Site icon Story Land

बीरबल की ईरान यात्रा

बीरबल की ईरान यात्रा (Birbal Ki Iran Yatra) एक मजेदार ओर शिक्षाप्रद कहानी है जिसे कक्षा 2, कक्षा 3, कक्षा 4 व 5 के बच्चों के लिए उपयुक्त है । यहाँ पर हर कहानी को लिखित के साथ साथ मौखिक रूप से प्रदान किया जाता है , ताकि पढ़ने मे असहज बच्चे भी कहानी का आनंद ले सकें ।

एक बार बीरबल दरबार के रत्नों में से एक अबुल फजल, दूसरा समझदार दरबारी, के साथ ईरान गये।

बीरबल ने ईरान के बाहशाह के राज्य की तुलना पूर्णमासी के चन्द्रमा के यश से की और अकबर के राज्य की तुलना नये चन्द्रमा से की अर्थात् उगता हुआ। अबुल फजल को उसकी ये तुलना पसन्द नहीं आयी। उसने सोचा कि बीरबल ने महान् अकबर के राज्य के यश का अपमान किया है।

जब वे ईरान यात्रा से लौटे तो अबुल फजल ने अकबर को बताया कि बीरबल ने वहां किस प्रकार बादशाह अकबर का अपमान किया है। यह सुनकर अकबर आग-बबूला हो गया और उसने तुरन्त बीरबल को बुलवाया और धमकी भरे शब्दों में कहा।

” अच्छा तो बीरबल यह सोचता है कि मेरा राज्य, एक छोटे चन्द्रमा की तरह है और ईरान का राज्य पूर्णमासी के चन्द्रमा की तरह है। ऐसा बीरबल किस तरह सोचता है कि मैं ईरान के बादशाह से तुच्छ हूँ ? मेरा राज्य ईरान के राज्य से पाँच गुना बड़ा और दुनियाँ में सबसे समृद्धशाली है। पुरानी कथाओं में कारून का खजाना भी बौना सिद्ध होता है। अगर उसकी तुलना मेरे खजाने से की जाये। बीरबल, क्या तुम मुझे समझा सकते हो कि तुमने ऐसी भयंकर भूल क्यों की? मुझे बड़ा धक्का लगा कि मेरे राज्य का सबसे समझदार व्यक्ति इतनी बड़ी भूल कर सकता है।”

इन सबके बावजूद बीरबल धीरे-धीरे खामोशी के साथ मुस्कुरा रहा था। यह देख कर अबुल फजल ने सोचा अब शीघ्र ही बीरबल को फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया जायेगा।

जब बादशाह अकबर चुप हुये तो बीरबल ने उत्तर देने के लिये अपना गला साफ किया और बोला, “आलमपनाह, मैंने कोई भूल नहीं की है। दो राज्यों के बीच तुलना को मैं अभी भी उचित मानता हूँ।” इतना कह कर उसने अपनी तुलना की व्याख्या की–

“पूर्णमासी का चन्द्रमा अपने उत्थान का अन्तिम चरण होता है। वह इससे ज्यादा और नहीं बढ़ सकता। वह ईरान का राज्य है जो अपनी चरम सीमा पर है, जिसे उसका सम्राट और नहीं बढ़ा सकता। जबकि नया चन्द्रमा अपने उत्थान के शुरुआती चरण में होता है।। अर्थात् वह बढ़ना प्रारम्भ होता है। इस प्रकार आपका राज्य पूर्ण रूप से प्रगति पर है। यदि ईरान का राज्य अब अपनी चरम सीमा पर है तो महाराज वह आपके राज्य, जो लगातार बढ़ रहा है, उसके सामने फीका पड़ जायेगा। अब आप ही बतायें कि इसमें आपका कहां तक मैंने अपमान किया।

जबकि बीरबल व्याख्या कर रहा था तो अकबर सोच रहा था कि उसने किस प्रकार चतुराई से व्याख्या की है। और उसने बीरबल को गले से लगा लिया।

कठिन शब्दों के अर्थ नीचे दिए गए हैं –

बीरबल की ईरान यात्रा (Birbal Ki Iran Yatra) व इसकी जैसी अन्य मजेदार कहानियों क लिए जुड़े रहिए हमसे , हम हर रोज एक नई कहानी आपके लिए लेके आतें है।  हमारी कोशिश रहती है कि हमारी कहानियाँ हर वर्ग के बच्चों व पढ़ने के शौकीन लोगों तक पहुचें।    

Author

Exit mobile version