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मूर्खों की फेहरिस्त

By KahaniVala

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मूर्खों की फेहरिस्त

एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों के साथ अपने दरबार में किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि सहसा उनके पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि “मैं घोड़ो का व्यापारी हूं। दूर देश में रहता हूं । प्रत्येक देश में जाकर घोड़ो का व्यापार करता हूं।“ उसने ये भी बताया कि “उसके पास बहुत ही बढ़िया नस्ल के घोड़े हैं जिन्हें महाराज के अस्तबल में होना चाहिए। वह उन्हें बेचना भी चाहता है लिहाजा यदि महाराज खरीदना चाहे तो मुझे 5000 सोने के सिक्के बतौर पेशगी दे दें और मैं दो दिन बाद अपने घोड़े लेकर आऊंगा और बेच दूँगा । “

राजा कृष्णदेव राय ने घोड़ों को खरीदने की इच्छा प्रकट की और उस व्यापारी की बातों से प्रभावित होकर उसे 5000 सोने के सिक्के बतौर पेशगी दे दिए। व्यापारी दो दिन बाद आने का वायदा करके चला गया।

उसी दिन शाम को राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम को कागज़ पर कुछ लिखते हुए देखा तो राजा ने तेनालीराम से पूछा- “तेनालीराम यह क्या कर रहे हो तब तेनालीराम ने निर्भय होकर उत्तर दिया कि, महाराज मैं मूर्खों की फेहरिस्त तैयार कर रहा हूं। दुनिया भर के जितने भी मूर्ख हैं मैं उनकी एक सूची तैयार कर रहा हूं।”

यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय को बहुत गुस्सा आया क्योंकि उस फेहरिस्त आर्थात् सूची में सबसे ऊपर राजा कृष्णदेव राय का ही नाम था। तब राजा कृष्णदेव राय ने गुस्से में आकर तेनालीराम से पूछा, “ तेनालीराम क्या तुम हमें मूर्ख समझते हो? जो तुमने हमारा नाम सबसे ऊपर अपनी सूची में लिखा है।”

तेनालीराम ने अपनी चिर परिचित मुस्कान में उत्तर दिया कि, “महाराज वो राजा मूर्ख नहीं तो और क्या है जो बिना किसी जान-पहचान के किसी भी व्यक्ति या व्यापारी को 5000 सोने के सिक्के दे डाले।” यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय मुस्कुराने लगे। और बोले, “इसीलिए तुम्हें हम पर गुस्सा आ रहा है। भाई तुम्हें उस पर शक है कि व्यापारी वापिस नहीं आएगा। परन्तु हमारा विश्वास है कि वह अवश्य आयेगा।”

इतना कहकर राजा ने तेनालीराम से पूछा- “यदि वह वापिस आ गया तो फिर क्या करोगे?, तब तेनालीराम ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया- “महाराज यदि वो व्यापारी वापिस आ गया तो मैं आपका नाम लिस्ट में से काटकर उसका नाम सर्वोपर लिख दूंगा।” यह सुनकर राजा कृष्णदेव राय ठहाका लगा कर हंस दिये।

इस कहानी मे आए कुछ कठिन शब्दों का अर्थ नीचे दिया गया है

  • फेहरिस्त- कोई सूची,
  • सहसा- अचानक,
  • पेशगी – पहले से पैसे देना,
  • चिर परिचित- जाने पहचाने अंदाज मे,
  • सर्वोपर- सबसे ऊपर ।

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