबूज, खरबूजा, लीची, अंगूर, जामुन और केले सजे थे। फलों का राजा आम भी था। आम देखकर दीपू के मुँह में पानी आ गया। वह आम पर नजरें गड़ाए आगे बढ़ा जा रहा था। तभी उसके पैर के नीचे केले का छिलका आ गया। दीपू खुद को संभाल नहीं पाया। वह धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा। यह देखकर पूनम और निहाल ठहाका • लगाकर हँसने लगे।
बाघ और लोमड़ी की कहानी
एक दिन जंगल में बाघ को पकड़ने एक शिकारी आया। उसने गुफा से थोड़ी दूर पर एक गहरा गड्ढा खोदकर उसे घास-फूस से ढक दिया। शिकारी पेड़ के नीचे जाकर, सो गया। बाघ जब शिकार के लिए निकला तो उस गड्ढे में गिर गया। एक लोमड़ी उधर से गुज़र रही थी। उसने देखा कि बाघ मुसीबत में है। वह बाघ को बचाने का उपाय सोचने लगी। शिकारी गहरी नींद में सोया हुआ था। उसके पास एक रस्सी रखी थी। लोमड़ी ने रस्सी का एक सिरा पेड़ से बाँध दिया। दूसरा सिरा उसने गड्ढे में फेंककर बाघ से कहा, “रस्सी पकड़कर ऊपर आ जाओ ।” बाघ रस्सी के सहारे ऊपर आ गया। शिकारी की आँख खुलने से पहले ही दोनों वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गए।
टोटू की कहानी
टोटू माँ के साथ रहता था। उसके घर के बाहर एक बगीचा था। अभी उसने चलना सीखा ही था। एक दिन वह अकेला बरामदे में खेल रहा था। पता नहीं कब वह अपने छोटे-छोटे पैरों से चलता हुआ बगीचे में पहुँच गया। वहाँ की मिट्टी गीली थी। टोटू के हाथ और कपड़े मिट्टी से गंदे हो गए। थोड़ी देर बाद टोटू की माँ बाहर बरामदे में आईं। टोटू को वहाँ न देख कर परेशान हो गई, “अरे! टोटू कहाँ गया?” वह टोटू को खोजते हुए बगीचे में आईं। तभी छपाक-छपाक’ की आवाजें सुनाई दीं। टोटू मिट्टी से सना हुआ था। माँ ने जल्दी से टोटू को गले से लगा लिया। फिर हँसते हुए बोली, “मेरा लाल अब बड़ा हो गया है।”
कल्लू, लल्लू, नल्लू कहीं के
छोटी कमली और कल्लू कुत्ता दोस्त हैं। वे साथ खेलते हैं। साथ चित्र बनाते हैं। कमली हाथों से और कल्लू पैरों से कभी कॉपी पर तो कभी ज़मीन पर कभी-कभी दोनों एक दूसरे के मुँह पर भी चित्र बना देते हैं। कभी नीले तो कभी पीले रंग से आज भी कमली चित्र बनाना चाहती थी। मगर कल्लू खेलना चाहता था। कमली बोली, “थोड़ा काम कर लेते हैं फिर मस्ती करेंगे। कल्लू नहीं माना। उसने रंग लगाना शुरू किया। उसने कमली के चेहरे पर लाल मूँछें बना दीं। कमली ने उस पर लाल रंग डाल दिया। वह बोली, “कल्लू कहीं के, लल्लू कहीं के।” जैसे ही कल्लू नीले रंग की तरफ दौड़ा, कमली ने कल्लू पर रंग डाल दिया। अब कमली कहती है, “कल्लू, लल्लू नल्लू कहीं के।”
जीने का अंदाज
