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Moral Story in Hindi for class 2

Illustration of a colorful classroom with children gathered around a teacher, symbolizing a moral story for class 2.

"Nurturing young minds with valuable lessons: A captivating moral story unfolds in our class 2 adventure!"

कारगिल की लड़ाई (Moral Story in Hindi for class 2)

3 मई, 1999 को बटालिक सेक्टर में, एक चरवाहे, “ताशी नामग्याल” ने देखा कि कुछ लोग हथियारों के साथ भारत की सीमा में घुस आए हैं, इसकी सूचना उसने एकदम ही भारतीय सेना को दे दी। मई के शुरुआती दिनों में हमारी सेना ने स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए 5 मई को भारतीय सेना की गस्त टीम जानकारी लेने कारगिल पहुँची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से 5 की हत्या कर दी।

खोजबीन करने पर पता चला कि भारत की 150 चौकियों पर 160 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा को पार करके पाकिस्तानी सेना घुसपैठियों के रूप में आकर बैठ गई है। कारगिल की ये ऊँची चोटियाँ आखिरकार इतनी जरूरी हैं क्यों ? क्योंकि यहाँ से भारत का हाईवे-1D सीमा रेखा से मात्र 8 किलोमीटर दूर है और यहाँ से श्रीनगर-लद्दाख जानेवाली सड़क पर पाकिस्तान सीधे-सीधे कब्जा कर भारत को लद्दाख सियाचिन से काट सकता था और अंततः अपना कब्जा कर सकता था। पहले तो हम समझते रहे कि घुसपैठ करनेवाले मुट्ठी भर हथियार बंद आतंकवादी हैं, लेकिन यह आंकलन गलत साबित हुआ। हमलावर पाकिस्तानी सैनिक थे, जो हमारी सीमा में घुस आए थे।

हमारा दुश्मन न केवल पहाड़ी पर था, और हमसे कई गुना बेहतर जगह पर था, ठंड भरे मौसम में वो पहले से ही ऊंचे बंकारों में बैठा था, जहाँ खाने-पीने का सभी सामान उपलब्ध था, पहले से वहाँ होने की वजह से वो इस मौसम के आदि हो चुके थे, उनके पास सर्दी से बचने का पूरा सामान और असला-बारूद मौजूद था। कहते हैं कि ऊंचाई पर बैठा दुश्मन नीचे मौजूद दुश्मन से दस गुना ज्यादा ताकतवर होता है। ऊपर से फेंका गया पत्थर भी गोली जैसा घाव करता है, इसीलिए भारतीय सेना ने पूरे युद्ध क्षेत्र में पाकिस्तान के 1 सैनिक, के मुकाबले भारत ने 16 सैनिक तैनात किए।

कारगिल युद्ध के मुख्य जगह में से एक ‘द्रास’ नामक स्थान था, जो दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा इलाका है। एक बार तो यहाँ का तापमान बर्फ जमने से करीब 60 डिग्री नीचे तक चला गया था। द्रास को अगर हम भारत का साइबेरिया कहें तो कुछ गलत नहीं होगा। करीब 10,600 फीट की ऊँचाई पर स्थित द्रास में हड्डियाँ गला देनेवाली ठंड होती है, यहाँ की ऊँची चोटियाँ, जहाँ युद्ध लड़ा गया, वहाँ तो ऊँचाई 16,000 फीट तक ऊंची है, दुनिया में आज तक कहीं ऐसा युद्ध नहीं हुआ, जिसे इतनी ऊँचाई पर बर्फीली हवाओं (जहाँ तापमान शून्य से 16 डिग्री नीचे तक पहुँच गया था) के बीच नंगे पहाड़ों में लड़ा गया हो , यहाँ बहुत से जगहों पर सर छुपाने की जगह भी नही है । नीचे से ऊपर पहाड़ पर चढ़ना और भी मुस्किल हो जाता है , जहाँ से दुश्मन सीधे गोली दाग रहा हो पर ये भारत के सैनिक शायद अलग ही मिट्टी के बने हुए हैं। ये मुस्किल हालत भी इनके मजबूत हौसले को रत्ती भर भी डिगा नहीं पाए ।

