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गरीब किसान की कहानी एवं अन्य कहानियाँ /(Garib kisan ki kahani)

By Deepshikha choudhary

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Garib kisan ki kahani, garib kissan apne khet me mehnat karte hue
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गरीब किसान राजू की कहानी

कभी एक समय, राजू नाम का एक दयालु किसान रहता था। उसके पास एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसकी छत सूखी घास से बनी थी। राजू बड़ा ही गरीब किसान भी था पर उसने अपनी गरीबी से कभी हिम्मत नहीं हारी थी। राजू अपने खेतों में बहुत म्हणत किया करता था उसकी म्हणत से ही इस साल उसका खेत सब्जियों से भरा हुआ था – मोटे लाल टमाटर, कुरकुरी हरी बीन्स और चमकदार बैंगनी बैंगन!

राजू हर दिन बहुत मेहनत करता था, अपने पौधों को सींचता था और घास निकालता था। लेकिन इस साल, बारिश के बादल लुकाछिपी खेल रहे थे। सूरज एक विशाल, गर्म दीपक की तरह चमकता था, जिससे जमीन सूख जाती थी और सब्जियां प्यासी हो जाती थीं।

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राजू चिंतित था। बारिश के बिना, उसकी सब्जियां नहीं उग पाएंगी और उसके पास बाजार में बेचने के लिए पर्याप्त फसल भी नहीं होगी। वह अपनी छोटी बेटी रानी के लिए नए जूते या मीठे जलेबी (तले हुए आटे) का नाश्ता नहीं खरीद पाएगा!

एक सुबह राजू उदास महसूस कर रहा था। जब वह अपनी झोपड़ी के पास बैठा था, तो एक छोटी सी गौरैया उसके कंधे पर आकर बैठ गई। “चहचहाट, चहचहाट,” गौरैया ने सिर झुकाते हुए कहा। “मुंह लटकाए क्यूँ बैठे हो राजू?”

राजू हैरान था! एक बोलने वाली गौरैया? उसने सूखी जमीन और भूखी सब्जियों के बारे में अपनी चिंता बताई।

गौरैया ने धैर्यपूर्वक सुना। “चिंता मत करो राजू,” वह चहचहायी। “मुझे एक गुप्त स्थान का पता है। आम के ऊंचे पेड़ के पीछे एक छिपी हुई धारा बहती है। इसका पानी आपकी सब्जियों को फिर से हरा भरा कर देगा!”

राजू की आंखें चमक उठीं। उसने गौरैया को धन्यवाद दिया और उसकी बताई हुई बातों का पालन किया। सबसे ऊंचे आम के पेड़ के पीछे, उसने एक जगमगाती धारा देखी, ठीक वैसे ही जैसा गौरैया ने कहा था!

गरीब किसान राजू की कहानी आम के बगीचे से पानी लेके आता हुआ

राजू ने अपनी बाल्टी को ठंडे पानी से भर लिया और वापस अपने खेत की ओर दौड़ पड़ा। उसने ध्यान से प्रत्येक प्यासे पौधे के चारों ओर पानी डाला। सब्जियां खुशी से चहकती हुई लग रही थीं, उनकी पत्तियां चमकीली हरी हो गईं।

कुछ दिनों बाद, आखिर बारिश आ ही गई! कोमल बूंदें छत पर टप-टप टपकीं, जिससे राजू का दिल खुशी से भर गया। उसकी सब्जियां बड़ी और मजबूत हो गईं, चुनने के लिए तैयार।

राजू ने अपने ताजे फल सब्जियां बाजार में बेची, उसकी मुस्कान सूरज की तरह चमक रही थी। उसने रानी के लिए नए जूते और जलेबियों का एक बड़ा डिब्बा खरीदा! मददगार गौरैया और छिपी हुई धारा की बदौलत सभी ने एक स्वादिष्ट भोज का आनंद लिया।

उस दिन से, राजू कभी भी छोटी गौरैया की दयालुता और छिपी हुई धारा के जादू को नहीं भूला। वह जानता था कि भले ही चीजें मुश्किल लगती हैं, वहां हमेशा थोड़ा जादू खोजने के लिए इंतजार कर रहा होता है।

गरीब किसान की कहानी (Garib kisan ki kahani)

