वफादार नेवला एवं अन्य कहानियाँ प्राइमेरी कक्षा 1,2,3,4,5 को ध्यान मे रख कर बनाई गई हैं ये कहानियाँ बच्चों के मानसिक विकास और बहस की समझ को बढ़ाने मे सहायक हैं ।
एक किसान था। वह एक गांव से बाहर अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनका एक छोटा सा पुत्र था, जिसे वें बहुत प्यार करते थे। एक दिन जब किसान काम से वापिस लौटा तो अपने साथ एक छोटा सा नेवला भी ले आया। उसने अपनी पत्नी से कहा, यह छोटा सा नेवला बड़ा होगा और अपना पुत्र इससे खेला करेगा।
बच्चा और नेवला दोनों बड़े होने लगे। नेवला पांच छः महीने में ही पूरा नेवला बन गया, परन्तु किसान का बेटा तो अभी भी छोटा सा बच्चा था। नेवला बहुत सुन्दर था, उसकी चमकदार काली आंखे थी और फर वाली पूंछ थी।
एक दिन किसान की पत्नी ने बाजार जाना था, उसने अपने बेटे को दूध पिलाया और उसे पालने में सुला दिया उसने अपनी टोकरी उठाई और जाने लगी। जाने से पहले वह अपने पति के पास गई और कहने लगी। मैं बाजार जा रही हूं। बच्चा सोया हुआ है। आप नजर रखना। मुझे नेवले के रहते बच्चा इस प्रकार अकेला छोड़ कर जाना अच्छा नहीं लगता।
किसान बोला, तुम यूं ही न डरा करो। यह नेवला तो बहुत अच्छा है। वह तो हमारे बेटे को अपने बच्चे जितना ही प्यारा है। किसान की पत्नी बाजार चली गई। किसान कोई काम तो कर नहीं रहा था। वह यूं ही घूमने फिरने निकल गया। रास्ते में उसे उसके कुछ दोस्त मिल गए। उनसे बातें करते रहने के कारण वह जल्दी घर नहीं आया।
किसान की पत्नी चीजों से भरी टोकरी लेकर घर पहुंची। नेवला घर के बाहर बैठा हुआ था। जैसे की उसकी ही प्रतीक्षा कर रहा हो। ज्यों ही उसने किसान की पत्नी को देखा वह उसे मिलने के लिए भागा। किसान की पत्नी ने ज्यों ही उसे निकट से देखा वह चिल्ला पड़ी। खून।
यह सच था कि नेवले का मुँह और पंजे खून से लथपथ थे। वह क्रोध से कांपने लगी, तूने मेरे बेटे को मार दिया? पूरे जोर से उसने अपनी भारी टोकरी नेवले की ओर फेंक दी। फिर वह पालने की ओर भागी। उसने देखा कि बच्चा अभी भी गहरी नींद से सो रहा था। फर्श पर एक काला सांप मरा पड़ा था। उसका शरीर जख्मी और खून निकला हुआ था ।
अब किसान की पत्नी को समझ आई कि क्या हुआ था। वह बाहर की ओर भागी ॥ वह नेवले को आवाजे दे रही थी।
वह रोने लगी, तुमने सांप को मार दिया। मेरे बेटे को बचा लिया।
परन्तु नेवला अचेत अवस्था में पड़ा था। वह कोई आवाज नहीं सुन रहा था। टोकरी उसके सिर पर लगी थी।
किसान की पत्नी बहुत दुखी हुई। उसने जल्दबाजी में अनर्थ कर दिया था। अपनी आँखों में आंसू भर कर वह झुकी और नेवले को देखने लगी। उसे बहुत दुख हुआ। नेवला तो मरा पड़ा था।
बच्चों इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे कभी भी कोई कार्य जलबाज़ी मे बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए ।
इस कहानी मे आने वाले कुछ कठिन शब्द हैं :- 1. अचेत अवस्था- मरा हुआ