SHORT STORY IN HINDI

हिन्दी की छोटी कहानियाँ (SHORT STORY IN HINDI) हमेशा से ही पाठकों के लिए एक खोज का विषय रहा है , हम आपके लिए लेके आयें है हिन्दी की छोटी कहानियों का खजाना जहा आपको मिलेंगी हर प्रकार की छोटी कहानियाँ, जैसे तेनाली रमन की कहानी, अकबर बीरबल की कहानियाँ, पंचतंत्र की कहानियाँ, बेताल पचिसी की कहानियाँ, और प्रख्यात लेखकों जैसे रमेश थानवी की घड़ियों की हड़ताल, गिजुभाई बधेका की कहानियाँ जिन्हे पढ़ कर आपको आनंद या जाएगा ।

छोटी कहानी (SHORT STORY IN HINDI) क्यूँ जरूरी हैं ?

हिन्दी मे छोटी कहानियों को विशेष महत्त्व दिया गया है क्यूंकी अनेकों भारतीय शिक्षाविदों का मानना है की मात्रभाषा मे पढ़ी गई कहानी किसी भी बच्चे के अवचेतन मन को खोलने का काम करती है । Short Story In Hindi यानि हिन्दी की छोटी कहानी बच्चों का सर्वांगीण विकास करती हैं।

हमारे द्वारा दी गई कहानियों मे आपको प्रश्न उत्तर के साथ-साथ, कठिन शब्दों के अर्थ भी मिलेंगे, और साथ ही साथ हर कहानी से जुड़े मौलिक प्रश्न भी दिए जा रहे हैं ।

यदि किसी बच्चे को अभी पढ़ने मे कठिनाई है तो कहानी का मौखिक संस्करण भी दिया जा रहा है ।

फूफू बाबा

एक ब्राह्मण था। उसका एक लड़का था। एक दिन बाप-बेटा पडोस के गांव जाने के लिए निकले। चलते-चलते रास्ता क्या भूले कि घने जंगल में पहुंच गए। उस जंगल में एक चुड़ैल रहती थी।

दोनों को जोर की भूख लगी थी। वो चुड़ैल के घर पहुंचे। चुडैल घर में ही बैठी थी। उसे देख कर बाप–बेटा दोनों घर के कोने में पड़े कुठले में छिप गए। दोपहर होने पर चुड़ैल कहीं बाहर गई और दूध की हंडी ले कर लौटी । फ़िर उसने खीर बनाई। खीर गरम थी। उसने उसे ठंडा करने के लिए एक ओर रख दिया।

बेटे को कड़ाके की भूख लगी थी। खीर देख कर उसके मुंह में पानी आ गया। खाने के लिए वह उतावला होने लगा। वह पिता से बोला, ‘बापू अब तो मुझसे रहा नहीं जाता। मैं बाहर निकल कर खीर खाऊंगा। चाहे चुड़ैल मुझे ही क्यों न खा जाए। पिता ने कहा, ‘अच्छी बात है। धीरे से बाहर निकलना। चुड़ैल की बाएं और बैठ कर खीर खाना । उसकी बाई आंख नकली है। इसलिए वह तुझे देख नहीं पाएगी। बेटा धीरे से बाहर निकला। जैसे ही उसने खीर के बरतन में हाथ डाला, गरम-गरम खीर से उसका हाथ जल गया। वह फूक-फूंक कर हाथ को सहलाने लगा। फूफू आवाज उठने लगी। चुड़ैल ने पहले कभी ऐसी आवाज नहीं सुनी थी। वह एकदम डर गई। उसने सोचा, मेरे घर में यह कौन घुस गया? सचमुच यह कोई फूफू बाबा है। शायद बहुत बड़ा जादूगर हो! वह फ़ोरन भागी। रास्ते में उसे एक सियार मिला। सियार ने पूछा, ‘अरी ओ भूत की बहन!