एक गांव में एक गरीब किसान रहता था। वहाँ पर दो-तीन साल से बारिश नहीं हुई थी, जिस वजह से वहाँ की सारी जमीन सूख चुकी थी । किसान बहुत दुखी था, क्योंकि वो अपने जमीन के ऊपर कोई फसल नहीं उगा पा रहा था । सर्दी का मौसम था| आज किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी उसे वहाँ एक सांप नजर आया । वह साँप अपना फन फैलाये हुए बैठा हुआ था । किसान के मन में एक बात आई ।

gareeb kissan saanp ko doodh pilate hue

ये सांप काफी सालों से यहाँ  रहता है। इसे भी इस अकाल के समय में  मेरी तरह खाना ढूंढने में परेशानी होगी। फिर गरीब किसान ने मन ही मन यह तय किया कि वो हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाएंगा। अगले ही दिन किसान एक कटोरी में दूध ले आया और सांप के बिल के पास रखकर कहने लगा “हे नागराज आपको मेरा प्रणाम, मैंने कभी ध्यान नहीं दिया कि आप भी यही रहते है। सूखे की वजह से मैं तो परेशान हूँ और मुझे लगता है आपको भी परेशानी हो रही होगी इसलिए अब से मैं रोज़ आपको एक कटोरी दूध पिलाया करूँगा” ।

ये बोलकर किसान ने वो कटोरी वही  छोड़ दी और वहाँ से चला। अगले दिन सुबह जब वो कटोरी लेने वापस आया तो उसने देखा की कटोरी में कुछ चमक रहा है । किसान ने कटोरी को उठाकर देखा तो उसके अंदर एक सोने का सिक्का था। फिर किसान हर रोज़ सांप को एक कटोरी दूध पिलाता और अगले दिन सुबह हर रोज़ उसे एक सोने का सिक्का मिलता | एक दिन किसान को किसी काम से शहर जाना था, और उसने अपने बेटे को ये जिम्मेदारी सौंपी।

उसने अपने बेटे को कहा बेटा ध्यान से एक कटोरी दूध सांप के बिल के पास रख देना । किसान के बेटे ने अपने पिता के कहे अनुसार  एक कटोरी दूध  साँप के बिल के पास रख दी । अगली सुबह उसे भी सोने का सिक्का मिला। उसके बेटे ने सोचा की यह सांप तो बड़ा कंजूस है जरूर उसके पास  बहुत सारे सोने के सिक्के होंगे। लेकिन यह तो हर रोज़ बस एक ही सिक्का देता है। अगर मैं इसे मार दूँ तो मैं इसके सारे सोने के सिक्के ले सकता हूँ। .

अगली शाम जब लड़का दूध देने के लिए गया तो उसने सांप को देखते ही उस पर छड़ी से वार किया, मगर सांप भी सतर्क था उसे छड़ी तो लगी पर उसने किसान के बेटे को भी डंस लिया। सांप का विष बहुत ही जहरीला था। देखते ही देखते किसान के बेटे की मौत हो गयी  और जख्मी सांप अपने बिल में वापस चला गया। जब किसान वापस लौट कर आया तो उसे अपने बेटे की मृत्यु के बारे में पता चला, साथ ही वह बहुत दुखी और क्रोधित होकर सांप के बिल के पास उसे मारने पहुंचा।

तभी उसने सांप को देखा के साँप को भी काफी चोट आयी है। उसे देखते ही वह समझ गया कि उसके बेटे ने सांप पर हमला किया होगा । वो समझ गया की परिस्थिति ही कुछ ऐसी हो गई होगी कि सांप ने उसके बेटे को डसा होगा। उसने हाथ जोड़कर सांप से माफी मांगी और सांप से अपने बेटे को वापस लाने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद सांप अपने बिल में जाकर, बाहर आया और उसने किसान को एक जड़ी- बूटी दी।

