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हिंदी की रोचक कहानी (Rochak kahani)

By Deepshikha choudhary

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हिंदी की रोचक कहानी (Rochak kahani)
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Table of contents

हिंदी की रोचक कहानीयाँ (Rochak kahaniya)

बुद्धिमान रक्षक

बहुत समय पहले, चीन के दूर एक गाँव में, मेई नाम की एक युवा महिला रहती थी। वह अपनी बुद्धि और साहस के लिए जानी जाती थी, लेकिन गाँव में एक रहस्य था जो गाँववासियों को भयभीत करता था। हर पूर्णिमा की रात, पहाड़ों से अजीब आवाजें आती थीं, और कभी-कभी गाँव से चीजें गायब हो जाती थीं।

एक ठंडी पूर्णिमा की रात, मेई ने यह देखने का फैसला किया कि ये अजीब आवाजें कहाँ से आ रही हैं। उसने अपनी तलवार ली और अकेले पहाड़ों की ओर चल पड़ी। रात गहरी और अंधेरी थी, लेकिन मेई डरी नहीं थी। वह दृढ़ थी कि रहस्य को सुलझाएगी।

हिंदी की रोचक कहानी (Rochak kahani)

पहाड़ों पर चलते हुए, अचानक जमीन हिलने लगी, उस गड़गड़ाहट के साथ मानो कोई विशाल दैत्य निकल रहा हो। मेई ने सावधानी से एक चट्टान के पीछे छिपकर देखा। उसने जो देखा उससे वह दंग रह गई। एक गुफा से, लंबी दाढ़ी और चमकती आँखों वाला एक बूढ़ा ज़मीन से निकला। उसके पीछे, गाँव से चोरी हुए सामान का ढेर था।

यह एक पहाड़ी राक्षस था! गाँव की कहानियाँ सच थीं!

मेई जानती थी कि राक्षस से सीधे लड़ना बेवकूफी होगी। इसलिए, उसने अपनी चतुराई का इस्तेमाल किया। उसने एक पत्थर उठाया और उसे गुफा के बाहर फेंक दिया, राक्षस का ध्यान आकर्षित किया। फिर, वह जल्दी से छिप गई।

राक्षस गुफा से बाहर आया, यह देखने के लिए कि कहाँ से आवाज आई। मेई ने मौका का फायदा उठाया और चुपके से उसके सारे चोरी के सामान को वापस गाँव ले गई। उसने उन्हें छिपा दिया और फिर राक्षस के पास लौट आई।

जब राक्षस को अपना सामान नहीं मिला, तो वह क्रोधित हो गया। मेई ने उससे बात की, यह दिखाते हुए कि गाँव के लोग गरीब हैं और वे उसके द्वारा चुराई गई चीजों के बिना जी नहीं सकते। उसने उसे समझाया कि शांति से रहना बेहतर है।

राक्षस मेई की चतुराई और दया से प्रभावित हुआ। उसने चोरी करना बंद करने का वादा किया और कभी भी गाँव को परेशान नहीं किया। गाँववाले राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि रहस्य को सुलझाने वाली उनकी बहादुर मेई थी।

मेई गाँव की गुप्त रक्षक बन गई, अपनी बुद्धि और साहस से उन्हें खतरे से बचाती रही। वह गाँव की एक किंवदंती बन गई, “बुद्धिमान रक्षक”।

“बुद्धिमान रक्षक” की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

बुद्धिमान रक्षक की रोचक कहानी से हमे यह सीख मिलती है के हम अपनी बुद्धि के प्रयोग के द्वारा किसी भी बुरी स्थिती से निकल सकते है.  