26 मई को जब थल सेना ने ऑपरेशन विजय और वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर लॉञ्च करके दुश्मन को बता दिया कि भारत के वीर किसी भी परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हैं। जुलाई आते-आते हमारे शूरवीरों ने भारत की एक इंच जमीन को दुश्मन के कब्जे से छुड़वा लिया और सैन्य इतिहास में अपने साहस, वीरता और शौर्य को सदा-सदा के लिए अंकित कर दिया। इस युद्ध को जीतने के लिए हमारे 527 जवानों को अपने जीवन का बलिदान देना पड़ा, वहीं 1300 से ज्यादा घायल हुए थे। युद्ध में 2700 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 750 पाकिस्तानी सैनिक जंग छोड़ के भाग गए।

बच्चों, उनकी इस महान् वीरगाथा को न केवल आपको पढ़ना और जानना है, बल्कि अपने मित्रों, अपने माता-पिता और भाई-बहनों को भी बताना है, ताकि आज की पीढ़ी कभी भी इन वीरों को भुला न पाए।

चुनमुन और माँ (Moral Story in Hindi for class 2)

चुनमुन और उसकी माँ एक पेड़ पर घोंसला बना कर रहती थीं। चुनमुन अभी बहुत छोटी थी। उसकी माँ उसके लिए रोज़ दाना चुनकर लाती और उसे खिलाती लेकिन चुनमुन को मजा नहीं आता था। एक दिन चुनमुन अपनी माँ से बोली, “मैं भी तुम्हारे साथ उडूंगी।”

माँ ने कहा, “अभी तुम बहुत छोटी हो, कुछ दिन बाद और बड़ी हो जाना तब मेरे साथ उड़ना।”

चुनमुन की माँ दाना लाने चली गई। चुनमुन से रहा नहीं गया। वह उसी समय घोंसले से बाहर आकर उड़ने की कोशिश करने लगी। पर यह क्या! वह तो धड़ाम से गिर पड़ी। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। चुनमुन उड़ने की लगातार कोशिश करती रही। धीरे-धीरे चुनमुन उड़ने लगी।

चुनमुन उड़ते-उड़ते बहुत दूर निकल गई। वाह! कितना मज़ा आ रहा था। कितने अच्छे खेत और दूर एक नदी और पहाड़! अचानक चुनमुन को याद आया कि माँ ने उसके लिये घोंसले में खीर लाकर रखी है। वैसे भी अब वह थक रही थी। वह अपने घोंसले में लौटी तो खीर गायब! चुनमुन ने सोचा शायद बात न मानने के कारण माँ ने सारी खीर खा ली।

अब क्या कहती, अपनी गलती पर चुपचाप रही।

तभी चुनमुन की माँ वापस लौटी। उसने कहा, “चुनमुन तुमने खीर खा ली? कैसी लगी?” चुनमुन बोली, “माँ, खीर तो मैंने खायी ही नहीं!” माँ बोली, “तुम ज़रूर यहाँ से कहीं चली गई होगी।” चुनमुन ने सर झुका लिया। अब दोनों सोचने लगीं,

आखिर खीर किसने खायी? तभी उनकी नज़र सामने पेड़ की डाल पर बैठे रामू पर पड़ी।, उसकी चोंच में खीर लगी हुई थी। चुनमुन की माँ सब समझ गई। उसने रामू कौए को सज़ा देने के लिए एक उपाय सोचा ।