गरीब किसान जड़ी- बूटी लेकर अपने मरे हुए बेटी के पास गया, उसने उसके नाक के पास वो जड़ी-बूटी रखी। थोड़ी देर बाद उसका बेटा खाँसता हुआ उठ खड़ा हुआ। जिंदा होने के बाद किसान के बेटे को उसकी गलती का अहसास हुआ| वो अपने पिता के साथ सांप के बिल के पास गया और उससे हाथ जोड़कर माफी मांगी, और बोला “हे नागराज मुझे क्षमा कर दीजिए। अब मैं किसी भी पशु, पक्षी या जानवर पर हमला नहीं करूँगा। मुझे क्षमा दान दें”। साँप ने भी खुश होकर अपना सिर हिलाया और वापस अपने बिल में चला गया।

इस कहानी से हमें दो सीख मिलती  है पहली ये कि लालच करना बुरी बात और दूसरी सीख ये है की हमे निर्दोष जीवो पे हमला नहीं करना चाहिए। हमें उन्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहिए|  हमें उम्मीद है आपको यह कहानी जरूर पसंद आई होगी ऐसी ही कहानी सुनने के लिए जुड़े रहिये हमसे | हम जल्द ही मिलते हैं एक और नई कहानी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद।

कहानी से जुड़े शब्दार्थ :-

अकाल- सूखे की स्थिति

सतर्क – सावधान रहना

गरीब किसान की कहानी / (Garib Kisan Ki Kahani) से जुड़े प्रशन

गरीब किसान क्यों परेशान था ?

गरीब किसान दो-तीन साल से बारिश नहीं होने के कारण परेशान था ।

गरीब किसान को क्या दिखाई दिया ?

गरीब किसान को एक सांप दिखाई दिया ।

गरीब किसान सांप को क्या दिया करता था ?

गरीब किसान सांप को दूध पिलाया करता था ।

सांप गरीब किसान को क्या दिया करता था ?

सांप गरीब किसान को रोज एक सोने का सिक्का दिया करता था ।

गरीब किसान कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है?

गरीब किसान कहानी से हमे लालच न करने की शिक्षा मिलती है ।

गरीब किसान की कहानी / (Garib kisan ki kahani) एक मजेदार ओर शिक्षाप्रद कहानी है जिसे कक्षा 2, कक्षा 3, कक्षा 4 व 5 के बच्चों के लिए उपयुक्त है । यहाँ पर हर कहानी को लिखित के साथ साथ मौखिक रूप से प्रदान किया जाता है , ताकि पढ़ने मे असहज बच्चे भी कहानी का आनंद ले सकें । आप अपनी पसंद की मनोरंजक कहानियाँ हमे भेज भी सकतें है।

धनुर्धारी अर्जुन की कहानी (Mahabharat Story of Arjun)

बहुत पहले की बात है। हमारे देश में पांडु नामक राजा राज करते थे। उनके पाँच पुत्र थे – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव, जो पांडव कहलाते थे। युधिष्ठिर इनमें सबसे बड़े थे।

ये पाँचों राजकुमार गुरु द्रोणाचार्य से शिक्षा प्राप्त करते थे। उन्हें अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा भी गुरु द्रोणाचार्य ने ही दो। भीम गदा चलाने में कुशल थे, तो अर्जुन धनुष-बाण चलाने में।

एक बार की बात है।

गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने पेड़ पर चिड़िया का एक खिलौना टाँग दिया और अपने शिष्यों से चिड़िया की आँख पर निशाना लगाने के लिए कहा।

पहला शिष्य आगे आया। गुरुजी ने पूछा-उधर देखो, तुम्हें क्या दिखाई देता है?” वह बोला-“गुरुजी, मुझे पेड़, चिड़िया, पत्ते सभी कुछ दिखाई देते हैं।”

गुरुजी ने उसे बाण चलाने की आज्ञा नहीं दी।

arjun mahal ke andar machli ko dekhte hue

दूसरे शिष्य ने कहा, “मुझे चिड़िया के पंख दिखाई देते हैं।” गुरुजी ने उसे भी बाण नहीं चलाने दिया।

अब बारी आई अर्जुन की। गुरु द्रोणाचार्य ने उससे भी वही प्रश्न किया। अर्जुन ने कहा, “गुरुजी! मुझे तो केवल चिड़िया की आँख दिखाई देती है।”

गुरुजी ने उसे बाण चलाने की आज्ञा दे दी। अर्जुन ने बाण छोड़ा और वह ठीक चिड़िया की आँख में लगा।