मोमोतारो (आड़ू का लड़का)

बहुत समय पहले, एक बूढ़ा दंपती नदी के किनारे एक शांत जापानी गांव में रहता था। बुजुर्ग आदमी अक्सर जलाने की लकड़ी इकट्ठा करने के लिए पहाड़ियों पर जाता था और बूढ़ी औरत नदी में कपड़े धोने के लिए जाती थी। वे दयालु थे, लेकिन उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे दुखी भी थे।

एक दिन, नदी में कपड़े धोते हुए बूढ़ी औरत को पानी में बहता हुआ एक बहुत बड़ा आड़ू मिला। वह इसे घर ले आई और उसने और उसके पति ने इसे खाने का फैसला किया। जैसे ही उन्होंने आड़ू को काटा, उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब एक स्वस्थ लड़का उसमें से कूद कर बाहर आया! दम्पति बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने लड़के का नाम मोमोतारो रखा, जिसका अर्थ होता है “आड़ू का लड़का”।

आडू के लड़के की रोचक कहानी (Rochak kahani)

मोमोतारो असामान्य बल और साहस के साथ बड़ा हुआ। एक दिन, उसने सुना कि ओनिगाशिमा (राक्षस द्वीप) के दुष्ट राक्षस आसपास के गांवों में उत्पात मचा रहे हैं, सोना और कीमती सामान लूट रहे हैं। निडर होकर मोमोतारो ने गाँव वालों की मदद करने का फैसला किया। वह राक्षसों का सामना करने के लिए निकल पड़ा।

रास्ते में उसकी मुलाकात एक बातूनी कुत्ते, एक चतुर बंदर और एक खूबसूरत तीतर से हुई। मोमोतारो ने उन्हें आड़ू से बनी स्वादिष्ट मिठाई दी, और बदले में वे रास्ते में उसके वफादार साथी बन गए। साथ में, उन्होंने ओनिगाशिमा (राक्षस द्वीप) की यात्रा की और दुष्ट राक्षसों से भिड़ गए।

बड़ी बहादुरी से लड़ते हुए, मोमोतारो और उसके साथियों ने उन राक्षसों पर काबू पाया और उनका लूटा हुआ खजाना भी वापस ले लिया। अंत में, राक्षसों के सरदार ने आत्मसमर्पण कर दिया।

मोमोतारो बहादुर लड़के के रूप में मशहूर हो गया, वह विजयी होकर अपने गांव लौटा, जहाँ उसका अपने माता-पिता के साथ सुखद पुनर्मिलन हुआ। गांव वालों ने उसका एक वीर की तरह स्वागत किया। वे अब शांति और समृद्धि से रहने लगे।

“मोमोतारो (आडू का लड़का)” की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

मोमोतारो (आडू का लड़का) की कहानी साहस, दया और एकता के साथ काम करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।

उरशिमा तारो (मछुआरा और कछुआ)

बहुत समय पहले, जापान के एक तटीय गाँव में उरशिमा तारो नाम का एक दयालु युवा मछुआरा रहता था। वह एक साधारण जीवन व्यतीत करता था, अपनी माँ की सेवा करता और अपने दिन मछली पकड़ने में बिताता।

एक दिन, समुद्र में मछली पकड़ते समय, उरशिमा ने देखा कि कुछ बच्चे बड़े कछुए को परेशान कर रहे हैं। उसने अपनी नाव से छलांग लगाई और बच्चों को भगा दिया, नर्म स्वभाव वाले कछुए को बचाया। कृतज्ञता ज़ाहिर करते हुए कछुए ने उरशिमा को अपनी पीठ पर बिठाकर एक असाधारण साहसिक कार्य के लिए रवाना किया।

कछुआ उसे समुद्र के भीतर गहराई में ले गया, एक पानी के नीचे के महल में प्रवेश द्वार पर पहुँचा। एक खूबसूरत राजकुमारी, राजकुमारी ओटोहिम ने अपने महल में उसका स्वागत किया। राजकुमारी ओटोहिम समुद्र की राजकुमारी थी, और वह उरशिमा के अच्छे कर्मों का बदला देना चाहती थी।

मछुवारा और कछुआ की रोचक कहानी (Rochak kahani)

पानी के नीचे का महल शानदार था। यह चमकीले मूंगों और चमकदार मोतियों से बना हुआ था। उरशिमा दिनों को राजकुमारी के साथ दावतों, शानदार मनोरंजन और पानी के नीचे के अजूबों का आनंद लेते हुए बिताता था। वे खुश थे, और समय बहुत तेज़ी से बीत गया।

अंत में, उरशिमा को समुद्र से ऊपर की दुनिया और अपनी बूढ़ी माँ की याद आने लगी। हालाँकि राजकुमारी ओटोहिम उसे रहने के लिए रोकने की पूरी कोशिश की, मगर उरशिमा जानता था कि उसे अपने घर लौटने की ज़रूरत है।