यों तीर की तरह कहां जा रही हो?’ वह बोली, “अब क्या बताऊं? मेरे घर में फूफू बाबा घुसा है। इतनी बढ़िया खीर बनाई थी मैंने, लेकिन नसीब में हो तब न सियार बोला, ‘डरो मत। आओ, मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। भला चुड़ैल के घर में घुसने की हिम्मत कोन कर सकता है तुमसे तो सारा जमाना डरता है।

चुड़ैल और सियार दोनों घर पहुंचे।.

सियार ने चारों तरफ देखा, तो कहीं कोई भी नजर नहीं आया। हां, कुठले मैं से फूफू की आवाज जरूर उठ रही थी । बेटा अभी भी अपने जले हुए हाथ पर फूंक मार रहा था। सियार बोला, ‘हूं:..कोई है जरूर। चिंता की बात नहीं। कुठले में झांक कर अभी बताता हूं

सियार आगे बढ़ कर कुठले पर चढ़ा और अंदर उतरने लगा । जैसे ही सियार की पूंछ करीब आई अंदर दुबके बेठे ब्राह्मण ने उसे पकड़ कर मरोड़ दिया। सियार चीखने-चिल्लाने लगा, “बाप रे बाप! कुठले में तो कोई मरोड़ी लाल बैठा है! भागो, भागो। यह तो तुम्हारे रे फूफू बाबा का भी बाप मालूम होता है। लेकिन सियार भागता कैसे? उसकी पूंछ तो ब्राह्मण  के हाथ में थी । उसे छुड़ाने के लिए सियार ने ऐसा जोर लगाया कि पूंछ ही टूट गई। वह और चुड़ैल, दोनों अपनी जान बचा कर भाग खड़े हुए।

बाद में ब्राह्मण और उसका बेटा कुठले में से बाहर निकले और खीर खाने के बाद इत्मीनान से अपने घर पहुंच गए ।

कहानी की सीख/ MORAL OF THE STORY

तो बच्चों फूफू बाबा कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में विचलित नहीं होना चाहिए, सद्बुद्धि के प्रयोग से हम बड़ी से बड़ी परेशानी से भी निकल सकतें हैं / THIS SHORT STORY IN HINDI GIVE A LESSON THAT IF WE USE OUR BRAIN AND REMAIN CALM DURING THE TIME OF DIFFICULTY, WE CAN HANDLE ANY KIND OF SITUATION WITH EASE.

इस कहानी में आये हुए कुछ कठिन शब्द

  • कुठला – पुराने समय में अनाज या अन्य सामान रखने के लिए मिटटी से बना बड़ा सा बर्तन
  • हंडी- मिटटी से बना खाना बनाने के प्रयोग में लाया जाने वाला बर्तन

लालची कुत्ता

लालची कुत्ता एक कुत्ते को कहीं से हड्डी मिल गई और वह उसे मुंह में दबाकर भाग निकला। वह किसी ऐसी जगह जा कर उसे खाना चाहता था, जहां और कोई न हो। भागते हुए वह नदी पर बने पुल से होकर गुजरा। एकाएक उसकी नजर पानी में दिखाई दे रही अपनी परछाई पर पड़ी। अपनी परछाई को दूसरा कुत्ता समझकर उसकी हड्डी छीनने के उद्देश्य से वह भौंकने लगा। उसके भौंकते ही मुंह में दबी हड्डी पानी में जा गिरी और लहरों के साथ बह गई। कुत्ता बेचारा भूखा रह गया।

कथा सार

-लालच बुरी बला ।

किसान और साँप (The Farmer And The Snake)

एक गांव में एक किसान रहता था। वहाँ पर दो-तीन साल से बारिश नहीं हुई थी, जिस वजह से वहाँ की सारी जमीन सूख चुकी थी । किसान बहुत दुखी था, क्योंकि वो अपने जमीन के ऊपर कोई फसल नहीं उगा पा रहा था । सर्दी का मौसम था| आज किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसे वहाँ एक सांप नजर आया । वह साँप अपना फन फैलाये हुए बैठा हुआ था । किसान के मन में एक बात आई ।