अर्जुन धनुष-बाण चलाने में बहुत कुशल थे। उनका सामना करने वाले बहुत कम वीर थे।

इसी बाण चलाने की कुशलता के बल पर अर्जुन ने राजा द्रुपद की शर्त को पूरा किया।

राजा द्रुपद की एक पुत्री थी-द्रौपदी। राजा द्रुपद की शर्त थी-जो कोई तेल के कड़ाह में देखकर ऊपर लटकी मछली की आँख को अपना निशाना बनाएगा, द्रौपदी का विवाह उसी धनुर्धर के साथ किया जाएगा।

अर्जुन तो बाण चलाने में कुशल थे ही। उन्होंने तेल के कड़ाह में देखते हुए ठीक मछली की आँख पर तीर मारा और राजा द्रुपद की शर्त पूरी की।

अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में भी अपने धनुष-बाण का कमाल दिखाया। वह अपने युद्ध कौशल के बल पर अकेले ही सैकड़ों शत्रुओं से भिड़ जाते थे।

धनुर्धारी के रूप में उनका नाम सदा प्रसिद्ध रहेगा।

धनुर्धारी अर्जुन कहानी / Mahabharat Story of Arjun से जुड़े शब्दार्थ

कुशल – होशियार (skilled)

परीक्षा – इम्तिहान (examinationi)

अस्त्र-शस्त्र = हथियार (arms, weapons)

निश्चय – पक्का इरादा (determination, certainty)

धनुर्धारी – धनुष धारण करने वाला (bowman)

युद्ध – लड़ाई (war)

धनुर्धारी अर्जुन/Mahabharat Story of Arjun की कहानी से जुड़े प्रशन

राजा पांडु के कितने पुत्र थे ?

राजा पांडु के पाँच पुत्र थे ।

राजा पांडु के पांचों पुत्रों के गुरु कौन थे?

पांचों राजकुमारों के गुरु का नाम द्रोणाचार्य था ।

द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की क्या परीक्षा लेने का निश्चय किया ?

द्रोणाचार्य ने पेड़ पर चिड़िया का एक खिलौना टाँग दिया और अपने शिष्यों से चिड़िया की आँख पर निशाना लगाने के लिए कहा।

राजा द्रुपद की लड़की का क्या नाम था ?

राजा द्रुपद की लड़की का नाम द्रौपदी था ।

राजा द्रुपद की क्या शर्त थी ?

राजा द्रुपद की शर्त थी-जो कोई तेल के कड़ाह में देखकर ऊपर लटकी मछली की आँख को अपना निशाना बनाएगा, द्रौपदी का विवाह उसी धनुर्धर के साथ किया जाएगा।

राजा द्रुपद की शर्त किसने पूरी की ?

राजा द्रुपद की शर्त अर्जुन ने पूरी की ।

धनुर्धारी अर्जुन की कहानी से हमे क्या सीख मिलती है ?

धनुर्धारी अर्जुन की कहानी से हमे यह सीख मिलती है की हम यदि किसी भी कार्य को एकाग्रता से करते है तो हम कोई भी लक्ष्य प सकते हैं ।

खुद पर भरोसा

नंदनवन की पहाड़ियों से सटा एक गाँव है अरई। उस गाँव में पाँच मित्र रहते थे- खरगोश, गाय, घोड़ा, गधा और बकरी। खरगोश पहाड़ की तलहटी में बिल बनाकर रहता था। गाय एक ग्वाले की थी। घोड़ा गाँव के बड़े किसान का था। गधा गाँव के धोबी का और बकरी एक मजदूर की थी। सभी चरने के लिए राजगीर के जंगलों में जाया करते थे। खरगोश बड़ा चंचल था। वह कभी गाय की पीठ पर चढ़ता और पूँछ पकड़ कर उतर जाता। घोड़े की पीठ तो उसका सिंहासन था। कभी-कभी वह गधे की पीठ गुदगुदाकर उसे हँसा भी देता। और बकरी की सवारी तो सबसे आसान थी। वह छलाँग मारकर पीठ पर सवार हो जाता और झट से उतर जाता।

पाँचों के दिन बड़े मजे में गुज़र रहे थे। अचानक एक दिन जंगल में कहीं से एक मोटा-ताज़ा सियार आ गया। खरगोश के लिए अब बिल से निकलना मुश्किल हो गया। सियार हमेशा उसकी ताक में रहता।