प्रस्थान करने से पहले, राजकुमारी ने उसे एक रहस्यमय लकड़ी का बक्सा दिया और उसे चेतावनी दी कि वह इसे कभी न खोले। कछुआ फिर उसे वापस गाँव के किनारे तक ले गया। मगर अजीब बात थी, किनारे पर पहुचकर उरशिमा उस जगह को तुरंत पहचान नहीं पाया कि यह उसका वही गाँव है, जहाँ वह रहता था। गलियाँ तो परिचित, लेकिन अलग थीं। घर और लोग- वे जाने-पहचाने से अजनबी लगने लगे। चिंतित होकर, वह अपनी झोपड़ी को खोजने चला गया।

वहाँ पहुँचकर, उसने एक अजनबी से उस बूढ़ी औरत के बारे में पूछा जो वहाँ रहा करती थी। यह सुनकर उस आदमी की आँखें आश्चर्य से फैल गईं। उसने समझाया कि बूढ़ी औरत सैकड़ों साल पहले मर गई थी और उरशिमा तारो नाम के मछुआरे के बारे में केवल किंवदंतियाँ ही हैं।

इस बात से हैरान रहकर, उरशिमा को एहसास हुआ कि पानी के नीचे महल में उनका समय कुछ दिनों के लिए नहीं था लेकिन सैकड़ों वर्षों के लिए था। उसे याद आया कि राजकुमारी ओटोहिम ने जो रहस्यमय लकड़ी का बक्सा दिया था , ऐसा उस बक्से में क्या था! निराशा में डूब कर उसने बक्सा खोल दिया। सैंकड़ो साल और उन सालों का बोझ उस बक्से के अन्दर से एक सफ़ेद धुंए के रूप निकलता है और  उरशिमा को बूढ़ा करने लगता है उसी समय उरशिमा वहां गिर जाता है और तुरंत वह बिखर जाता है।

उरशिमा तारो (मछुआरा और कछुआ) की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

संदेश: उरशिमा तारो की कहानी बताती है कि समय कैसे गुजरता है, और हमारे कार्यों के अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं।

रॉयल स्टोन सूप (शाही पत्थर का सूप)

बहुत समय पहले फारस (ईरान) में एक चतुर, लेकिन गरीब यात्री एक गाँव से गुज़रा। कई दिनों तक भटकने के बाद वह थक गया और भूखा था। वह गांव वालों से थोड़ा सा भोजन देने की विनती करने का फैसला करता है।

गाँव वाले सावधान थे। इस अंजान यात्री पर उन्हें भरोसा नहीं था। इसलिए उन्होंने उसके अनुरोध को अस्वीकार कर उसे वहाँ से चले जाने को कहा। लेकिन यात्री हिम्मत नहीं हारने वाला था।

उसने एक बड़ा बर्तन निकाला, उसे एक आग पर रख दिया, और उसे नज़दीक की नदी से पानी से भर दिया। फिर उसने अपनी जेब से एक चिकना, गोल पत्थर निकाला और सजावटी भाव से उसे उबलते पानी में डाल दिया।

जिज्ञासु ग्रामीण एकत्रित हो गए, यह देखने के लिए कि वह क्या कर रहा है। “मैं शाही पत्थर का सूप बना रहा हूँ,” यात्री ने बड़े ही उत्साह भरे अंदाज़ में घोषणा की। “यह सबसे उत्तम व्यंजन है, लेकिन इसमें कुछ चीजों की कमी है…

“इसमें किस चीज़ की कमी है?” एक ग्रामीण ने जिज्ञासा से पूछा।

“अगर इसमें सिर्फ थोड़ा सा नमक और काली मिर्च होती, तो इसका स्वाद बिलकुल बेहतरीन हो जाता,” यात्री मुस्कुरा कर बोला।

एक ग्रामीण ने उत्सुकतावश अपने घर से कुछ मसाले लाए और उन्हें बर्तन में डाल दिया।

“अद्भुत!” यात्री ने कहा। “लेकिन थोड़ा प्याज इसे अधिक स्वादिष्ट बना देगा।”