अगले दिन, चुनमुन की माँ फिर किसी के घर से खीर ले आई। उसने थोड़ी खीर निकाल कर उसमें छोटे-छोटे कंकड़ लाके मिला दिये। फिर चुनमुन और माँ, दोनों छिप गईं। रामू कौआ मौका देखकर फिर से खीर खाने आ गया। जैसे ही रामू कौआ खीर खाने लगा, उसके मुँह में कंकड़ चला गया। जितनी बार वह चोंच डालता, हर बार, उसके मुँह में कंकड़ आता रहा। उसकी समझ में आ गया कि उसे बेवकूफ़ बनाया जा रहा है। तभी चुनमुन अपने छिपने की जगह से बाहर आयी और बोली, “चोर पकडा गया!” रामू कौआ शर्मिंदा होकर उड़ गया।

कलाकार हाथी (Moral Story in Hindi for class 2)

एक हाथी था। वह बहुत सीधा सादा था। कभी किसी से

लड़ाई नहीं करता था। सब के साथ मिल कर रहता था। लेकिन चंचल बन्दर हरदम उससे छेड़खानी करता था। मौका देखकर, उसका खाना भी चुरा लेता था!

एक बार जंगल के राजा शेर ने प्रतियोगिता रखी कि जो अच्छा चित्र बनाएगा उसको ईनाम दिया जाएगा।

सभी चित्र बनाने लगे। किसी ने पेड़ का चित्र बनाया, किसी ने आम का चित्र बनाया।

हाथी ने बनाया एक बड़े से जंगल का चित्र जिसमे जंगल के सभी जानवर मौजूद थे । हाथी का बनाया चित्र देख कर बंदर ने उस जैसा ही चित्र बना डाला ।

एक जैसे चित्र देख कर सब हैरान थे , पर हाथी उदास था क्यूंकी बंदर ने उसका चित्र चुरा लिया था ।

यह देखकर शेर राजा को बड़ा गुस्सा आया ।

उसने हाथी को ऐसा बेहतरीन चित्र बनाने के लिए प्रथम पुरस्कार दिया। साथ में, बन्दर से कहा, “तू चोरी करना ‘छोड़ दे नहीं तो इस चित्र को जंगल में हर पेड़ पर लगाया जाएगा।” चंचल बन्दर शर्मिंदा हो गया।

ननकु और बादल (Moral Story in Hindi for class 2)

एक गाँव में दो किसान मित्र रहते थे। एक का नाम ननकु व दूसरे का नाम बादल था। बादल बहुत आलसी था वह अपने खेतों में कोई काम नहीं करता था इसलिए उसके खेत बंजर हे गये थे। जबकि ननकु बहुत मेहनती था वह अपने खेतों में बहुत मेहनत करता जिससे उसकी फसल भी बहुत अच्छी होती थी।

बादल कभी किसी से और कभी किसी से निरन्तर पैसे उधार लेकर अपना काम चलाता रहता था। ननकु उसे अक्सर समझाता कि तुम्हें अपने खेतों में काम करना चाहिए और किसी से उधार नहीं लेना चाहिए लेकिन बादल  उसकी एक ना सुनता। उसे तो उधार लेकर खाने की आदत पड़ गयी थी। लेकिन धीरे-धीरे सबने उधार देना बन्द कर दिया। अब बादल को केवल ननकु का ही सहारा था। ननकु बहुत समझदार था वह अपने दोस्त को सही रास्ता दिखाने का संकल्प लेता है। वह बादल के पास जाकर कहता है कि बादल , मुझे कुछ दिन के लिए शहर जाना पड़ रहा है, मेरे आने तक तुम मेरे खेतों की और जानवरों की देखभाल करोगे। अगर तुमने मन लगाकर मेरा काम किया तो मैं तुम्हें बिना काम करे भी हमेशा पैसे देता रहूँगा। यह सुनकर बादल पहले तो घबरा गया लेकिन पैसों की बात सुनकर वह सोच में पड़ गया।

उसने सोचा कि थोड़े दिन की ही तो बात है फिर तो मुझे बैठे-बैठे ही खाना और पैसे मिलते रहेंगे। यह सोचकर बादल ने कहा-ठीक है, मैं तुम्हारा सारा काम कर दूँगा लेकिन तुम अपना वादा याद रखना।

