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खतरनाक नाटक (KHATARNAK NATAK)

खतरनाक नाटक (KHATARNAK NATAK) बीरबल को मरने के लिए नाटक करता कलाकार

नाटक के मंचन के डोरण कलाकार के द्वारा बीरबल पर हमला करने की योजना बनाई गई ।

Akbar Birbal ki Kahaniyan hamesha se hi bacchon ke liye majedar or shikshaprad rahi hai yah kahani खतरनाक नाटक(KHATARNAK NATAK) class 2, class 3, class 4 & 5 ke bacchon ke liye upyukt hain. yahan par har kahani ka likhit evam maukhik sansakran uplabdh hai , jisse har ek bacchon ko kahani padhne evam samjhne me asani ho or kahani ka anand liya ja sake.

बीरबल की प्रसिद्धि देश में चारों ओर फैल चुकी थी। वह देश का सम्मानित व्यक्ति हो गया था। लोग उससे सुझाव लिया करते थे। किन्तु कुछ ऐसे भी लोग थे जो बीरबल को पसंद नहीं करते थे। वे उसे बदनाम करने का पूरा प्रयत्न करते थे किन्तु असफल रहते थे। उन्होंने निश्चय किया कि बीरबल की हत्या के पश्चात् ही बीरबल से छुटकारा पाया जा सकता है।

 उन्होंने एक योजना बनायी। एक अभिनेता को बहुत-सा धन दिया । उसे अकबर और मन्त्रियों के सामने मंच पर नाटक खेलना था। नाटक का बहाना करते हुए बीरबल पर आक्रमण करके उसकी हत्या करनी थी।

अभिनेता अकबर के पास गया और बोला-“हे महाराज! मैं एक कुशल अभिनेता हूँ। मेरा अभिनय देखते समय लोग यह भूल जाते हैं कि यह नाटक चल रहा है, कृपया मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करें।”

 अकबर नाटक की कहानी सुनना चाहते थे। अभिनेता ने समझाया, “यह एक गरीब किसान की कहानी है।

 अकबर ने नाटक के मंचन की आज्ञा दे दी। बीरबल को अभिनेता के इरादे पर सन्देह हुआ, उसे लगा कि अभिनेता उसकी हत्या करना चाहता है। इसलिए बीरबल ने अपने लिये दो अंगरक्षक नियुक्त कर लिये।

 जिस दिन नाटक का मंचन होना था, महल के आंगन में बहुत से लोग जमा हो गये। अभिनेता किसान की भूमिका निभा रहा था। वो जीवन की समस्याओं से उक्ता चुका था, उसके घर में न खाने को था न पीने को! उसके जानवर भूख और प्यास से मर रहे थे। वह राजा के पास मदद मांगने आता है। लेकिन राजा के सिपाहियों ने उसे राजा से मिलने नहीं दिया। क्रोधित, निराश और उदास होकर वह अपने हाथ में एक बड़ा-सा चाकू ले लेता है और गुस्से में बीरबल की ओर तान कर उसके पीछे जाता है।

बीरबल के अंगरक्षक उसे बचा लेते हैं। अकबर बादशाह सब दर्शकों सहित अभिनेता से बड़ा प्रभावित होते हैं। अभिनेता को इनाम दिया जाता है।

बीरबल को पता लग गया कि यह नाटक मात्र उसकी हत्या के लिये खेला गया था। जिसे केवल एक दुर्घटना समझा जाता।

 बीरबल उस अभिनेता के पास गया और बोला- “तुम वास्तव में एक महान् कलाकार हो। क्या तुम इस प्रकार की भूमिका हर नाटक में कर सकते हो जो बिल्कुल वास्तविक सी हो ?”

  “अभिनय मेरा व्यवसाय है। “मैं अपने जीवन को प्रत्येक भूमिका में रख सकता हूँ। अभिनेता ने जवाब दिया” बीरबल मुस्कराया और बोला-“तब मेरे पास एक कहानी है जिसे कोई भी तुम से बेहतर अभिनय में नहीं ढाल सकता। मैं चाहता हूँ कि तुम उस नाटक का मंचन करो। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति के सम्बन्ध में है जो अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम करता है। अचानक उसकी पत्नी एक अज्ञात बीमारी से मर जाती है। उस औरत का पति इतना दुखी हो जाता है

कि वह उसकी चिता में कूद पड़ता है और इस प्रकार वह अपनी पत्नी के प्रेम को दर्शाता है।

अकबर को भी यह कहानी बहुत पसंद आयी और कहा “इस प्रकार के नाटक हमें अवश्य करने चाहिये”। हम ऐसी घटनाएं तो बहुत देख चुके हैं जिसमें पत्नी अपने पति की मृत शरीर की चिता पर कूद पड़ती है। किन्तु हमारी इस कहानी में पति अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद उसकी चिता पर कूद पड़ता है और अपने प्राणों की बलि दे देता है।” बीरबल ने सुझाव दिया कि नाटक बाहर प्रस्तुत होना चाहिये। बाहर चिता बनाना आसान भी रहेगा जिससे नाटक वास्तविक लगे। मृत्यु के पश्चात् वह दिन आ गया जब नाटक आरम्भ हुआ। अपनी पत्नी की मृत्यु पर अभिनेता रोने लगा। वह इतना रोया कि दर्शकों की आँखों में आँसू भर आये। उसकी पत्नी का मृत शरीर चिता में पड़ा था। अभिनेता ने चिता में आग लगायी। जब उसकी बारी चिता में कूदने की आयी कि आग इतनी भयानक हो गई थी कि वह भयभीत हो गया। वो अभिनेता जो किसी भी दृश्य को वास्तविकता की तरह अभिनय करना चाहता था, अब बीरबल के पैरों गिर पड़ा और बोला- “कृपया मुझे माफ कर दो। मैं इस दृश्य में अभिनय नहीं कर सकता। जिन लोगों ने बीरबल की हत्या की योजना बनायी थी वह लज्जित हो गये। बीरबल के पास इतनी शक्ति थी कि वह उन्हें पहले भी पकड़ सकता था।

इस प्रकार बीरबल ने फिर सिद्ध कर दिया कि किस प्रकार अपनी समझ-बूझ और बुद्धिमानी से स्थिति को संभाला जा सकता है।

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