एक ग्रामीण जल्दी से कुछ प्याज लाया और उन्हें सूप में शामिल कर दिया गया। यात्री इसे चखते हुए कहता है, “वाह! लेकिन कुछ गाजर, और थोड़ा सा मांस इस ज़ायके को अकल्पनीय बना देगा।”

एक-एक करके, कुछ गाजर, थोड़ा मांस, आलू, सब्जियाँ इकट्ठा की गईं, और आखिरकार एक बड़ा बर्तन सुगंधित सूप से भर गया! सभी गाँव वालों ने यात्री की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की, उन्होंने साथ मिलकर एक शानदार दावत तैयार की थी।

रॉयल स्टोन सूप (शाही पत्थर का सूप) की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

कहानी का संदेश: ‘रॉयल स्टोन सूप’ की कहानी सामुदायिक भावना, और साझा करने की शक्ति पर है। हमें पता चलता है कि थोड़े-थोड़े सहयोग से अद्भुत चीज़ें पैदा की जा सकती हैं। इसी भावना से अंजान लोग आपसी संदेह को मिटाकर साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

अगर आपको लगता है कि कहानी के साथ किसी छवि से कहानी की संदेश ज़्यादा मज़बूत होगा तो बताइएगा, मैं एक सुझाव आपके लिए तैयार करुँगा ।

होशियार लड़की

प्राचीन फारस (ईरान) में, एक गाँव में, एक चतुर और सुंदर युवती रहती थी। उसकी बुद्धि और दयालुता के लिए उसकी पूरे गाँव में प्रशंसा की जाती थी। लेकिन लोग उसकी बड़ाई से अक्सर जलते भी थे। एक दिन, गाँव के सबसे प्रतिष्ठित बुज़ुर्ग ने उस युवती के बारे में सुना और फैसला किया कि वो उस काबिलियत की जाँच ले।

उसने लड़की को अपने कक्ष में बुलाया और उससे तीन पहेलियाँ पूछी:

  • “वह क्या है जो चलता है पर पैर नहीं होते, आवाज़ करता है पर मुँह नहीं होता, बिस्तर रखता है पर कभी सोता नहीं ?”
  • “वह क्या है जो बिना पैदा हुए रो सकता है, बिना सांस लिए हंस सकता है और हवा के बिना आहें भर सकता है?”
  • “वह क्या है जो जवां पैदा होता है, और बूढ़ा होते हुए मर जाता है?”

लड़की शांत थी, उसके दिमाग में जवाब कौंध गए। पहली पहेली का जवाब देते हुए वो कहती है कि “बुज़ुर्ग जी, इसका जवाब है नदी”। वह बतलाती है कि कैसे नदी बहती है पर पैर नहीं होते, लहरों की आवाज़ है पर मुँह नहीं, और अपना रास्ता (river bed) खुद बनाती है, पर सोती नहीं।

दूसरी पहेली को लेकर वो बोलीं “इसका जवाब है, बादल । बिना पैदा हुए भी बादल रो सकते हैं (बारिश में), हवा से हँसते भी हैं (गडगड़ाहट में ) और आह भी भरते हैं।”

तीसरी पहेली का उत्तर जानकार बुज़ुर्ग ख़ासे प्रभावित हुए, “इसका जवाब है चाँद”। युवती बताती है कि कैसे चाँद नया, (अमावस्या), फिर चमकदार युवा (पूर्णिमा), और अंत में एक पुराने मुरझाए हुए दरांती की तरह ढल जाता है।

बुज़ुर्ग लड़की की बुद्धि से सचमुच चकित था। उस दिन उस गाँव की उस साधारण लड़की के लिए उनके दिल में बहुत आदर जाग उठा और उन्होने घोषणा करी कि गाँव की वह अब तक की सबसे चतुर युवती है।

 “होशियार लड़की” की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

संदेश: बुद्धिमान लड़की की कहानी दिमाग की ताक़त का महत्व दर्शाती है। यह लड़की अपनी सतर्क बुद्धि और संकल्प की बदौलत गाँव में अहम स्थान पा लेती है, और एक आम गाँव की लड़की इस कहानी के ज़रिए हम को याद दिलाती है कि शिक्षा, मेहनत और बौद्धिक शक्ति सभी इंसानों का आभूषण बन सकती है।

