बातूनी कछुवा

पंचतंत्र बच्चों की कहानियों का एक खजाना है उसी खजाने मे से हम आपके लिए लेके आयें है आज बातूनी कछुवा की मजेदार कहानी। यह कहानी मेजदार होने के साथ साथ शिक्षाप्रद भी है । यहाँ पर हर कहानी का मौखिक संस्करण भी उपलब्ध है अगर आप हमे कोई कहानी भेजना चाहते है तो यहाँ 👉🏼👉🏼👉🏼भेज सकतें है ।

दूर जंगल के पार एक तालाब में एक कछुआ रहता था। वह कछुआ बड़ा बातूनी था। उस तालाब में एक दिन एक हंसो का जोड़ा आया , जिन्हे देख कर कछुआ बड़ा खुश हुआ और उनसे बातें करने लगा उनकी कुछ ही समय में हंसों के जोड़े के साथ दोस्ती हो गई।  वे दोनो अपनी यात्रा की तरह-तरह की कहानियाँ सुनाते थे।  कछुआ बड़ा जिज्ञासु (किसी चीज को जानने की इच्छा) होकर बाहर की दुनिया के बारे में बहुत कुछ बाते पूछा करता था।

वो मन ही मन दुनिया देखने के बारे में सोचता था । पर मनमसोस कर रह जाता था, क्योंकि वो जानता था उसके पास पंख नही है जो हंसो की तरह उड़ कर दुनिया देख सके।

एक बार, उस क्षेत्र में सूखा पड़ा और तालाब का पानी भी सूखने लगा।  जानवर मर रहे थे और हंस अपने दोस्त कछुए को लेकर चिंतित थे।  तब उन्होंने एक योजना बनाई कि वो कछुए को अपनी साथ उड़ा कर ले चलेंगे, पर कैसे ले चलेंगे ओर कहाँ ले चलेंगे ? ये सवाल भी उन्हें खाए जा रहे थे।  

 एक दिन उन हंसो को कुछ दूरी एक और झील दिखाई देती है।  कछुआ संशय में था कि वह इतनी दूर कैसे चलेगा।  हंसों को एक युक्ति सूझी।  उन्होंने लाठी के दोनों सिरों को अपनी चोंच से पकड़ लिया और कछुए को इशारा किया कि वह अपने मुंह से लकड़ी के केंद्र (बीच का हिस्सा) को कसकर पकड़ ले।  उड़ने से पहले उन्होंने कछुए को समझाया कि यदि वह हवा मे बोलेगा तो गिर जाएगा इसलिए कुछ भी हो जाए उसे बोलना नहीं है ।
कछुए ने “हाँ” मे सिर झुकाकर‌ जवाब दिया।
यह सुनकर हंस कछुए को ले उड़े । जब वे एक कस्बे के ऊपर से गुजर रहे थे तब लोग इस अनोखे नजारे को देखकर हैरान रह गए।  हर कोई बाहर सड़कों या छतों पर से उन्हें देख रहा था।  कछुआ इतने सारे लोगों को घूरते हुए देख रहा था। इतने सारे लोगों को देखकर वह अपने आप को रोक नहीं पाया।  उसने शरमाते हुए कहा “इन सभी लोगों को देखो”।
बातूनी कछुवा के मुंह से इतना निकल ही था की उसके मुंह से वह लकड़ी छूट गई और वह गिर गया, गिरने से उसकी वहीं मौत हो गई।

कौन कछुए को यात्रा की तरह-तरह की कहानियाँ सुनाते थे ?

कछुए को हंसों का जोडा यात्रा की तरह तरह की कहानियाँ सुनाया करते थे ।

कछुआ मनमसोस कर क्यूँ रह जाता था ?

कछुआ पंख ना होने के कारण दुनिया न देखने के पाने के कारण मनमसोस कर रह जाता था।

हंसों ने कछुए को लकड़ी कहाँ से पकड़ने को कहाँ ?

कछुए को हंसों ने लकड़ी को एकदम बीचों बीच यानि केंद्र से पकड़ने के लिए कहा ।

बातूनी कछुवा इस पंचतंत्र की कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है ?

बातूनी कछुवा कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे अपने से ज्यादा अनुभव वाले लोगों की सलाह माननी चाहिए ।

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