दूसरा जन्म (REBIRTH)

हिन्दी साहित्य मे दूसरा जन्म (REBIRTH) जैसे बहुत मजेदार कहानियाँ मौजूद हैं ऐसी कहानियाँ बच्चों के मन मे कौतूहल के साथ-साथ समाज की भी एक छवि बनाती है। इन कहानियों को बच्चे हमेशा उत्सुक व मुखर होकर सुनते हैं

Tenali raman ki kahani, raja krishan dev ka ek portrait.
ek bar raja krishan dev rai ko sangeet shikhne ka saunk lag gaya

एक बार एकाएक महाराज कृष्णदेव राय की संगीत में रुचि जगी जिसकी पूर्ति करने के लिए दूर-दूर के सभी मशहूर संगीतकारों को बुलाया गया। महाराज संगीत की दुनिया में ऐसा खोये कि उन्होने अपने राज्य के बारे में सुध-बुध लेनी ही छोड़ दी। जिसका परिणाम ये हुआ कि एक दिन उन्होंने दरबार भी जाना छोड़ दियां इससे प्रजा में महाराज की छवि बिगड़ने लगी। इस बात का महाराज के अधिकारियों ने भी फायदा उठाया। उन्होंने देखा कि महाराज राज-काज का कार्य देख नहीं रहे लिहाजा प्रजा से मनमाना कर वसूलने लगे। मनमाने ढंग से प्रजा को तंग करने लगे। यह सब देखकर तेनालीराम बहुत पेरशान हुए और महाराज को सीधे रास्ते पर लाने का उपाय सोचने लगे।

एक सुबह एक व्यक्ति महल में आकर महाराज से मिलने की गुजारिश करने लगा। फिर वह महाराज से मिला और एक पगड़ी और जूता महाराज को देते हुए कहने लगा, कि- “महाराज, ये पगड़ी और जूता मुझे नदी के किनारे पड़े हुए मिले हैं। ये दोनों वस्तुएं तेनालीराम जी की है। जिहाज़ा मैं आपको बताने आया हूं कि तेनालीराम जी ने आत्महत्या कर ली है।”

tenali raman aatm hatya karte hue .
raja krishan dev ko sabak shikhane ke liye , tenali raman ne apni aatmhatya karne ki afwaah udai.

यह सब सुनकर राजा कृष्णदेव राय को विश्वास नहीं हुआ। परन्तु काफी समय के पश्चात् उन्होंने अपने को नियंत्रित करते हुए उस व्यक्ति से तेनालीराम जी की आत्महत्या करने के कारण को पूछना चाहा। तब वह व्यक्ति ने इसका कारण बताते हुए कहा कि, “महाराज वह काफी दिनों से बहुत उदास रहते थे। वह अक्सर कहा करते थे कि मैंने अपने जीवन का सब कुछ अपने महाराज को समर्पित कर दिया था। परन्तु अब ऐसे जीवन का क्या अर्थ है जहां अपने महाराज के दर्शन भी न कर सकें।” यह बात सुनकर राजा कृष्णदेव राय को बहुत दुःख हुआ और उस दिन से उन्होंने अपनी दिनचर्या बना ली। वह रोज़ सुबह संगीत सुनते । रोज़ाना दरबार में जाते । नागरिकों के दुःख सुनते और फैसले करते और रोज रात को वेष बदलकर नगर के हाल-चाल स्वयं पता करते। इससे प्रजा में उनकी छवि फिर से अच्छी बनने लगी। प्रजा उनके गुनगान गाते नहीं थकती।

tenali raman kuch mahine baad vaps se sabha ke andar aaye or unhe dekh kar sab chaunk gaye.

एक रात को जब राजा वेष बदलकर नगर में घूम रहे थे तो एकाएक उन्हें तेनालीराम के परिवार वालों का ख्याल आया उन्होंने ये सोचकर कि तेनालीराम के परिवार वाले खुद को अकेला महसूस करते होंगे, परिवार की सुध-बुध लेनी चाही और उनके घर की तरफ चल दिए वहां जाकर देखा कि तेनालीराम एक ओर बड़े मज़े से सोए हुए पड़े थे। फिर तेनालीराम ने मुस्कुराकर उत्तर दिया, “जी महाराज, यह मेरा दूसरा जन्म है। तब महाराज तेनालीराम की सभी “ बातें समझ गए और उन्हें कल से दरबार में हाजिर होने का आदेश देकर चले गए।

कथा सार

दूसरा जन्म (REBIRTH) कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि यदि कोई आदत हमारे दैनिक कार्यों मे बाधा बनती है तो वह आदत बुरी ही कहलाती है । ऐसे मे हमे हमारे दैनिक कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए ।

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