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बैल का दूध (OXEN MILK / BAIL KA DOODH )

Hindi Sahitya me Khaniyon ka Bada mehhatav hai , hindi kahaniyaan bachhon ke mansik vikas ke liye ek unnat or jacha parkha madhyam hai,Yahan PAr hmare dwara tenali raman ki ek kahani बैल का दूध (OXEN MILK / BAIL KA DOODH ) prastut ki gayi hai jo prathmik istar ke bachhon ke liye upyukt hai . Yahan par har kahani ka likhit evam maukhik sansakran uplabdh hai , jisse har ek bacchon ko kahani padhne evam samjhne me asani ho or kahani ka anand liya ja sake.

एक बार राजा  कृष्णदेव   के दिमाग में बात आयी कि कोई ऐसी बात तेनाली रमण  के सामने रखी जाए, जिसकी समस्या का निदान उनके पास न हो, यही सोचकर उन्होंने तेनाली रमण  से कहा- “एक असाध्य रोग के लिए वैद्यराज जी ने दवा को बैल के दूध में इस्तेमाल करने की राय दी है। कहीं से बैल का दूध लाकर दो।” “जैसा हुक्म महाराज  ! तलाश करने में वक्त लग सकता है।“ “दो-चार दिन का वक्त ले लो।”

“ठीक है।” तेनाली रमण  छुट्टी लेकर घर जाकर आराम करने लगे। अगली रात को तब, ‘जबकि राजा  कृष्णदेव   के सोने का समय हो चुका था, तेनाली रमण  ने अपनी अट्ठारह वर्षीय बेटी को अपनी समस्या बताकर, कपड़ों के गट्ठर के साथ गोदावरी घाट के उस स्थान पर कपड़े धोने के लिए भेजा, जहां राजा  कृष्णदेव   का शयनकक्ष था। तेनाली रमण  की बेटी ने जाकर आधी रात के समय कपड़े धोने शुरू किये।

कपड़े धोने की आवाज पर राजा  कृष्णदेव   की आंख खुल गयी। उन्होंने सिपाहियों को बुलाकर डांटा और पूछा कि “कौन लड़की कपड़े धो रही है।-उसे रोका क्यों नहीं गया- ?”सिपाहियों ने विनम्र स्वर में कहा- “वह एक निहायत खूबसूरत, जवान, अच्छे कुल खानदान की लड़की नजर आती है। हमने उसे रोका तो उसने हमें डांट दिया। हमने कहा महाराज कृष्णदेव की नींद टूट जायेगी। तो बोली “जब ऐसा वक्त आयेगा, देखा जाएगा।”

“बड़ी गुस्ताख नजर आती है। जाकर कोतवाल को तुरन्त भेजो और हुक्म दो, अगर वह शराफत से न आये तो गिरफ्तार करके उसे लाया जाए-‘हुक्म की देर थी-कुछ देर बाद ही एक सुन्दरी राजा  कृष्णदेव   के सामने लायी गयी। उस सुन्दर लड़की को देखकर राजा  कृष्णदेव   अचरज में पड़ गये सोचने लगे कि कौन ऐसे मां-बाप हो सकते हैं, जो ऐसी लड़की को ‘बेखौफ’ आधी रात के वक्त निर्जन घाट पर कपड़े धोने के लिए भेज दिया।

बादशह ने रोषपूर्ण स्वर में पूछा- “ऐ लड़की, तुझे कोई और वक्त नहीं मिला था जो आधी रात को यहां महल के नीचे कपड़े धोने चली आयी।”

“हुजूर – ।” लड़की ने विनम्र स्वर में कहा- “ इधर कपड़े धोने, में इसलिए चली आयी, क्योंकि मुझे पूरा विश्वास था कि राजा  कृष्णदेव   के महल जेरे- साया मेरी इज्जत महफूज  रहेगी।”

 उसके बुद्धिमत्त पूर्ण उत्तर से राजा  कृष्णदेव   प्रभावित हुए। आगे बोले- “ठीक है, यह बात तो मैंने मानी, पर कपड़े धोने का और कोई वक्त तुम्हें नहीं मिला?”

मजबूर थी शाहे आलम- “मेरे बाप ने सुबह ही एक बच्चे को जन्म दिया है। मां मेरी है नहीं, दिन भर देख-रेख मुझे ही करनी पड़ी। रात का खाना वगैराह पकाने के बाद मैंने सोचा अगर गन्दे कपड़े रातों-रात नहीं घुल जाते तो सुबह उनके इस्तेमाल के लिए कोई कपड़ा न रहेगा। ” । “क्या बकती है-कहीं मर्दों के भी बच्चे पैदा होते हैं-?” “क्यों नहीं हो सकते महाराज  ?” लड़की ने बेझिझक कहा- “अगर बैल के दूध हो सकता है तो मर्द के भी बच्च हो सकते हैं।”

लड़की का उत्तर सुनते ही राजा  कृष्णदेव   सन्नाटे में आ गये। क्रोध एकदम हंसी में बदल गया। बोले- “मैं समझ गया- तुम हमारे दीवान, तेनाली रमण  की बेटी के अलावा और कोई नहीं हो सकती।” ” आपने सही पहचाना महाराज -मैं आपके दीवान तेनाली रमण  की ही बेटी हूँ।” “इतनी निडरता के साथ, इतनी बुद्धिमत्त पूर्ण उत्तर तेनाली रमण  की ही बेटी दे सकती हैं, जाओ तेनाली रमण  से कहो- मैंने उन्हे दिया आदेश वापस ले लिया” और फिर तेनाली रमण  की बेटी को इनाम देकर ससम्मान डोली में बिठाकर उसके घर भिजवाया।

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