नाचती राजकुमारियाँ

बहुत समय पहले, स्पेन के राज्य में, एक बूढ़ा राजा रहता था जिसकी बारह खूबसूरत बेटियाँ थीं, राजकुमारियाँ। लेकिन उनके बारे में एक राज था, जो बूढ़े राजा को सता रहा था। हर सुबह, उनकी नाज़ुक जूतियों को जर्जर अवस्था में देख के वह समझ जाता कि उसकी राजकुमारियां पूरी रात किसी अज्ञात जगह पे नाचती रहती हैं।

बादशाह इस चिंता में सूखता जा रहा था कि रात को उसकी बेटियां कहाँ रहती हैं? इस रहस्य को उजागर करने के लिए उसने घोषणा की कि जो कोई भी इस रहस्य को सुलझाएगा उसे एक राजकुमारी के हाथ का इनाम और आधा राज्य दिया जाएगा। लेकिन अगर ऐसा करने में नाकाम रहे, तो ऐसे वीर-प्रयास करने वाले की जान चली जाएगी।

कई बहादुर राजकुमार और शूरवीर इस चुनौती को स्वीकारने के लिए आए, लेकिन सारे असफल रहे। सब को रहस्य की जाँच कर के बताते करते समय राजा द्वारा पकड़वा लिया जाता। राजकुमारियाँ शराब को पीकर वें सोने का नाटक करती, मगर जब सब निंद में होते तो किसी गुप्त रास्ते से निकलके खूब नाचती। जब शूरवीर सुराग खोजते खोजते उनके ठिकाने पर पहुंचते तो नाच-गाकर थकीं राजकुमारियाँ उन रास्तों से वापस महल आकर अपने कमरों में सोने का दिखावा करती थीं।

एक दिन, एक बुद्धिमान बूढ़ा सैनिक, जिसने कई लड़ाइयाँ लड़ी थीं, राज्य में दाखिल हुआ। इस चुनौती के बारे में सुनने के बाद, उन्होंने भी अपनी किस्मत आजमाने का फैसला कर लिया। इस बार राजा ने शक की वजह से कुछ शर्ते रखी:

शाम को सैनिक को शयनकक्षों में सोने से पहले कुछ पिलाया जाएगा – (राजकुमारियों पर शक था कि शायद ये पेय ही गहरी नींद के लिए ज़िम्मेदार रहा होगा, जिससे पिछले प्रयास करने वाले राजकुमारियों के पीछे जाने में नाकाम रहे )। सैनिक से सख्त हिदायत दी गई कि उन्हें उस पेय को नहीं पीना, बस पीने का नाटक करना है जब राजकुमारियाँ पास के कमरे में हों।

इसके बाद , बूढ़े सैनिक को बारह बिस्तरों वाले भव्य शयनकक्ष के कोने में छिप कर बैठने की मंज़ूरी दे दी गई ।

दिए गए पेय को सैनिक ने नहीं पिया । जब सब गहरी नींद में डूब गए, तो आधी रात के बाद एक रहस्यमयी, गुप्त दरवाज़ा बिस्तर में से खुद-ब-खुद खुला। बारह राजकुमारियां एक के बाद एक उठ कर उस खुले रास्ते से नीचे ओझल हो गईं। हैरान सैनिक धीरे से उनका पीछा करने लगा।

यह एक भूमिगत मार्ग था जिसके नीचे जाने पर वो जादुई बगीचों की एक पूरी दुनिया तक पहुंच जाता था। उस दुनिया में पेड़ों पर चांदी के पत्ते थे, सोने के पत्ते थे, और कुछ पेड़ों पर पन्ने और हीरे जड़े हुए थे। वहां एक विशाल झील भी थी जिस पर बारह सुंदर नावें सफ़ेद गद्दे लगी खड़ी थीं। और हर नाव में एक सुंदर राजकुमार भी इंतज़ार कर रहा था। राजकुमारियाँ नावों पर सवार हुईं और झील की दूसरी ओर एक शानदार महल तक गईं, जहाँ रात भर उन्होंने शराब पी, बड़े चाव से नाचे, और राजकुमारों के साथ मज़े किए।

