Akbar Birbal ki Kahaniyan hamesha se hi bacchon ke liye majedar or shikshaprad rahi hai yah kahani अकबार की मूँछ (AKBAR KI MOONCH) class 2, class 3, class 4 & 5 ke bacchon ke liye upyukt hain. yahan par har kahani ka likhit evam maukhik sansakran uplabdh hai , jisse har ek bacchon ko kahani padhne evam samjhne me asani ho or kahani ka anand liya ja sake.
एक बार अकबर ने दरबार में बड़ा अजीब प्रश्न किया, “यदि कोई मेरी दाढ़ी खींचे तो मैं उसे क्या दण्ड दूँ?”
प्रश्न सुनकर सब चौंक गये। इतना दुःसाहस कौन कर सकता है? सभी दरबारियों ने अलग-अलग प्रकार के दण्ड देने को कहा।
“उसे हाथी के पैरों के नीचे कुचला जाना चाहिये।” एक ने कहा। “जो ऐसा दुःसाहस करे उसके हाथ काट देने चाहियें।“ दूसरे ने कहा। किसी अन्य ने कहा, “उसे मृत्यु-दण्ड दिया जाना चाहिये।“
अकबर बारी-बारी से उनसे पूछते चले गये। सबसे अन्त में उन्होंने बीरबल पर दृष्टि डाली, जो अब तक कुछ ना बोला था।
बीरबल मुस्कुराया और बोला,”महाराज, उसको प्रेम करते हुए उसको खाने को मिठाईयां देना।“ अकबर के सिवा सबको यह सुनकर धक्का लगा। अकबर ने पूछा, “तुम क्या कहना चाहते हो?” बीरबल ने जवाब दिया, “आपके पोती-पोतों के सिवा आपकी दाढ़ी खींचने की हिम्मत कौन कर सकता है?” अकबर मुस्कुराये और सोचा कि बीरबल कितना बुद्धिमान है। उस शाम अकबर के पोती-पोते उनकी गोद में खेल रहे थे। उन्होंने अपने दादा की दाढ़ी खींच ली तब अकबर ने उन्हें प्यार से मिठाई दी।
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