ये सांप काफी सालों से यहाँ  रहता है। इसे भी इस अकाल के समय में  मेरी तरह खाना ढूंढने में परेशानी होगी। फिर किसान ने मन ही मन यह तय किया कि वो हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाएंगा। अगले ही दिन किसान एक कटोरी में दूध ले आया और सांप के बिल के पास रखकर कहने लगा “हे नागराज आपको मेरा प्रणाम, मैंने कभी ध्यान नहीं दिया कि आप भी यही रहते है। सूखे की वजह से मैं तो परेशान हूँ और मुझे लगता है आपको भी परेशानी हो रही होगी इसलिए अब से मैं रोज़ आपको एक कटोरी दूध पिलाया करूँगा” ।

ये बोलकर किसान ने वो कटोरी वही  छोड़ दी और वहाँ से चला। अगले दिन सुबह जब वो कटोरी लेने वापस आया तो उसने देखा की कटोरी में कुछ चमक रहा है । किसान ने कटोरी को उठाकर देखा तो उसके अंदर एक सोने का सिक्का था। फिर किसान हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाता और अगले दिन सुबह हर रोज़ उसे एक सोने का सिक्का मिलता | एक दिन किसान को किसी काम से शहर जाना था, और उसने अपने बेटे को ये जिम्मेदारी सौंपी।

उसने अपने बेटे को कहा बेटा ध्यान से एक कटोरी दूध सांप के बिल के पास रख देना । किसान के बेटे ने अपने पिता के कहे अनुसार  एक कटोरी दूध  साँप के बिल के पास रख दी । अगली सुबह उसे भी सोने का सिक्का मिला। उसके बेटे ने सोचा की यह सांप तो बड़ा कंजूस है जरूर उसके पास  बहुत सारे सोने के सिक्के होंगे। लेकिन यह तो हर रोज़ बस एक ही सिक्का देता है। अगर मैं इसे मार दूँ तो मैं इसके सारे सोने के सिक्के ले सकता हूँ। .

अगली शाम जब लड़का दूध देने के लिए गया तो उसने सांप को देखते ही उस पर छड़ी से वार किया, मगर सांप भी सतर्क था उसे छड़ी तो लगी पर उसने किसान के बेटे को भी डंस लिया। सांप का विष बहुत ही जहरीला था। देखते ही देखते किसान के बेटे की मौत हो गयी  और जख्मी सांप अपने बिल में वापस चला गया। जब किसान वापस लौट कर आया तो उसे अपने बेटे की मृत्यु के बारे में पता चला, साथ ही वह बहुत दुखी और क्रोधित होकर सांप के बिल के पास उसे मारने पहुंचा।

तभी उसने सांप को देखा के साँप को भी काफी चोट आयी है। उसे देखते ही वह समझ गया कि उसके बेटे ने सांप पर हमला किया होगा । वो समझ गया की परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गई होगी कि सांप ने उसके बेटे को डंसा होगा। उसने हाथ जोड़कर सांप से माफी मांगी और सांप से अपने बेटे को वापस लाने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद सांप अपने बिल में जाकर, बाहर आया और उसने किसान को एक जड़ी- बूटी दी।

किसान जड़ी- बूटी लेकर अपने मरे हुए बेटी के पास गया, उसने उसके नाक के पास वो जड़ी-बूटी रखी। थोड़ी देर बाद उसका बेटा खाँसता हुआ उठ खड़ा हुआ। जिंदा होने के बाद किसान के बेटे को उसकी गलती का अहसास हुआ| वो अपने पिता के साथ सांप के बिल के पास गया और उससे हाथ जोड़कर माफी मांगी, और बोला “हे नागराज मुझे क्षमा कर दीजिए। अब मैं किसी भी पशु, पक्षी या जानवर पर हमला नहीं करूँगा। मुझे क्षमा दान दें”। साँप ने भी खुश होकर अपना सिर हिलाया और वापस अपने बिल में चला गया।

