---Advertisement---

मूर्खों की खोज

By KahaniVala

Updated on:

Follow Us
---Advertisement---
Akbar Birbal Stories in Hindi
अकबर और बीरबल राजदरबार मे बात करते हुए -अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ

अकबर बीरबल की कहानियाँ हमेशा से ही बच्चों के लिए मजेदार होने के साथ -साथ शिक्षाप्रद भी हैं

एक बार बादशाह अकबर को लगा कि अब आगरा में कोई मूर्ख नहीं बचा है। यह बात उन्होंने बीरबल को बतायी, “मैंने शहर में मूर्खों को खोजने का प्रयत्न किया किन्तु कोई मूर्ख न मिल सका।“ बीरबल ने जवाब दिया, “आपको गर्व होना चाहिये कि हमारे शहर में केवल बुद्धिमान लोग ही रहते हैं।”

 अकबर बोले, “तुम समझ नहीं रहे हो। मुझे ये समझ नहीं आ रहा की अगर हमे मूर्खों को खोजना हो तो हम किस प्रकार मूर्खों को खोजें?”

 बीरबल ने कहा, “कभी-कभी तो बुद्धिमान व्यक्ति भी ग़लती कर देता है। यदि हम उनको खोजें तो गिनना भी कठिन हो जायेगा।”

 इस पर अकबर बोले, “यदि ऐसा है तो मुझे दस मूर्ख चाहियें, मैं तुम्हें दस दिन का समय देता हूँ।’

अगले दिन से बीरबल ने मूर्खों की खोज आरम्भ कर दी। पाँचवें दिन उसने दो व्यक्तियों को बात करते सुना। एक ने दूसरे से पूछा, “यदि तुम्हारे सामने भगवान प्रकट हो जायें तो तुम उनसे क्या माँगोगे?

दूसरे ने जवाब दिया, “अपने बच्चों के लिये एक दूध देने वाली गाय… ।” अब उसने पहले से पूछा, “तुम क्या माँगोगे?”

पहले ने जवाब दिया, “मैं भगवान् से एक चीता मांगूंगा जो तुम्हारी गाय को खा जायेगा।”

इतना सुनकर दूसरा व्यक्ति चीखने-चिल्लाने लगा–

 “इस व्यक्ति के चीते ने मेरी गाय को जान से मार दिया और यह अब मुझे मारेगा।”

उधर से एक अन्य व्यक्ति अपने सिर पर तेल का बर्तन लिये गुज़र रहा था। उन्होंने उससे अपना झगड़ा सुलझाने को कहा। जब उसने उनकी बात सुनी तो वह सोच में पड़ गया। न तो वहाँ गाय थी, न ही चीता! तो वे किस बात पर लड़ रहे थे?

 उसने कहा, “मुझे लगता है तुम दोनों ही मूर्ख हो । यदि तुम सोचते हो कि मैं भी तुम्हारी तरह मूर्ख हूँ तब यह तेल गिरने पर पानी की तरह बहने लगेगा।” इतना कहकर उसने अपने दोनों हाथ तेल के बर्तन से हटा लिये। बर्तन नीचे गिर कर टूट गया और सारा तेल सड़क पर बह गया। बीरबल ने शीघ्रता से उनके नाम और घर का पता लिख लिया।

जब वह लौट रहा था तो उसने एक व्यक्ति को स्ट्रीट लैम्प में कुछ खोजते हुए देखा। जब बीरबल ने उससे पूछा तो उसने बताया, “मेरी चेन अन्धेरे में खो गयी है, चूँकि यहाँ प्रकाश है। मैंने सोचा क्यों न उस चेन को यहीं खोजा जाये।” बीरबल ने उसका भी नाम लिख लिया।

 अगले दिन बीरबल ने एक व्यक्ति को एक गड्ढे में पड़े देखा, यह गड्ढा गहरा नहीं था फिर भी वह व्यक्ति बाहर निकलने का प्रयत्न नहीं कर रहा थबीरबल ने कहा, “मुझे अपना हाथ पकड़ाओ, मैं तुम्हें बाहर निकाल दूँगा।“

