होशियार बीरबल एक मजेदार ओर शिक्षाप्रद कहानी है जिसे कक्षा 2, कक्षा 3, कक्षा 4 व 5 के बच्चों के लिए उपयुक्त है । यहाँ पर हर कहानी को लिखित के साथ साथ मौखिक रूप से प्रदान किया जाता है , ताकि पढ़ने मे असहज बच्चे भी कहानी का आनंद ले सकें ।
अकबर को पता लगा कि उसके कुछ मन्त्री बीरबल के शत्रु बन गये हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में कुछ करने का निर्णय लिया। उन्होंने सोचा कि वह उन्हें कुछ काम देगा जिससे यह सिद्ध हो सके कि बीरबल उन सबसे ज़्यादा समझदार है।
बादशाह ने अपने सभी मन्त्रियों को बुलाया और आदेश देते हुए कहा, “शहर के बाहर एक काफ़िला ठहरा हुआ है, मैं ये चाहता हूँ कि तुम सब वहाँ जाकर उसके बारे में जानकारी इकट्ठा कर मुझे बताओ।”
आदेश पाकर सब दरबारी व मन्त्री बादशाह का हुक्म बजाने निकल पड़े।
जब सब दरबारी व मन्त्री लौटकर आये तो बीरबल उनके साथ नहीं था।
अकबर ने अन्य दरबारियों से पूछा – “बताओ वहाँ कितने व्यापारी हैं?”
उनमें से एक ने उत्तर दिया, “महाराज! लगभग सत्ताईस।”
बादशाह ने अगला प्रश्न किया- “वे किन-किन वस्तुओं का व्यापार कर रहे हैं ?” “महाराज! बहुत-सी वस्तुओं का।” दूसरे ने जवाब दिया।
बादशाह ने कहा- “मैं स्पष्ट जवाब चाहता हूँ कि कौन-कौन सी वस्तुओं का व्यापार करते हैं।” उनमें से एक मन्त्री ने जवाब दिया, “तीन प्रकार की वस्तुएँ हैं महाराजा” तीसरे मन्त्री ने जवाब दिया, “वहाँ बहुत से व्यापारी हैं, कुछ अनाज व्यापारी, कुछ कपड़ा व्यापारी, एक व्यापारी चमड़ा बेचता है और कुछ तेल व्यापारी हैं। “
बादशाह ने फिर प्रश्न किया, “उनके पशुओं के बारे में तुम क्या जानते हो? क्या उनके पास कोई घोड़ा या ऊँट है?” उत्तर मिला- “उनके पास घोड़े हैं, पर हमने ऊँट नहीं देखे।” तभी बीरबल वापस लौट आया।
अकबर उसकी ओर मुड़े और बोले,“क्या तुमने काफिले के बारे में कुछ पता लगाया ?”
बीरबल ने जवाब दिया, “हां महाराज!” इतना कहकर बीरबल ने बादशाह को सूचना देनी प्रारम्भ कर दी, “कुल बाईस व्यापारी हैं। ग्यारह कपड़ा व्यापारी, सात अनाज व्यापारी, जिनमें चार आटा बेचते हैं, तीन तेल बेचते हैं और एक का चमड़े का व्यापार है। उनके पास पाँच ऊँट हैं, जिसमें एक का आगे का पैर टूटा हुआ है। उनके पास पच्चीस घोड़े भी हैं। चार काले सफेद, दस काले, तीन सफेद हैं तथा बाकी के आठ कत्थई और सफेद हैं।” इतनी जानकारी देने के पश्चात् बीरबल चुप हो गया।
बादशाह अकबर ने पूछा, “जानकारी पूरी हो चुकी या कुछ और भी बचा है?”
बीरबल बोला, “महाराज! व्यापारियों ने आपके लिये सन्देश भेजा है कि वे यहां दस दिन ठहरेंगे, उसके पश्चात् वे चले जाएंगे।
अकबर बीरबल से बहुत प्रसन्न हुए। वे मन्त्रियों की तरफ मुड़े और बोले, “अब तुम जान गये होंगे कि मैं बीरबल पर इतना निर्भर क्यों रहता हूँ ?”
इस प्रकार बीरबल स्वयं को एक बार फिर अन्य दरबारियों से श्रेष्ठ सिद्ध कर चुका था।
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