कहानी की सीख / MORAL OF THE STORY

इस कहानी से हमें दो सीख मिलती  है पहली ये कि लालच करना बुरी बात और दूसरी सीख ये है की हमे निर्दोष जीवो पे हमला नहीं करना चाहिए। हमें उन्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहिए/ This short story in Hindi tells us that greed is evil. The second moral of this story is that we do not have to kill innocent animals.

कहानी से जुड़े शब्दार्थ

अकाल- सूखे की स्थिति

सतर्क – सावधान रहना

जब राजा बना भिखारी

एक भिखारी भीख मांगने निकला। उसका सोचना था कि जो कुछ भी मिल जाए, उस पर अधिकार कर लेना चाहिए। 1 दिन वो राजपथ पर बढ़ा जा रहा था। एक घर से उसे कुछ अनाज मिला। वो आगे बढ़ा और मुख्य मार्ग पर आ गया। अचानक उसने देखा कि नगर का राजा रथ पर सवार होकर उसकी ओर आ रहा है। वो सवारी देखने के लिए खड़ा हो गया, लेकिन यह क्या?

राजा की सवारी उसके पास आकर रुक गई। राजा रथ से उतरा और बिखारी के सामने हाथ पसारकर बोला, मुझे कुछ भीख दे दो। देश पर संकट आने वाला है और पंडितों ने बताया है कि आज मार्ग में जो पहला भिखारी मिले उससे भीख मांगे तो संकट टल जाएगा। इसलिए मना मत करना। भिखारी हक्काबक्का रह गया। राजा देश के संकट को टालने के लिए उससे ही भीख मांग रहा है।

भिखारी ने झोली में हाथ डाला तो उसकी मुट्ठी अनाज से भर गई। उसने सोचा इतना नहीं दूंगा। उसने मुट्ठी थोड़ी सी ढीली कर दी और अनाज के कुछ दाने भरे। लेकिन फिर सोचा कि इतना भी नहीं दूंगा, अगर इतना दिया तो तुम्हारा क्या होगा ये सब सोचते विचारते। उसने अनाज के पांच दाने राजा को दे दी। राजा प्रसन्नतापूर्वक उस भीख को लेके वहाँ से चला गया।

भिखारी जब शाम को घर पहुंचा तो उसने अपनी पत्नी से बोला आज तो अनर्थ हो गया, मुझे ही भीख देनी पड़ी, यह कहकर उसने पत्नी को भीख का झोला उतार कर के दे दिया। पत्नी ने जब झोले को पलटा तो उसमें से पांच सोने के सिक्के निकले। ये देख भीखारी पछता कर बोला “मैंने राजा को सभी कुछ क्यों नहीं दे दिया ? अगर मैंने पूरा झोला राजा को दे दिया होता तो आज मेरे पास कितने सारे सोने के सिक्के होते ? और हमारी गरीबी हमेशा के लिए मिट जाती”।

कहानी की सीख

 राजा बना भिखारी कहानी से हमें ये सीख मिलती है की दान देने से संपन्नता बढ़ती है। इसके दान हमेशा ही उदारहृदय से करना चाहिए। ये किसी ना किसी स्वरूप में हमें फायदा ही देता है।