 इतना सुनते ही उसने बीरबल से प्रार्थना की, “कृपया मेरे हाथों को मत छुओ। ये हाथ मेरे पिता के सन्दूक की नाप दर्शा रहे हैं। ऐसा करने पर नाप बिगड़ जायेगा।” बीरबल ने शान्ति से उसका नाम और पता लिख लिया।

 घर लौटते समय उसकी एक व्यक्ति से भेंट हुई। वह हर जगह गड्ढे खोद रहा था। बीरबल ने पूछा, “तुम क्या बो रहे हो?”

व्यक्ति ने जवाब दिया, “मैं कुछ बो नहीं रहा हूँ। मैं अपना कमाया हुआ धन खोज रहा हूँ। वह यहीं कहीं पर दबा हुआ है।”

 बीरबल ने कहा, “तुम्हें पहचान के लिये कोई निशान लगा देना चाहिये था।” वह व्यक्ति तपाक से बोला- “तुम समझते हो मैं मूर्ख हूँ। मैंने धन काले बादल के ठीक नीचे दबाया था।” यह सुनते ही बीरबल ने उसका नाम व पता लिखने में देर नहीं की।

अगले दिन बीरबल फिर प्रतिदिन की तरह मूर्खो की खोज में चल पड़ा। अचानक एक व्यक्ति उससे दौड़ता हुआ टकराया। क्षमा माँगने की बजाये वह बीरबल पर चीख़ा, “ये तुमने क्या कर दिया? मैं अपनी आवाज़ का पीछा कर रहा था और तुमने मुझे रोक दिया।” बीरबल ने उसका नाम व पता लिख लिया। वह मूर्खों की खोज से ऊब चुका था। उसे केवल सात मूर्ख ही मिले थे। बीरबल को अगले दिन दस मूर्खो की सूची देनी थी। दौड़ता हुआ एक शाम को भोजन के पश्चात् खिड़की के पास खड़ा वह यह सोच ही रहा था कि उसने व्यक्ति को अपने सिर पर घास का गट्ठर ले जाते देखा। उस व्यक्ति के पीछे उसका घोड़ा भी आ रहा था। बीरबल तेज़ी से उसके पास गया और उसे रोक कर पूछा, “तुम घास का यह गट्ठर अपने सिर पर क्यों ले जा रहे हो ?

 तुम इसे अपने घोड़े पर क्यों नहीं रख देते ?” वह व्यक्ति बोला, “तुम्हें थोड़ी भी दया नहीं आती, मेरा घोड़ा इतना थका हुआ है कि मुझे नहीं ले जा सकता तो यह घास का गट्ठर कैसे ले जा सकता है?”

 बीरबल ने शीघ्रता से उसका नाम व पता लिख लिया। वह रात भर शान्ति से न सो सका क्योंकि उसे दस मूर्ख खोजने थे। अगले दिन उसने मूर्खो की सूची अकबर को सौंपी, सूची देखकर अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल इसमें तो केवल आठ नाम हैं, दो का क्या हुआ?”

बीरबल ने कहा, “महाराज नवाँ मूर्ख कोई और नहीं मैं ही हूँ, एक मूर्ख की तरह अपने दस दिन मूर्खों की खोज में नष्ट कर दिये!” ” – अकबर बीरबल से सहमत हो गये और बोले, “किन्तु दसवाँ कौन है?

 वह आदर के साथ झुका और बोला – “हुजूर, गुस्ताख़ी माफ़, दसवें मूर्ख आप हैं! राज्य के महत्वपूर्ण मामलों को देखने की बजाये एक बादशाह मूर्खों को ढूंढने में समय नष्ट कर रहा है। “

बीरबल के इस तथ्य को बादशाह समझ गये। उन्होंने बीरबल के इस निर्भीक उत्तर की प्रशंसा की तथा बीरबल को ईनाम दिया।

Author

---Advertisement---

Leave a Comment