सैनिक ने ये सब अपने लिए देख तो लिया , मगर सबूत चाहिए भी था इस राज़ को बेपर्दा करने के लिए। सोचा उसने कि वापस जाते वक्त इस जादुई बगीचे से कुछ फूल, एक चांदी की पत्ती, एक सोने की पत्ती और हीरे से जड़ा एक फल अपने साथ ले जाएँगे। इस निशानी से राजा को सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।

सुबह होने से पहले, नावों में एक बार फिर बैठ के सब महल से वापस गुप्त रास्ते से होते हुए अपने बिस्तर पर पहुँच गए, मानो सो रहे हों। बूढ़ा सैनिक भी अपना सबूत इक्कठा करके और पहले पहुँच कर वेश बदल के बड़े शांति से अपने कोने में बैठ गया।

सुबह होते ही सब कुछ ऐसे हुआ जैसे रोज़ होता था। बारह राजकुमारियों ने ख़ूब आश्चर्य और थके होने का नाटक किया, और पूछने लगीं उनसे कि रात कैसे बीती। बूढ़े सैनिक ने अपना नाटक जारी रखते हुए उन्हें एक अजीब सपने के बारे में बताया जो उसने देखा था। उसने बारह राजकुमारियों को अपने सपने की जानकारी देते हुए एक अद्भुत बगीचे का बखान किया जहाँ चांदी, सोने और हीरों के पेड़ खड़े थे। उसने एक खूबसूरत झील में सफ़ेद रेशमी गद्दों वाली नावों में राजकुमारों के साथ महल जाने जैसा भी कुछ भी सुनाया। कहानी समाप्त करके अपने सपने की सच्चाई ज़ाहिर करने के लिए अपने पास से उसने रखे वे टहनियाँ और फल भी सबके सामने ला दिए।

उन चमकते प्रमाणों को देखकर सब दंग रह गए और बारहों राजकुमारियों का राज़ ज़ाहिर हो गया। बूढ़े सैनिक के साहस से खुश होकर, राजा ने अपने वादे को पूरा किया। एक शानदार समारोह का आयोजन किया, जहाँ उन्होंने अपनी सबसे प्रिय बेटी की शादी बूढ़े बुद्धिमान सैनिक से कर दी और उसे आधा राज्य दे दिया।

“नाचती राजकुमारी” की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

संदेश: यह कहानी साहस, बुद्धि और दृढ़ संकल्प का एक सुंदर उदाहरण है। हमें समझ आता है कि कभी हार नहीं माननी चाहिये और दिमाग का इस्तेमाल सारे बंद दरवाज़ों की कुंजी का काम कर सकता है।

भोला और चालाक शेर

एक घने जंगल में भोला नाम का एक शेर रहता था। भोला ताकतवर तो था, पर बुद्धि में थोड़ा कच्चा। उसी जंगल में चालाक नाम की एक लोमड़ी भी रहती थी। चालाक बहुत धूर्त थी और हमेशा शेर को बेवकूफ बनाकर उसकी शिकार की हुई चीज़ें हड़प जाती थी।

एक दिन, शेर ने बड़ी मेहनत के बाद एक हिरण का शिकार किया। भोला थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा, “इतने बड़े हिरण को मैं अकेले तो खा नहीं सकता। अच्छा होगा अगर इसे कुछ दिनों के लिए छिपा दूं।”

इसी बीच चालाक लोमड़ी वहां आ पहुंची। शेर को सोच में डूबा देखकर उसने पूछा, “शेर भाई, क्या सोच रहे हो?”

भोला बोला, “इस हिरण को लेकर थोड़ा परेशान हूं। इसे कैसे छिपाऊं ताकि कोई दूसरा जानवर इसे खा ना ले?”

चालाक लोमड़ी ने मौका देखकर कहा, “अरे ये तो कोई बड़ी बात नहीं। तुम इसका पहरा दो, मैं अभी पास के गांव से एक रस्सी लेकर आती हूं। इससे इसे पेड़ पर टांग देंगे।”

भोला शेर को यह बात सही लगी और तभी लोमड़ी ने कहा पर इसमें एक दिक्कत है रस्सी भरी है मुझे लायी नहीं जाएगी, तुम पास के गाँव जाके रस्सी ले आओ तब तक मै यहाँ पर पहरा देती हूँ । अब शेर रस्सी लेने के लिए वहां से चल देता है इस मौके का फायदा उठाकर के लोमड़ी हिरण को लेकर भाग जाती है । काफी देर तक इंतज़ार करने के बाद जब लोमड़ी वापस नहीं आई तो शेर को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ।

“भोला और चालक शेर ”की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

उस दिन से शेर ने सबक सीख लिया कि सिर्फ ताकत काफी नहीं होती, कभी-कभी दिमाग का इस्तेमाल भी करना पड़ता है।

मुझे बताइए आपको कहानी कैसी लगी!