टुरकी तितली फूलों से रस लेने जा रही थी। रास्ते में उसे एक घायल मधुमक्खी दिखाई दी। मधुमक्खी कराह रही थी। टुरकी उसे अपने घर ले गई। उसने मधुमक्खी के घाव पर मरहम-पट्टी कर दी। कुछ देर बाद मधुमक्खी का दर्द कम हो गया। टुरकी ने उसे कुछ फूल लाकर दिए। फूलों का रस चूस कर मधुमक्खी ठीक हो गई। उसने टुरकी का धन्यवाद किया। उस दिन से दोनों साथ ही फूलों का रस चूसने जाने लगीं। टुरकी हमेशा खुश रहती और मस्त होकर फूलों पर मँडराती रहती। मधुमक्खी उसके जीने के इस अंदाज़ से बहुत खुश हुई। एक दिन उसने टुरकी से पूछा, “जानती हो तुम्हारा जीवन सिर्फ सात दिन का ही है? टुरकी हँसते हुए बोली, “हाँ, मुझे पता है।” मधुमक्खी ने हैरत से पूछा, तब भी तुम इतना खुश कैसे रहती हो?” टुरकी मुस्कराते हुए बोली, “यह मेरा जीने का अंदाज़ है।” ऐसा कहकर वह इठलाते हुए आसमान में उड़ गई। मधुमक्खी भी मुस्कराते हुए उसके पीछे-पीछे उड़ने लगी।
सब्ज़ियों की दोस्ती की कहानी
दीनू रोज बाजार में सब्जी बेचने जाता था। उसके पास आलू, भिन्डी, कद्दू तोरई और दूसरी सब्जियाँ होती थीं। ये सभी सब्जियाँ आपस में अच्छी दोस्त थीं। लेकिन रोजाना इनको एक-दूसरे से अलग होने का डर सताता रहता। भिन्डी उदास होकर बोली, “आज मैं तुम सबसे दूर चली गई तो?” आलू बोला, “नहीं, बहन ऐसा नहीं होगा।” कद्दू और तोरई एक साथ बोले, “चिंता मत करो, सब ठीक होगा।” सभी मुस्करा दिए। तभी कद्दू चीखा, “अरे, देखो एक कतरनी दादी आई हैं। सभी के कान खड़े हो गए। दादी ने पूछा, “आलू कैसे दिए? दुकानदार बोला “20 रुपये किलो दादी।” आलू डर गया। दादी बोली, “एक किलो दे दो।” दुकानदार आलू तौलने लगा। भिन्डी, कद्दू और तोरई ने कोशिश की, पर आलू को जाने से रोक नहीं पाई। दादी आगे जाकर अचानक मुड़ी और बोली, “अच्छा, मुझे एक-एक किलो सारी सब्जियाँ दे दो।” यह सुनकर थैले में पड़े उदास आलू का चेहरा खिल उठा। आलू भिन्डी, कद्दू और तोरई एक साथ थैले में उछलते-कूदते दादी के घर चल दिए।
भुतहा बाग़ की कहानी
रविवार के दिन कोको नहा-धोकर घर से निकली गली के मोड़ पर सभी दोस्त उसका इंतजार कर रहे थे। बूढ़ी दादी बुदबुदाई, “पता नहीं आज यह टोली क्या गुल खिलाएगी? कोको और उसके दोस्त एक बाग में पहुँचे। बाग का नाम था भुतहा बाग। लोग उस बाग में जाने से डरते थे। उनका कहना था कि उस बाग में भूत रहता है। बच्चे चुपके से बाग में पहुँचे। कोको सबसे आगे थी। अचानक एक आवाज आई। बच्चे सहम गए। सभी ने एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़ लिया। आवाज़ एक बड़े पीपल के पेड़ की तरफ से आ रही थी। कोको और उसकी टोली पेड़ के पीछे की तरफ पहुँच गई। पेड़ की ओट में कोई छुपा बैठा था वह अजीब सी आवाजें निकाल रहा था। – बच्चों की आहट से ओट में छुपे आदमी ने मुड़कर देखा। बच्चे एक साथ चिल्ला पड़े, “हरिया काका आप! आप भूत बनकर हमें डरा रहे थे?” वास्तव में बाग़ के माली हरिया काका ही भूत बनकर लोगों को डराया करते थे। उस बाग में सुंदर-सुंदर फूल और तरह-तरह के फल वाले पेड़ थे, इसलिए वह नहीं चाहते थे कि कोई बाग में आए।
आशा करते है हमारे द्वारा दी गई 10 lines short moral stories in Hindi आपको पसंद आई होंगी ।
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