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झील का राक्षस

By KahaniVala

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एक जंगल में सभी जानवर मिलजुल कर रहते। उस जंगल में एक बहुत ही बड़ी व सुंदर झील थी । जंगल के सभी जानवर उसी झील के पानी से अपनी प्यास बुझाते थे । सब कुछ हँसी खुशी चल रहा था। इसी बीच ना जाने कहाँ से एक भयानक राक्षस इस झील में रहने के लिए आ गया। उस राक्षस ने उस झील पर कब्जा कर लीया, और झील को ही अपना घर बना लिया। राक्षस ने जंगल के सभी जानवरों को उस झील में घुसने से व वहाँ का पानी इस्तेमाल करने से मना कर दिया ।

इसी जंगल में बंदरों का एक विशाल झुंड भी रहता था। इस परेशानी से निपटने के लिए बंदरों ने एक सभा बुलाई। बंदरों के सरदार सभी बंदरों से कहा। साथियों हमारी झील पर एक राक्षस ने कब्जा कर लिया है और अगर हम में से कोई भी वहाँ गया तो वो हमे खा जाएगा। बंदरों ने अपने सरदार से कहा, लेकिन सरदार पानी के बिना हमारा गुज़ारा कैसे होगा। हम तो प्यास से ही मर जाएंगे। सरदार ने कहा मुझे सब पता है, लेकिन अगर हमें शांति से रहना है तो उस झील को छोड़ना ही पड़ेगा। बेहतर होगा कि हम सब नदी के पानी से ही गुज़ारा करें और झील के पानी को भूल जाएं। सभी बंदर मान गए ।

कई साल गुजर गए और इसी बीच जंगल के किसी भी जानवर ने उस झील की ओर रुख नहीं किया। तभी बहुत बड़ा अकाल पड़ा। नदियां तालाब सब सूख गए । खाने और पीने के पानी की किल्लत के चलते जंगल के सभी जानवर उस जंगल को छोड़कर जाने लगे। लेकिन बंदरों की टोली को इस जंगल से बहुत लगाव था। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए बैठक बुलाई। सभी बंदरों ने कहा अगर जल्द ही पानी की व्यवस्था नहीं हुई तो हम सब मर जाएंगे। क्यों ना हम झील का पानी इस्तेमाल करें, वहाँ का पानी कभी नहीं सूखता, लेकिन क्या वो राक्षस मानेगा?

बंदरों के सरदार ने कहा-एक तरीका है। हम सब को उस राक्षस से विनती करनी चाहिए। शायद उसको हम पर तरस आ जाए और वो मान जाये। सभी बंदर झील के पास गए। बंदरों के सरदार ने झील के राक्षस को आवाज लगाई। झील के मालिक कृपया बाहर आकर हमारी गिनती सुनें। थोड़ी देर में ही झील में से राक्षस बाहर निकला। उसकी आंखें गुस्से से लाल वह ज़ोर से चिंघाड़ते हुए बोला तुम लोग कौन हो और यहाँ क्यों आये हो? मैं आराम कर रहा था। मेरी नींद क्यों खराब की इसका अंजाम जानते हो की नहीं? राक्षस की बात सुनकर बंदरों का सरदार विनती करते हुए आवाज में बोला। सरदार महाराज आप शक्तिशाली और महान है। इस जंगल में बहुत बड़ा अकाल पड़ा है भूख प्यास से सभी जानवर बेहाल अगर पानी नहीं मिला तो हम सब मर जाएंगे। हम आपसे इस झील का पानी पीने की इजाजत चाहते हैं ।

राक्षस और गुस्से में बोला मैं तुम में से किसी को भी इस झील में घुसने नहीं दूंगा। अगर किसी ने हिम्मत की तो मैं उसे खा जाऊंगा यह बोलकर राक्षस वापस झील में चला जाता है। सभी बंदर बेहद निराश और हताश हो जाते हैं, लेकिन बंदरों का सरदार कुछ सोचता रहता है। उसके दिमाग में एक तरकीब आती है वो सभी बंदरों को बोलता है। तुम में से कुछ बंदर झील के पास ही एक गहरा गड्ढा खोदो और बाकी के बन्दर मेरे साथ पास के खेतों में चलो।

बंदरों का सरदार बंदरों को लेकर बांस के खेत में चला गया। वहाँ जाकर उसने बंदरों को खेत के कुछ लंबे एवं मजबूत बासों को काटने का आदेश दिया। बंदरों ने अपना काम कर दिया। वहीं दूसरी ओर झील के पास ही गड्ढा खोदा जा चुका था। बंदरों के सरदार ने बांस लिया और बांस का एक सिरा झील में डुबा या और दूसरे सिरे को गड्ढे की तरफ मोड़कर उसमें से ज़ोर ज़ोर से तब तक सास से खींचता रहा जब तक कि उसमें से पानी ना आ गया। देखते ही देखते झील में से पानी उस गड्ढे में जमा होता गया। यह देखकर झील कर राक्षस गुस्से में बाहर आया। लेकिन सारे बन्दर झील के बाहर थे तो वो उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका। राक्षस गुस्से में ही वापस झील में चला गया। बंदरों ने खुशी खुशी झील का पानी पीया और खूब मज़े से वहाँ रहने लगे।

साथियों, इस कहानी से हम लोगों को यह शिक्षा मिलती है बुद्धि बल से बड़ी होती है, चाहे कोई कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो बुद्धि वो समझदारी के सामने उसका बल मायने नहीं रखता। इसलिए बड़ी से बड़ी मुसीबत के समय भी अपना स्वयं नाखून। और बुद्धि से काम लें।

इस कहानी मे आए कुछ कठिन शब्दों का अर्थ नीचे दिया गया है

सभा- बैठक

अकाल – सूखा पड़ना

चिंघाड़ना- जोर से चिल्लाना

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