Easy Hindi Kahani For Class 1
Story 1
चींटी और जलेबी
एक छोटी चींटी थी। उसका नाम था भोली भोली को भूख लगी थी।
वह भोजन की तलाश करते-करते एक घर में घुस गई। वहाँ उसे एक जलेबी का टुकड़ा मिला।
उसने जलेबी खाना चाही। पर वह रुक गई। उसे अपने भाई भोलू की याद आ गई।
उसने सोचा- घर ले जाऊँगी तो दोनों मिलकर जलेबी खाएँगे भोली जलेबी लेकर चल पड़ी।
कुछ ही देर में वह घर पहुँच गई। फिर दोनों ने मिलकर जलेबी खाई ।
Story 2
गिलहरी
रविवार का दिन था। मीनू घर के आँगन में खेल रही थी। उसके साथ आस-पड़ोस के बच्चे भी थे।
खेलते-खेलते मीनू की नजर एक गिलहरी पर पड़ी।
गिलहरी के पैर में चोट लगी थी। मीनू ने खेल बीच में ही छोड़ दिया। मीनू गिलहरी की तरफ भागी ।
उसने गिलहरी को गोद में उठा लिया। उसने एक खाली गमले में गिलहरी को रखा।
उसके पैर में थोड़ी-सी साफ़ मिट्टी लगाकर उसके पास गेहूँ और पानी रख दिया। थोडी देर में गिलहरी फुदक कर बाहर भाग गई।
Story 3
चिड़िया और चींटी
पेड़ पर एक चिड़िया और उसके चार बच्चे रहते थे। उसी पेड़ के नीचे चींटियाँ भी रहती थीं। एक दिन चिड़िया खाना लाने गई। उसके बच्चे भूख से चीं-चीं करने लगे। चींटियों ने बच्चों का रोना सुना। उन्होंने गेहूँ के दाने घोंसले में रख दिए। बच्चों ने दाने खाए और चुप हो गए। चिड़िया रोटी लेकर आई। बच्चों ने उसे सारी बात बताई ।
चिड़िया ने खुश होकर रोटी का टुकड़ा नीचे गिरा दिया। चींटियाँ भी खुश होकर रोटी खाने लगीं।
Story 4
चीकू दुकानदार
चाचाजी काम से बाहर गए हुए थे। चीकू दुकान संभाल रहा था। वापस आकर उन्होंने देखा कि चीकू अच्छे से दुकान संभाल रहा है। उन्होंने खुश होकर चीकू को टॉफी लेने के लिए कहा। चीकू बोला- आप ही दे दीजिए । चाचाजी ने मुट्ठी भर टॉफियाँ निकालीं और चीकू को दे दीं। फिर चाचाजी ने पूछा- तुमने खुद टॉफियाँ क्यों नहीं लीं? चीकू ने कहा- मेरी मुट्ठी आपसे छोटी है। आपकी मुट्ठी से मुझे ज़्यादा टॉफियाँ मिल गई।
Story 5
बारिश
बहुत तेज उमस के बाद बारिश हो रही थी । यह इस मौसम की पहली बारिश थी। बिजली चमक रही थी और बादल भी गरज रहे थे। मिट्टू के घर के आँगन में पानी भर गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? मिट्ठू ने पुराने अखबार उठाए। उसने कागज़ की नाव बनाकर आँगन में तैरा दी। देखते ही देखते बहुत सारी रंग-बिरंगी नाव आँगन में तैर रही थीं।
Story 6
पेन्सिल के टुकड़े
रुनझुन और मुनमुन दोनों स्कूल जा रहे थे। घर से थोड़ी दूर पहुँचकर ही रुनझुन रुक गई। मुनमुन ने पूछा- क्या हुआ रुनझुन ? रुक क्यों गई? रुनझुन ने कहा- मेरी पेंसिल घर पर ही रह गई। अब मैं लिखूँगी किससे? मुनमुन ने कुछ देर सोचा। उसने पीठ से अपना बैग उतारा। बैग से उसने अपनी पेन्सिल निकाली । पेन्सिल के उसने दो टुकड़े कर दिए। एक टुकड़ा रुनझुन को देते हुए वह बोली- यह लो, अब तुम्हें घर वापस नहीं जाना पड़ेगा ।
Story 7
टूटी चोंच का तोता
आज कक्षा में नीलम मैडम एक खेल खिला रही हैं। खेल बहुत आसान है। तोते की चोंच टूटी, टूटी चोंच का तोता । इस बात को बिना रुके पाँच बार दोहराना है। जो बोल गया, सो जीत गया। जो अटक गया, वह हार गया। जोसफ, रेहाना, तरुण, गगन सब हार गए। बोलते समय सब कहीं न कहीं अटककर रुक गए। अब राखी की बारी आई। अरे वाह! वह तो एक साँस में पाँच बार बिना रुके ही बोल गई। सबने खूब तालियाँ बजाई। राखी जीत गई।
Story 8
बैजू
बैजू नाम का एक लकड़हारा था। वह जंगल में लकड़ियाँ काट रहा अचानक उसे सामने से एक भेडिया आता दिखा। वह डर गया। उसे लगा कि कहीं भेड़िया उस पर हमला न कर दे। उसे एक उपाय सूझा। वह जोर-जोर से बोलने लगा- अगर आज मुझे कोई भेड़िया नहीं मिला तो शेर मुझे मार डालेगा। भेड़िया सोच में पड़ गया। तभी ऊपर से लकड़हारे की कुल्हाड़ी नीचे गिर गई। कुल्हाड़ी देखकर भेड़िया डरकर भाग खड़ा हुआ। बैजू कुल्हाड़ी और लकड़ियाँ उठाकर घर की तरफ चल दिया।
Story 9
आँख मिचौली
रहीम दोस्तों के साथ आँख मिचौली खेल रहा था । गोलू चोर बना था। उसने आँखें बंद ון की। सभी बच्चे जल्दी से छुप गए। छुपकर सभी ने एक साथ आवाज़ लगाई-3 -आ जाओ। गोलू ने खोजना शुरू किया। दरवाज़े के पीछे शबाना और झाड़ी में रोहन मिला। पेड़ के पीछे से संजू पकड़ा गया। अरे, रहीम कहीं नहीं मिल रहा। अचानक पेड़ की डाली पकड़कर कोई नीचे कूदा। वह रहीम था। उसने गोलू को छू दिया। गोलू को फिर से चोर बनना पड़ा।
Story 10
शरारत
दादाजी कुछ ढूँढ रहे थे। उन्होंने सारा घर छान लिया। कहीं कुछ नहीं मिला। सबा ने पूछा- दादाजी, आप क्या ढूँढ रहे हैं? दादाजी बोले- बेटा, मेरा चश्मा कहीं नहीं मिल रहा है। मैं अख़बार कैसे पढूँ? सबा भी चश्मा ढूँढने लगी। तभी टेपे पूँछ हिलाता हुआ आया। अरे, चश्मा तो टेपे की आँखों पर है। सबा और दादाजी एक साथ बोले। टेपे ने ‘भौं-भौं’ करते हुए आरिफ की तरफ इशारा किया। आरिफ हँसने लगा। दादाजी और सबा समझ गए। यह सब आरिफ की ही शरारत है।
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