किसान और साँप (The Farmer And The Snake)

किसान और साँप (The Farmer and The Snake) एक मजेदार ओर शिक्षाप्रद कहानी है जिसे कक्षा 2, कक्षा 3, कक्षा 4 व 5 के बच्चों के लिए उपयुक्त है । यहाँ पर हर कहानी को लिखित के साथ साथ मौखिक रूप से प्रदान किया जाता है , ताकि पढ़ने मे असहज बच्चे भी कहानी का आनंद ले सकें । आप अपनी पसंद की मनोरंजक कहानियाँ हमे भेज भी सकतें है।

एक गांव में एक किसान रहता था। वहाँ पर दो-तीन साल से बारिश नहीं हुई थी, जिस वजह से वहाँ की सारी जमीन सूख चुकी थी । किसान बहुत दुखी था, क्योंकि वो अपने जमीन के ऊपर कोई फसल नहीं उगा पा रहा था । सर्दी का मौसम था| आज किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसे वहाँ एक सांप नजर आया । वह साँप अपना फन फैलाये हुए बैठा हुआ था । किसान के मन में एक बात आई ।

ये सांप काफी सालों से यहाँ  रहता है। इसे भी इस अकाल के समय में  मेरी तरह खाना ढूंढने में परेशानी होगी। फिर किसान ने मन ही मन यह तय किया कि वो हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाएंगा। अगले ही दिन किसान एक कटोरी में दूध ले आया और सांप के बिल के पास रखकर कहने लगा “हे नागराज आपको मेरा प्रणाम, मैंने कभी ध्यान नहीं दिया कि आप भी यही रहते है। सूखे की वजह से मैं तो परेशान हूँ और मुझे लगता है आपको भी परेशानी हो रही होगी इसलिए अब से मैं रोज़ आपको एक कटोरी दूध पिलाया करूँगा” ।

ये बोलकर किसान ने वो कटोरी वही  छोड़ दी और वहाँ से चला। अगले दिन सुबह जब वो कटोरी लेने वापस आया तो उसने देखा की कटोरी में कुछ चमक रहा है । किसान ने कटोरी को उठाकर देखा तो उसके अंदर एक सोने का सिक्का था। फिर किसान हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाता और अगले दिन सुबह हर रोज़ उसे एक सोने का सिक्का मिलता | एक दिन किसान को किसी काम से शहर जाना था, और उसने अपने बेटे को ये जिम्मेदारी सौंपी।

उसने अपने बेटे को कहा बेटा ध्यान से एक कटोरी दूध सांप के बिल के पास रख देना । किसान के बेटे ने अपने पिता के कहे अनुसार  एक कटोरी दूध  साँप के बिल के पास रख दी । अगली सुबह उसे भी सोने का सिक्का मिला। उसके बेटे ने सोचा की यह सांप तो बड़ा कंजूस है जरूर उसके पास  बहुत सारे सोने के सिक्के होंगे। लेकिन यह तो हर रोज़ बस एक ही सिक्का देता है। अगर मैं इसे मार दूँ तो मैं इसके सारे सोने के सिक्के ले सकता हूँ। .

अगली शाम जब लड़का दूध देने के लिए गया तो उसने सांप को देखते ही उस पर छड़ी से वार किया, मगर सांप भी सतर्क था उसे छड़ी तो लगी पर उसने किसान के बेटे को भी डंस लिया। सांप का विष बहुत ही जहरीला था। देखते ही देखते किसान के बेटे की मौत हो गयी  और जख्मी सांप अपने बिल में वापस चला गया। जब किसान वापस लौट कर आया तो उसे अपने बेटे की मृत्यु के बारे में पता चला, साथ ही वह बहुत दुखी और क्रोधित होकर सांप के बिल के पास उसे मारने पहुंचा।

तभी उसने सांप को देखा के साँप को भी काफी चोट आयी है। उसे देखते ही वह समझ गया कि उसके बेटे ने सांप पर हमला किया होगा । वो समझ गया की परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गई होगी कि सांप ने उसके बेटे को डंसा होगा। उसने हाथ जोड़कर सांप से माफी मांगी और सांप से अपने बेटे को वापस लाने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद सांप अपने बिल में जाकर, बाहर आया और उसने किसान को एक जड़ी- बूटी दी।

किसान जड़ी- बूटी लेकर अपने मरे हुए बेटी के पास गया, उसने उसके नाक के पास वो जड़ी-बूटी रखी। थोड़ी देर बाद उसका बेटा खाँसता हुआ उठ खड़ा हुआ। जिंदा होने के बाद किसान के बेटे को उसकी गलती का अहसास हुआ| वो अपने पिता के साथ सांप के बिल के पास गया और उससे हाथ जोड़कर माफी मांगी, और बोला “हे नागराज मुझे क्षमा कर दीजिए। अब मैं किसी भी पशु, पक्षी या जानवर पर हमला नहीं करूँगा। मुझे क्षमा दान दें”। साँप ने भी खुश होकर अपना सिर हिलाया और वापस अपने बिल में चला गया।

इस कहानी से हमें दो सीख मिलती  है पहली ये कि लालच करना बुरी बात और दूसरी सीख ये है की हमे निर्दोष जीवो पे हमला नहीं करना चाहिए। हमें उन्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहिए|  हमें उम्मीद है आपको यह कहानी जरूर पसंद आई होगी ऐसी ही कहानी सुनने के लिए जुड़े रहिये हमसे | हम जल्द ही मिलते हैं एक और नई कहानी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद।

कहानी से जुड़े शब्दार्थ :-

अकाल- सूखे की स्थिति

सतर्क – सावधान रहना

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