Hindi Sahitya me Khaniyon ka Bada mehhatav hai , hindi kahaniyaan bachhon ke mansik vikas ke liye ek unnat or jacha parkha madhyam hai,Yahan Par hmare dwara KahaniVala ki ek kahani काठ की डाट (पार्ट-2) (kanth ki dant 2) prastut ki gayi hai jo prathmik istar ke bachhon ke liye upyukt hai . Yahan par har kahani ka likhit evam maukhik sansakran uplabdh hai , jisse har ek bacchon ko kahani padhne evam samjhne me asani ho or kahani ka anand liya ja sake.
पिछले भाग मे आने पढ़ा था के कैसे एक छोटा सियार शेर को मारकर जंगल का राजा बन जाता है।
अब सब जंगल के जानवर शेर को मरने के बाद सियार से डरने लगे थे । वह अब शेरनी के साथ ही उसकी गुफा मे रहने लगता है। वह शेरनी पर भी अच्छे से हुक्म चलता था।
शेरनी रोज शिकार करती और उस शिकार में से सबसे अच्छा हिस्सा सियार खाता था।
यह सब चलते हुए कुछ वर्ष बीत जाते हैं । शेरनी का बच्चा भी बड़ा हो गए थे वो भी शेरनी से रोज पूछा करता था, कि माँ यह कौन है जो हमारे भोजन को सबसे पहले खाता है, हम पर अपना हुक्म चलता है, और खाने का सबसे अच्छा हिस्सा भी इसे ही खाने को मिलता है। शेरनी अपने बच्चों से कुछ ना बताती थी।
सियार अबतक आलसी हो चुका था और आलसी होने के कारण वह मोटा भी हो गया था ।
इधर शेरनी का बच्चा भी अब जवान हो चुका था , वो अक्सर शेरनी से सियार को लेकर झगड़ा करने लगा था।
एक दिन शेरनी ने अपने बेटे से सच बताने की सोचती है। वो अपने बेटे को जंगल के उसी हिस्से मे ले कर जाती है, जहां पर सियार ने उसके पिता को मारा था।
अब वह काठ की डाट को देख कर सब समझ जाता है। वो दोनों मिलकर सियार से बदला लेने की एक योजना बनाते है।
अगले ही दिन से वो लोग सियार को खाना देना बंद कर देते हैं। सियार गुस्से से शेरनी से बोलत है “क्या तुम्हें अपने प्राणों की चिंता नहीं है जो आज जंगल के राजा को खाना नहीं दिया गया ”
शेरनी बोलती है “महाराज आपकी प्रजा , और मेरे बेटे को यह लगता है कि अब आप राजा बने रहने के काबिल नहीं हो।”
सियार गुस्से से कहता है “ तुम्हारे बेटे की यह हिम्मत उनसे मुझे ललकार , जंगल के सब जानवरों से कह देना के जिसे चुनौती देनी है कल मुझसे जंगल के पश्चिमी हिस्से मे मिले”
शेरनी सियार की बात सुनकर हाँ मे सिर हिलाती है। अब शेरनी को भी समझ आ चुका था, के सियार वही काम दोबारा करना चाहता था जो उसने शेर के साथ किया था ।
क्योंकि वह काठ की डाट भी जंगल के पश्चिमी हिस्से मे थी।
अगले दिन शेरनी व उसका बच्चा भी अपनी योजना के साथ तैयार थे।
इधर अगले दिन सियार भी अपनी पुरानी जगह पहुँच चुका था, वह शेरनी के बच्चे को लड़ने के लिए ललकारता है। ललकार सुनते ही शेरनी का बच्चा सियार की तरफ दौड़ लगाता है , सियार पहले की तरह उस काठ की डाट यानि कोटर की तरफ दौड़ लगता है, पर यह क्या अधिक खाने के कारण अब वह मोटा हो चुका था । जिस कारण वह उस कोटर के बीच मे से निकाल नहीं पाता है और वही फंस जाता है। इस तरह सियार अपने ही बनाए हुए जाल मे फंस जाता है ।
शेरनी का बच्चा वही उसका काम तमाम कर देता है। इस तरह से वापस नंदनवन में एक शेर फिर से राजा बन जाता है।
कथा सार
काठ की डाट कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि अन्याय से लिया हुए पद पर हम कुछ समय के लिए तो रह सकते हैं पर उस पद को उसके सच्चे हकदार से हम ज्यादा समय के लिए नहीं छीन सकते ।
काठ किसे कहते है?
काठ की डाट किसे कहते है ?
काठ की डाट जंगल के किस हिस्से में थी ?
जंगल का असली राजा कौन था?
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