कहानी मे आने वाले कठिन शब्दों के अर्थ-

 अधिकार करना :– अपना मानकर कब्जा कर लेना,

राजपथ :– वह रास्ता जिसके राजा का घर/महल हो

मार्ग– रास्ता

हाथ पसारकर:– कुछ मांगने के लिए हाथ को आगे बढ़ाना/ फैलाना

हक्काबक्का:– हैरान

झोला:– थैला

प्यासा कौवा

पानी की तलाश में भटक रहे एक कौवे को एक घड़ा दिखाई दिया। किंतु उसमें पानी इतना कम था कि कौवे की चोंच उस तक पहुंच ही नहीं पा रही थी। तब कौवे को एक उपाय सूझा वह अपनी चोंच से कंकड़ उठा-उठाकर घड़े में डालने लगा। कंकड़ डलने से धीरे-धीरे पानी e की सतह ऊपर उठने लगी। अंततः पानी घड़े के मुंह तक आ गया और कौवा अपनी सूझबूझ के कारण प्यास बुझाने में सफल रहा।

कथा सार

कथा सार मेहनत का फल सदैव मीठा होता है।

झूठी शान

एक जंगल में पहाड़ की चोटी पर एक किला बना था। किले में उस राज्य की सेना की एक टुकड़ी तैनात थी। किले के एक कोने के बाहर की ओर एक बड़ा सा पेड़ था। उस पेड़ पर एक उल्लू रहता था। वो खाने की तलाश में नीचे घाटी में फैले आस-पास के गांव में जाता। वंहा की चारागाहों और लंबी घास, झाड़ियों में कई छोटे-छोटे कीट पतंग मिलते थे, जिन्हें उल्लू खाता और आराम से अपना जीवन जी रहा था।

पास में ही एक बड़ी झील थी, जिसमें हंस रहते थे। उल्लू पेड़ पर बैठा झील को देखता रहता। उसे हंसों का तैरना और उड़ना देखकर बहुत आनंद आता था। वो सोचता था कि हंस कितना शानदार पक्षी है। एकदम दूध सा सफेद, गुलगुला शरीर। सुराहीदार गर्दन, सुंदर मुख और तेजस्वी आंखें उसकी बड़ी इच्छा थी कि कोई हंस उसे अपना दोस्त बना ले।

एक दिन उल्लू पानी पीने के बहाने झील के किनारे एक झाड़ी के पास उतरा। पास ही एक बहुत सुन्दर और सौम्य हंस पानी में तैर रहा था। झाड़ी की आवाज़ सुनकर वह झाड़ी के पास आया। उल्लू ने बात करने का बहाना ढूंढा और बोला। हंस जी आपकी आज्ञा हो तो पानी पी लूँ? बहुत प्यास लगी है। हंस ने चौंककर से देखा और बोला, मित्र पानी प्रकृति का दिया वरदान है। इस पर किसी एक का अधिकार नहीं बल्कि सबका हक है। उल्लू ने पानी पीकर सिर हिलाया जैसे उसे निराशा हुई। हंस ने पूछा मित्र असंतुष्ट दिख रहे हो? क्या प्यास नहीं बुझी? उल्लू ने कहा पानी की प्यास तो बूझ गई पर आपकी बातों से मुझे ऐसा लगता है कि आप मीठी वाणी और ज्ञान के सागर हैं आपकी बात सुनकर मुझे ज्ञान लेने की प्यास जग गई है, वो कैसे ? हंस मुस्कुराया। और बोला मित्र आप कभी भी यहाँ आ सकते और मुझसे बात कर सकते हैं। मैं जो जानता हूँ वो आपको बताऊँगा और मैं भी आपसे कुछ सीखूंगा। इसके बाद हंस व उल्लू रोज़ मिलने लगे।

