बहुत पहले गंगा के तट पर एक आश्रम था । वहां अनेक ऋषि-मुनि रहते थे। उनके गुरु बड़े ही विद्वान और सिद्ध पुरुष थे वे अपनी जादुई ताकत से कई तरह के आश्चर्यजनक काम कर सकते थे ।
एक दिन वे रोज की तरह बैठकर प्रार्थना कर रहे थे। अचानक आकाश में उड़ते हुए एक बाज के पंजों से छूटकर एक चुहिया हाथों में आ गिरी । वह भूरे रंग की चुहिया थी— लम्बी, लहरदार पूंछ और चमकीली आंखोंवाली भूरी चुहिया । तपस्वी को चुहिया बड़ी अच्छी लगी उन्होंने अपने मंत्रबल से चुहिया को एक सुन्दर कन्या बना दिया ।
वे उस कन्या को घर ले गये और अपनी पत्नी को सौंपकर बोले,
“तुम हमेशा एक बच्चे की इच्छा करती आयी हो, लो यह हमारी, बेटी है । इसे प्यार और जतन से पालो ।”
लड़की पाकर तपस्वी की पत्नी बहुत प्रसन्न हुई । उसने कहा, “मैं इस कन्या को राजकुमारियों की तरह पालूंगी ।”
कई वर्ष बाद बच्ची बढ़कर लड़की बन गयी । वह संसार की सबसे सुन्दर लड़की थी। तपस्वी और उसकी पत्नी ने सोचा कि अब लड़की का ब्याह कर देना चाहिए ।
सूर्य के संग शादी !
“हमारी बेटी का ब्याह संसार के सबसे बड़े आदमी से होना चाहिए, ” तपस्वी ने कहा, “मेरे विचार से सूर्य इसके लिए सबसे अच्छा रहेगा।”
उसकी पत्नी को भी यह बात ठीक जंची।
तपस्वी ने अपनी सिद्ध शक्ति से सूर्य का आवाहन किया । सूर्य फौरन धरती पर उतर आया ।
“हे तपस्वी,” सूर्य ने कहा, “आपने मुझे क्यों बुलाया ?”
तपस्वी ने कहा, “मैं तुमसे अपनी बेटी का विवाह करना चाहता हूँ । मेरी बेटी बहुत सुन्दर है और तुम्हारी वधू बनने के योग्य है।”
उस समय मूषक कन्या तपस्वी के पास ही खड़ी थी। वह, सूर्य के उत्तर देने से पहले ही, नाक सिकोड़ कर बोली, “में इसे अपना पति नहीं बना सकती। इसका शरीर कितना गरम है। मुझे इससे अच्छा पति चाहिए ।”
यह सुनकर तपस्वी मन ही मन दुःखी हो गये। उन्होंने सूर्य से पूचा, “क्या इस संसार में कोई आपसे भी बड़ा है ?”
“हां है,” सूर्य ने कहा-
बादल के संग शादी !
“मुझसे बड़ा बादल है। जब वह मेरे चेहरे को ढक लेता है तो मेरा चमकना ही बन्द हो जाता है।”
तब तपस्वी ने बादल को पुकारा। तपस्वी की पुकार सुनते ही बाइल फोरन नीचे उतर आया ।
“हे तपस्वी, मुझे आपने क्यों लाया ?” बादल ने आते ही पूछा। लेकिन इससे पहले कि तपस्वी बादल से कुछ कहता, मूषक कन्या बीच ही में बोल पड़ी।
“नहीं, नहीं” उसने कहा, “मैं इस धुंधले, काले, भयावने बादल से शादी नहीं करूंगी। मुझे इससे कहीं अच्छा पति चाहिए।”
तपस्वी ने बादल से पूछा, “क्या इस संसार में आपसे भी बड़ा कोई है ?”
पवन के संग शादी !
“हां है.” बादल ने कहा, “मुझसे पड़ा और ताकतवर पवन है। वह जहां चाहे, जब चाहे मुझे खदेड़ कर भगा सकता है और में उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता ।”
तब उस सिद्ध तपस्वी ने पवन को बुलाया। उसके बुलाने पर पवन फौरन नीचे उतर आया ।
” हे तपस्वी,” पवन ने “आपने मुझे क्यों बुलाया ?” कहा,
“मैं तुमसे अपनी बेटी का विवाह करना चाहता हूं,” तपस्त्री ने कहा ।
लेकिन मूषक कन्या जोर से चिल्ला कर बोली, “नहीं नहीं, इस भगोड़े से शादी नहीं करूंगी। यह तो पलभर को भी शान्त नहीं बैठ सकता ।”
तपस्वी ने पवन से पूछा, “क्या इस संसार में आपसे भी बड़ा कोई है ?”
पर्वत के संग शादी !
“हां है,” पवन ने कहा, “मुझसे बड़ा पर्वत है। वह इतना ऊंचा और ताकतवर है कि मैं न तो उसे हिला सकता हूं और न उसके ऊपर से गुजर सकता हूँ ।”
तव तपस्वी ने पर्वत को बुलाया। पर्वत फौरन दौड़ा आया ।
“हे तपस्वी, आपने मुझे क्यों बुलाया ?” पर्वत ने पूछा ।
लेकिन पर्वत को देखते ही मूषक कन्या उचक कर आगे आयी और पैर पटक कर कहने लगी, “नहीं, पिताजी नहीं, यह कितना लम्बा, कितना रुखा और कड़ा है। मैं इसके साथ शादी नहीं करूंगी। मुझे इससे अच्छा और बहुत अच्छा पति चाहिए।”
तपस्वी ने पर्वत से पूछा, “इस संसार में आपसे भी बड़ा कोई है ?
मूषक कन्या की चूहे के संग शादी !
“हां है,” पर्वत ने कहा, “मुझसे बड़ा चूहा है। यह सच है कि में बहुत बड़ा, मजबूत और सख्त हूँ। लेकिन चूहा छोटा होने पर भी मुझे खोद कर बिल बना डालता है।”
तब तपस्वी ने चूहे को पुकारा । चूहा फोरन फुदकता हुआ भागा चाया भूपक कन्या ने जैसे ही चूहे को देखा वह खुशी से उछलने लगी।
“पिताजी ” उसने कहा, “जिसे मैं चाहती हूं, वह यही है। में प्यार करूगी तो इसी को शादी करूगी तो इसी से “
तपस्वी ने कुछ देर विचार करने के बाद अपने मंत्रवल से उस लड़की को फिर चुहिया बना दिया और चूहे के साथ उसकी शादी कर दी।
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