संपागिता की कथा

प्राचीन महारलिका राज्य में सुभूमि नाम की एक बेहद खूबसूरत राजकुमारी रहती थी। उसका हृदय उसकी मुस्कान की तरह कोमल था, और राज्य के लोग उसे बहुत प्यार करते थे। सुभूमि को अक्सर फूलों के बगीचे में घूमते हुए पाया जाता था, उनके रंगों और मादक सुगंध से वह खिंची चली आती थी।

एक दिन, मगाला नाम का एक युवा राजकुमार पड़ोसी राज्य से एक गठबंधन बनाने के उद्देश्य से आया। मगाला बहादुर, मजबूत और सुंदर था। इस मेहमान के लिए सुभूमि का हृदय भावनाओं से हिलोरें लेने लगा, लेकिन वह शर्मीली थी और अपनी भावनाओं को कैसे प्रकट करे, यह उसे पक्का पता नहीं था।

तभी समाचार मिला कि पहाड़ों के दूसरी ओर से एक क्रूर कबीले ने हमला करने की धमकी दी है। मगाला ने बहादुरी से महारलिका योद्धाओं का नेतृत्व करने के लिए आगे आया। उसका हृदय उस राज्य और राजकुमारी की रक्षा करने के लिए दृढ़ था जिसे वह चुपके-चुपके प्रेम करता था। सुभूमि ने भारी मन से उसे जाते हुए देखा और आशा के प्रतीक के रूप में मगाला के भाले पर एक रेशमी झंडा बाँध दिया।

युद्ध लंबा और कठिन था, हालांकि महारलिका जीत गया, कई योद्धाओं की जान चली गई, जिनमें मगाला भी शामिल था। दुःख ने सुभूमि को एक अथक तूफान की तरह अपनी चपेट में ले लिया। प्रतिदिन वह वहीं जाती जहाँ से उसने मगाला को आखिरी बार जाते देखा था, उसके आँसू गालों पर से बहते रहते थे।

एक सुबह, उस स्थान पर घुटने टेकते हुए, सुभूमि ने जमीन से एक छोटा सा पौधा निकला हुआ देखा। इसमें कोमल सफेद फूल थे, पहर फूल में पाँच पंखुड़ियाँ थीं, मानो अंधेरे में चमकता तारा हो। और उन फूलों से एक मीठी सी, जानी-पहचानी और कोमल खुशबू आ रही थी।

गाँव की बुद्धिमान बुजुर्ग महिला ने सुभूमि को वहाँ देखा और जो हुआ था उसे समझ कर उसने कहा, “यह फूल आपके दिल में पनपे प्यार से खिलता है राजकुमारी। यह मगाला की आत्मा है, जो आपके पास लौट आई है। अटूट प्रेम के इन फूलों को ‘संपागिता’ कहा जाएगा, जिसका अर्थ है ‘मैं वादा करता हूं।'”

सुभूमि ने पौधे को सावधानी से खोदकर वापस अपने बगीचे में लगा लिया, सफेद तारे के आकार के फूलों और उनकी मनमोहक खुशबू की सराहना करने लगी। जल्द ही, संपागिता की खुशबू राज्य भर में फैल गई। इनकी प्यारी, सफेद पंखुड़ियों में लोगों ने सुभूमि और मगाला के शाश्वत, मगर दुखद प्रेम का प्रतीक देखा।

कृपया बतायें आपको कहानी कैसी लगी!