एक दिन हंस ने उल्लू को बता दिया कि वो वास्तव में हंसों का राजा हंसराज है। अपना असली परिचय देने के बाद हंस अपने मित्र को निमंत्रण देकर अपने घर ले गया। हंस के यहाँ शाही ठाट थी। खाने के लिए कमल व नरगिस के फूलों के भोजन परोसे गए। उसके अलावा भी बहुत कुछ था। बाद में सौंप इलायची की जगह मोती पेश किए गए। यह देख उल्लू हैरान। अब हंसराज रोजाना ही उल्लू को महल में ले जाकर खिलाने पिलाने लगे। इससे उल्लू को डर लगने लगा कि किसी दिन उसे साधारण समझ के हंसराज उससे दोस्ती ना तोड़ ले इसलिए हंसराज की बराबरी करने के लिए उसने झूठ कह दिया कि वो भी उल्लुओं का राजा उलूकराज है। झूठ कहने के बाद उल्लू को लगा कि उसका भी फर्ज बनता है। हंसराज को अपने घर पर बुलाया जाए।

एक दिन उल्लू ने दुर्ग के भीतर होने वाली गतिविधियों को गौर से देखा और उसके दिमाग में एक योजना आई। उसने महल की बातों को बहुत ध्यान से समझा। सैनिकों के कार्यक्रम को नोट किया। फिर वो हंसराज के पास पहुंचा। जब वो झील पर पहुंचा तब हंसराज कुछ हंस अन्यों के साथ जल में तैर रहे थे। उल्लू को देखते ही हंस बोला “मित्र आप इस समय”? उल्लू ने उत्तर दिया, “हाँ मित्र” मैं आपको आज अपना घर दिखाने वो अपना मेहमान बनाने के लिए लेने आया हूँ। मैं कई बार आपका मेहमान बन चुका हूँ, मुझे भी सेवा का मौका दें, हंस ने टालना चाहा ‘मित्र इतनी जल्दी क्या है फिर कभी चलेंगे’? उल्लू ने कहा ‘आज तो आपको लिए बिना नहीं जाऊंगा’। हंसराज को उल्लू के साथ जाना ही पड़ा।

पहाड़ की चोटी पर बने किले की ओर इशारा कर उल्लू उड़ते उड़ते बोला “वो मेरा किला है”। हंस बहुत प्रभावित हुआ वो दोनों जब उल्लू के घर वाले पेड़ पर उतरे तो किले के सैनिकों की परेड शुरू होने वाली थी। दो सैनिक छत पर बिगुल बजाने लगे। उल्लू किले के सैनिकों के रोज़ के कार्यक्रम को याद कर चुका था इसलिए ठीक समय पर हंसराज को ले आया था। उल्लू :- “देखो मित्र आपके स्वागत में मेरे सैनिक बिगुल बजा रहे है। उसके बाद सैनिक, सेना, और सेनापति सलामी देकर आप को सम्मानित करेगी”। रोज़ की तरह परेड हुई और झंडे की सलामी दी गई। हंस समझा सचमुच उसी के लिए यह सब हो रहा है। उल्लू के इस सम्मान से गदगद होकर हंस बोला, “आप तो एक शूरवीर राजा की भाँति ही राज़ कर रहे हो”। उल्लू ने हंस पर रौब डाला। मैंने अपने सैनिकों को आदेश दिया है कि जब तक मेरे परम मित्र राजा हंसराज मेरे अतिथि है तब तक इसी प्रकार रोज़ बिगुल बजे वो सैनिकों की परेड निकले।

उल्लू को पता था कि सैनिकों का यह हर रोज़ का काम है| हंस को उल्लू ने फल और अखरोट खिलाये। यह सब देखने के बाद भोजन का उतना महत्त्व नहीं रह गया था। सैनिकों की परेड का जादू अपना काम कर चुका था। हंसराज के दिल में उल्लू मित्र के लिए बहुत सम्मान पैदा हो गया । उधर सैनिक टुकड़ी को वहाँ से कूच करने के आदेश मिल चूके थे। दूसरे दिन सैनिक अपना सामान समेटकर जाने लगे तो हंस ने कहा, मित्र देखो आपके सैनिक आपकी आज्ञा के लिए बिना कहीं जा रहे। उल्लू हड़बड़ा कर बोला। किसी ने उन्हें गलत आदेश दिया होगा। मैं अभी रोकता हूँ। ऐसा बोल करके उल्लू चिल्लाया सैनिकों ने उल्लू की आवाज सुनी तो इसे अपशकुन समझकर, जाना स्थगित कर दिया।