खरगोश के न होने से चारों मित्र भी उदास रहने लगे, क्योंकि अब उन्हें छेड़ने वाला कोई न था।

सियार के भय से खरगोश का निकलना बिलकुल बंद हो गया। मौका पाकर वह बिल से निकलता और बिल के आस-पास की थोड़ी-सी घास खा लेता। जरा-सी आहट पाते ही वह फिर बिल में दुबक जाता।

एक दिन मौका पाकर वह बिल से बाहर निकला और जंगल की ओर सरपट दौड़ा। सियार कहीं घूमने गया था। जंगल में अपने चारों मित्रों को चरते देखकर उसकी बाछें खिल गईं। सबसे पहले वह गाय के पास गया और बोला, “दीदी! दीदी ! मेरे पीछे एक सियार पड़ा है। उसने मेरा जीना दूभर कर दिया है। वह हमेशा मेरी ताक में लगा रहता है। इससे मैं अपने बिल से बाहर नहीं निकल पाता। आज उससे आँख बचाकर आया हूँ। तुम अपने पैने सींग से उसका पेट फाड़ दो न।” खरगोश की बात सुनकर गाय बोली, “सो तो ठीक है, नन्हे। हमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि सियार तगड़ा और फुर्तीला है। यदि मेरा वार चूक गया तो वह मुझे नोच खाएगा। मैं ग्वाले से कह दूँगी कि वह कुत्ते को डाँट दे। तुम, घोड़े के पास क्यों नहीं जाते ?” इतना कहकर गाय चरने लगी।

थोड़ी दूर पर घोड़ा चर रहा था। वहाँ पहुँचकर खरगोश घोड़े से बोला, “दादा! दादा ! तुम्हें मेरी मदद करनी होगी। एक सियार मेरे पीछे पड़ा है। वह मुझे खा जाना चाहता है। तुम दुलत्ती मारकर सियार के दाँत तोड़ दो।” घोड़ा बोला, “दुलत्ती तो पिछले पैरों से चलानी पड़ती है। यदि वह ठीक से नहीं दिखा अथवा फुर्ती से भाग गया तो वह मेरा शत्रु बन जाएगा और कभी भी काट खाएगा।”

घोड़े की बातों से निराश होकर वह गधे के पास पहुँचा और बोला, “गधे भाई, आजकल मैं मुसीबत में हूँ। एक सियार मेरे पीछे पड़ गया है। वह मुझे खा जाना चाहता है। दुलत्ती मारकर उसके दाँत तोड़ दो न।” गधा बोला, “यह कैसे हो सकता है, सियार तगड़ा और फुर्तीला है। यदि वह मेरा वार बचा गया तो मेरी खैरियत नहीं। वह मुझे नोच खाएगा और मेरा जीना दूभर कर देगा।”

खरगोश हारकर बकरी के पास आया और बोला, “बहन, मेरे पीछे एक सियार पड़ा है। वह मुझे खा जाना चाहता है। वह मेरे बिल के पास बैठा रहता है जिससे मेरा बिल से निकलना मुश्किल हो गया है। तुम अपने नुकीले सींगों से उसका पेट फाड़ दो।” बकरी मिमियाकर बोली, “जब गाय, घोड़ा और गधा तुम्हारी सहायता न कर सके तब मैं क्या कर सकती हूँ। मैं तो सबसे छोटी और निर्बल हूँ।”

बकरी की बात सुनकर खरगोश बोला, “धत् तेरे की। मैं ही मूर्ख हूँ कि अपने मित्रों से सहायता माँगने गया। मेरे मित्र भला कहाँ- कहाँ मेरी सहायता करेंगे। मुझे अपनी टाँगों पर भरोसा करना चाहिए।”

शब्दार्थ (Word-meaning)

उदास सुस्त (indifferent, sad, dejected), बंचल चुलबुला (lively, active), सरपट दौड़ना बहुत तेज दौड़ना (galloping), आहट आवाज (sound of foot steps), प्रसिद्ध मशहूर (famous, well-known), तगड़ा मोटा-ताजा (healthy) , निर्बल कमजोर (weak)

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    Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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Deepshikha choudhary

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