अंगिया पौधे की कथा

हरे-भरे ऊँचे प्रदेशों में अलीता नाम की एक युवती रहती थी। वह अपनी हाज़िरजवाबी, तेज़ ज़ुबान और कुछ अभिमानी स्वभाव के लिए जानी जाती थी। उसकी सुंदरता के बावजूद, कई बुजुर्ग उसे बहुत घमंडी मानते थे, उसमें वो विनम्रता नहीं थी जिसकी उनकी संस्कृति में उम्मीद की जाती है।

एक दिन, जंगल की एक अनजान पगडंडी पर चलते हुए, अलीता एक खुले स्थान पर पहुँच गई। बीच में एक लंबा, पुराना पेड़ खड़ा था, जिसके पत्ते एक असामान्य चांदी-हरे रंग में झिलमिला रहे थे। जैसे ही वो पत्तियों को छूने के लिए आगे बढ़ी, अचानक एक वृद्ध महिला प्रकट हुई।

“उस पेड़ को मत छुओ, बेटी,” महिला ने चेतावनी दी, उसकी आवाज़ दूर दूर तक गूँजती हुई आई, वह बोली “इसकी आत्मा संवेदनशील है। अनादर दिखाओगी, तो यह तुम्हें एक सबक सिखाएगी।”

अलीता, चौंक तो गई, पर उसका घमंड आहत हुआ, “अंधविश्वास! एक पौधे में कोई खास भावनाएँ नहीं होतीं । मुझे देखिए!” उसने अकड़ के साथ पेड़ के चमकीले पत्तों को अपनी उँगलियों से छुआ। फौरन पत्तियाँ अंदर की ओर मुड़ गईं, पूरी शाखा उसके स्पर्श से सिकुड़ गई।

स्तब्ध हो कर अलीता को पीछे हटना पड़ा। बूढ़ी औरत धीरे से हँसी, उसकी आँखों में एक अजीब सी समझदारी झलक रही थी। “यह है अंगिया का पेड़, बच्चे। इसकी आत्मा उसके साथ किए गए व्यवहार को झलकाती है। तुमने पने घमंड के स्थ इए छुआ है और इसने खुद को तुम्हारी कठोरता से दूर कर लिया। ”

अलिता शर्मिंदा तो थी, मगर वह स्वीकार करने को तैयार नहीं थी, वह मुड़ी और झल्ला कर चली गई। उस दिन से, वह जहाँ भी जाती, उसे वह अंगिया नाम से जाने जाने वाले पौधे नज़र आने लगते। उस पेड़ के पत्ते रूखे, अभिमानी हाथों लगने से सिकुड़ जाते थे, पर देखभाल से किए गए स्पर्श पर धीरे से खुल जाते।

संवेदनशील पौधे की बात गाँवों में फैल गई। बच्चों ने अपनी मासूमियत में, इसका सबक तुरंत समझ लिया। कोमल शब्दों और छुअन से वे इसके पत्तों को खोलने बंद करने में आनंद लेने लगे। हालाँकि, बड़ों को समझने में समय लगा।

जैसे-जैसे अलीता बड़ी होती गई, अंगिया के पौधे की याद बनी रही। जब भी उसका सामना होता, यह उसे नम्रता की ओर ले जाता, इस बात से सचेत करता कि उसके शब्द और कार्य दूसरों को कैसे प्रभावित करते हैं। धीरे-धीरे, समय के साथ और आत्म-चिंतन से, उसे संवेदनशील पौधे में निहित ज्ञान समझ में आने लगा।

“अंगिया के पौधे” की रोचक कहानी (Rochak Kahani) की सीख

वर्षों बाद, अलीता अपनी तेज़ जुबान के लिए नहीं, बल्कि अपने दयालु हृदय और सावधानीपूर्वक बोली के लिए जानी जाने लगी। लोगों ने महसूस किया कि जिस तरह अंगिया अभिमान के आगे बंद हो जाता है, उसी तरह एक इंसान का दिल वास्तव में फलने-फूलने के लिए विनम्रता और सम्मान के लिए खुला रहना चाहिए।

मुझे बताइए आपको अनुवाद कैसा लगा। क्या आप किसी विशेष विषय या सीख वाली कोई और लोक कथा सुनना चाहेंगे?

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  • THE VOICE THAT YOU HEARD IN THE STORIES, IS OF DEEPSHIKHA.EVERY STORY IS INCOMPLETE WITHOUT A PROPER NARRATION.

    Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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Deepshikha choudhary

Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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