पंचतंत्र की कहानियाँ मजेदार होने के साथ साथ शिक्षाप्रद भी है । ऐसी ही एक मजेदार कहानी दो मुँह वाला पक्षी हम आपके लिए लेके आयें है । Yahan par har kahani ka likhit evam maukhik sansakran uplabdh hai , jisse har ek bacchon ko kahani padhne evam samjhne me asani ho or kahani ka anand liya ja sake.
एक जंगल में एक सुंदर सा पक्षी रहता था,या यों कहें कि वह पक्षी अपने आप में एकदम अनोखा था, क्योंकि इसके दो मुंह थे। दो मुँह होने के बाद भी इसका पेट एक ही था, यह पक्षी यहाँ -वहाँ घूमता था कभी झील के किनारे तो कभी पेड़ों के आसपास।
एक दिन की बात है ये पक्षी एक सुंदर सी नदी के पास से गुजर रहा था कि तभी उसके एक मुँह की नजर एक मीठे फल पर पड़ी। वो वहाँ गया और फल को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने फल तोड़ा और उसे खाने लगा। फल बेहद मीठा और स्वादिष्ट था। उसने फल खाते हुए दूसरे मुँह से कहा, “यह तो बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट फल है। बिल्कुल शहद जैसा, मज़ा आ गया इसे खाकर।”
उसकी बात सुनकर दूसरे मुँह ने कहा “मुझे भी यह फल खिलाओ में भी इसे खाना चाहता हूँ।”
पहले मुहँ ने कहा “अरे तुम इसे खा कर क्या करोगे? और मैंने कहा ना कि यह एकदम शहद जैसा है और वैसे भी हमारा पेट तो एक ही है तो मैं खाऊं या तुम खाओ, क्या फर्क पड़ता है?”
दूसरे मुँह को यह सुनकर बहुत दुख हुआ। उसने सोचा यह कितना स्वार्थी( मतलबी) है उसने पहले मुँह से बात करना बंद कर दिया और मन ही मन उससे बदला लेने की ठानी।
कुछ दिनों तक दोनों में बातचीत बंद रही। फिर एक दिन जब वो कहीं घूम रहे थे तभी दूसरे मुँह की नजर भी एक फल पर पड़ी वो फल जहरीला था। उसने सोचा की बदला लेने का यह सही मौका है।
उसने कहा “मुझे यह फल खाना है।”
पहले मुँह ने कहा, “यह बहुत ही जहरीला फल है, इसे खाकर हम मर जाएंगे।”
दूसरे मुँह ने कहा “मैं इसे खा रहा हूँ तुम नहीं, तो तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए।”
पहले मुँह ने कहा “हमारे मुँह भले ही दो है, लेकिन पेट तो एक ही है अगर तुम फल खाओगे तो हम दोनों मर जाएंगे इसे मत खाओ”
लेकिन पहले मुँह ने उसकी एक ना सुनी और उसने वह जहरीला फल खा लिया।
धीरे-धीरे जहर ने अपना असर दिखाया और वह दो मुँह वाला पक्षी मर गया।
कथा सार
दो मुँह वाला पक्षी कहानी से हम लोगों को यह शिक्षा मिलती है कि स्वार्थ से बचकर एकता की शक्ति को पहचानना चाहिए। स्वार्थ हमेशा खतरनाक होता है दोस्तो मुझे उम्मीद है आज की कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी।
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