ननकु ने कहा “ठीक है अब मैं जा रहा हूँ।” यह कहकर ननकु शहर चला गया और बादल लालच में सारा काम करता रहा। वह सुबह उठकर गाय को चारा डालता, खेत पर जाकर काम करता फिर शाम को जानवरों को चारा खिलाता। इस प्रकार दिन बीतने लगे अब बादल रोज ननकु का इन्तजार करता लेकिन ननकु नहीं आया। अब फसल भी पक चुकी थी। बादल ने फसल भी काट ली। जब अनाज घर पर आया तो बादल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा अब बादल को काम करने की आदत पड़ गयी थी। अब वह मन ही मन निश्चय कर चुका था कि अब वह लालच में काम नहीं करेगा बल्कि अपने खेत में मेहनत करेगा और तभी ननकु शहर से वापिस आ जाता है। ननकु, बादल के काम को देखकर बहुत खुश होता है और बादल अपने दोस्त ननकु को धन्यवाद देता है कि उसने मेरी आँखें खोल दी। इस प्रकार ननकु का संकल्प भी पूरा होता है।

बहादुर मीना (Moral Story in Hindi for class 2)

मीना एक साहसी व समझदार लड़की थी, वह अपनी माँ के साथ गाँव में रहती थी। मीना की माँ जंगल से लकड़ी काटकर लाती और शहर में बेचकर घर का खर्च चलाती थी। एक बार मीना की माँ बीमार हो गयी। घर का राशन भी खत्म हो गया था। मीना ने सोचा कि आज वह खुद ही जंगल जाकर कुछ फल तथा लकड़ियाँ ले आती है। यह सोचते हुए वह जंगल की ओर चल दी।

जंगल में पहुँचकर वह फल तोड़ ही रही थी कि तभी उस ओर एक भेड़िया आ जाता है। भेड़िया सोचता है कि आज तो मैं इसे मार कर खा जाऊँगा। भेड़िया बोला, “तुम कौन हो और यहाँ जंगल में क्या कर रही हो?” मीना ने कहा, “मेरा नाम मीना है। मेरी माँ बहुत बीमार है और घर में खाने को कुछ नहीं है। मैं माँ के लिए कुछ फल और बेचने के लिए कुछ लकड़ियाँ लेने आई हूँ।” भेड़िया यह सोचते हुए मन ही मन खुश हो रहा था कि यह लड़की तो बहुत सीधी है क्यों ना मैं इसे अपने घर पर बुला लूँ! भेड़िये ने कहा, मीना तुम्हारी बातें सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। मीना मेरे घर पर बहुत से फल व लकड़ियाँ रखी हैं तुम चाहो तो मेरे साथ मेरे घर पर चलकर फल व लकड़ियाँ ले सकती हो यह कहते हुए भेड़िये के मुँह से लार टपकने लगती है।

मीना को भेड़िये की चालाकी समझते देर ना लगी। वह समझ गयी कि भेड़िया मुझे खाना चाहता है जंगल में कोई देख ना ले इसलिए घर बुलाना चाहता है। मीना ने साहस व समझदारी दिखाते हुए भेड़िये से कहा, भेड़िया भईया मैं आपके साथ जरुर चलूँगी लेकिन मैं पहले अपनी माँ को ये तोड़े हुए कुछ फल दे आती हूँ, फिर मैं आपके घर चलकर लकड़ियाँ व अन्य फल ले जाऊँगी। आप मेरा यहीं पर इन्तजार करो। भेड़िया लालच में मीना की बात मान लेता है और इस प्रकार मीना फल लेकर जल्दी से जंगल से बाहर आ जाती है और फिर वापिस नहीं जाती। भेड़िया इन्तजार करके खाली हाथ लौट जाता है।

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  • Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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