दूसरे दिन फिर यही हुआ। सैनिक जाने लगे तो उल्लू ने फिर आवाज़ निकाली सैनिकों के नायक ने क्रोधित होकर सैनिकों को मनहूस उल्लू को तीर मारने का दिया। एक सैनिक ने तीर छोड़ा तीर उल्लू की बगल में बैठे हंस को लगा। तीर लगने पर हंस नीचे गिरा और फड़फड़ा कर मर गया। उल्लू उसके शव के पास दुखी होकर रोने लगा। हाँये मैंने अपनी झूठी शान के चक्कर में अपना परम मित्र को खो दिया। धिक्कार है मुझ पर। उल्लू को आसपास की बिल्कुल भी खबर नहीं थी, वो बेसुध बैठा था। उसके साथ देख एक सियार उस पर झपटा और उसका भी काम तमाम कर दिया।

कहानी की सीख / MORAL OF THE STORY

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें वास्तविकता में जीना चाहिए। झूठी शान से हमेशा नुकसान ही होता है।
MORAL OF THIS SHORT HINDI STORY IS THAT WE HAVE TO LIVE IN REALITY, FALSE PRIDE ALWAYS LEADS TO LOSS.

खरगोश और कछुआ


कई साल पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में खरगोश और कछुआ रहते थे। दोनों के बीच एक दिन एक दोस्ती हुई। एक दिन, खरगोश ने छलांग लगाते हुए कहा, “मैं तुमसे किसी भी प्रतियोगिता में आसानी से जीत सकता हूँ।”

कछुआ थोड़ी सा मुस्कराया और बोला , “तुम जैसे तेज दौड़ने वाले के सामने, मैं कैसे जीत सकता हूँ? पर चलो ठीक है तुम्हारा मन रखने के लिए हम दोनों एक रेस जरूर लगाएंगे ।”

खरगोश और कछुआ ने गाँव के सभी जानवरों को दौड़ में बुलाया। दौड़ के दिन, सभी जानवर उत्साह से भरे थे।

दौड़ शुरू हुई और खरगोश अपनी तेज से कछुए से काफी आगे निकाल जाता है । खरगोश आगे निकाल कर यह सोचता है की उसने बड़ी दूरी तय कर ली है, कछुआ उसे किसी प्रकार भी नहीं पकड़ सकता । खरगोश तेज दौड़ने के कारण थोड़ी देर में ही थक गया था, इसलिए वह एक पेड़ के नीचे आकर आराम करने लगता है ।

दूसरी ओर, कछुआ धीरे-धीरे आ रहा था। उसकी धैर्यशीलता और लगन उसकी अगली चाल को बता रही थी। खरगोश ने देखा कि कछुआ उसकी ओर आ रहा है, यह देखकर वह फिर से तेज दौड़ते हुए कछुआ को पास कर देता है और फिरसे पेड़ के नीचे आराम करने लगता है ।

फिर कुछ ही समय में, कछुआ खरगोश के पास पहुँच जाता है मगर इस बार थका हुआ खरगोश नींद से उठ नहीं पाता। अंत में, कछुआ दौड़ जीत जाता है।

कहानी की सीख / MORAL OF THE STORY

इस घटना से सबको यह सिख मिली कि धैर्य, स्थिरता, और लगन किसी भी प्रतिस्पर्धा में महत्वपूर्ण होते हैं। खरगोश ने तो तेज दौड़ में जीतने का ठान लिया था, लेकिन कछुआ ने अपनी लगन, धर्य जैसे गुणों की मदद से उसे हराया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीतने के लिए तेज नहीं, स्थिर और समय के साथ चलना महत्वपूर्ण है।

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Author

  • Deepshikha choudhary

    Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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