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विकट कवि तेनाली रमन

By Deepshikha choudhary

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A vibrant illustration depicting the legendary folk character "Tenali Raman" from Indian folklore, known for his wit and clever anecdotes.
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तेनाली कैसे बने तेनाली ?

सोलहवीं शताब्दी में आन्ध्र के तेनाली शहर में एक गरीब परिवार में एक बालक का जन्म हुआ। माता-पिता ने उसका नामकरण “रामलिंग” किया । दुर्भाग्य से बालक के पिता का अचानक देहांत हो गया। वह अपने मामा के घर पलने लगा ।

बालक रामलिंग बचपन से ही बड़ा नटखट था। खेल-कूद में अपना सारा वक्त बरबाद करता था, पर मज़ाक उड़ाने और लतीफे सुनाने में वह बड़ा चतुर था। मामा ने उसको गाँव की पाठशाला में भर्ती किया, लेकिन पढ़ाई में बालक का मन नहीं लगता था। वह आवारागर्दी किया करता था।

A vibrant illustration depicting the legendary folk character "Tenali Raman" from Indian folklore, known for his wit and clever anecdotes.

एक बार उस गाँव में एक साधू आया। रामलिंग साधू के पास आने-जाने लगा। साधू ने रामलिंग को काली देवी की उपासना के कुछ मंत्र सिखाये । एकदिन रामलिंग अपने गाँव के काली मंदिर में गया। लाख बार उसने उस मंत्र का पाठ किया। काली देवी प्रत्यक्ष हुईं। उनके एक हजार सिर थे, गले में मुंडमाला धारण किये हुए थी। उनके हाथ में एक खड्ग था। खड्ग से खून बह रहा था। देवी की आँखें एकदम लाल थीं। अगर कोई देवी के इस भयंकर रूप को देखता तो भय के मारे वहीं जान तोड़ देता, लेकिन रामलिंग ने देवी की ओर ध्यान से देखा और अट्टहास किया।

देवी ने विस्मय में आकर पूछा- “हे दुष्ट बालक ! तुमने मेरी प्रार्थना कर मुझे बुलाया और अब मुझ पर ही हंसता है ?”

रामलिंग ने अपनी हंसी पर काबू रख कर जवाब दिया- “महादेवीजी ! एक बार मुझे जुकाम हो गया। मेरी नाक बहने लगी। मैं अपने दोनों हाथों से नाक साफ करने में असमर्थ रहा। मुझे आश्चर्य होता है, आपके तो एक हजार नाक हैं, पर हाथ दो ही हैं। अगर आपको जुकाम ‘हो गया और आपकी सहस्त्र नाकेँ बहने लग जाएँगी तो आप इन दो हाथों से कैसे साफ कर सकती हैं? यही सोच कर मुझे हंसी आ गई।”

तेनाली रमन को माता का आशीर्वाद में क्या मिला ?

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महाकाली बालक रामलिंग पर नाराज नहीं हुई, बल्कि आश्चर्य में आ गई। आज तक किसी ने महाकाली के सामने कुछ बोलने का साहस नहीं किया था, इसलिए देवी ने रामलिंग पर प्रसन्न होकर उसको आशीर्वाद देना चाहा, क्योंकि बालक ने देवी की उपासना करते समय लाख बार मंत्र पाठ किया था, भक्ति से प्रेरित होकर ही उसने देवी का परिहास किया था। इस पर महाकाली हँस पड़ी। फिर अपने खड्ग के छोर से बालक के सिर को छुआ कर कहा – “तुम विकट कवि बन जाओगे । याने तुम “हास्य कवि” बनोगे ।”

देवी के वरदान से प्रसन्न होकर रामलिंग पुनः हंस पड़ा और बोला- “माते ! महाप्रसाद !” वि-क-ट-क-वि” को किसी भी ओर से पढ़ें, वही शब्द और वही अर्थ निकलता है। मैं धन्य हो गया ।”

रामलिंग का चमत्कार पूर्ण उत्तर सुनकर कालीदेवी और अधिक प्रसन्न हुई। उसको वरदान देने के विचार से दायें हाथ में स्वर्ण पात्र में दूध और – बायें हाथ में रजत पात्र में दही भरकर देवी ने कहा- -“बालक। दही पिओगे तो धन प्राप्त होगा, दूध का सेवन करोगे तो तुम्हें विद्या प्राप्त होगी। तुम इन दोनों में अपनी इच्छा से किसी एक को चुन सकते हो ।”

रामलिंग ने पूछा- “माते ! धन-संपत्ति दही के रूप में खट्टा क्यों है ?”

“धन संपत्ति सभी संदर्भों में मधुर नहीं होती, कभी-कभी वह दुख का कारण भी बन जाती है, इसलिए वह खट्टा है।”

रामलिंग अपनी इच्छा का चुनाव करने से पूर्व थोड़ा दही चखकर देखना चाहता था, तभी जाकर वह निर्णय कर सकता था कि से प्राप्त विद्या कितनी मधुर हो सकती है। उसने देवी से प्रार्थना की- “हे माते ! दोनों पात्र दूध मेरे हाथ में दीजिए। मैं उन्हें देखकर अपना निर्णय कर लूँगा ।”

देवी ने बालक पर विश्वास करके दोनों पात्र उसके हाथ में घर दिये।

बालक मन ही मन गुनगुनाने लगा- “दूध का सेवन करने से ज्ञान या विद्या प्राप्त होती है। दही के सेवन से धन या संपत्ति ।” यह कहते उसने दूध को दही वाले पात्र में डाल दिया और उसे वह गटागट पी गया।

कालीदेवी ने बालक की यह करनी देख चिल्ला कर कहा- “अरे मूर्ख, तुम दही और दूध दोनों पी गये ? तुमने मुझे धोखा दिया। इसलिए तुम “विकट कवि” याने हास्य कवि ही बने रह जाओगे। यश पाओगे, लेकिन जहाँ तुम्हारे कई मित्र बनेंगे, वहां कई शत्रु भी निकलेंगे। यह याद रखो, तुम कभी धनवान नहीं बन सकोगे ।”

कालीदेवी का शाप सच निकला। रामलिंग ने सम्राट कृष्णदेव राय के दरबार में काफी यश प्राप्त किया, उसकी ईमानदारी के कारण कई उसके शत्रु भी निकले।

यही बालक बड़े होने पर वैष्णव धर्म में दीक्षित हुआ और “रामलिंग” से “राम कृष्ण” कहलाया। रामकृष्ण तेनाली का निवासी था। इसलिए “तेनाली राम” नाम से लोकप्रिय हुआ। आज दक्षिण में ही नहीं, सारे भारत में बीरबल और गोपाल भांडे की कहानियों की भांति तेनाली राम की कहानियाँ लोकप्रिय होती जा रही हैं।

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  • THE VOICE THAT YOU HEARD IN THE STORIES, IS OF DEEPSHIKHA.EVERY STORY IS INCOMPLETE WITHOUT A PROPER NARRATION.

    Deepshikha Randhawa is a skilled Storyteller, editor, and educator. With a passion for storytelling, she possess a craft of captivating tales that educate and entertain. As trained basic education teachers, her narratives resonate deeply. Meticulous editing ensures a polished reading experience. Leveraging teaching expertise, she simplify complex concepts and engage learners effectively. This fusion of education and creativity sets her apart. Always seeking fresh opportunities. Collaborate with this masterful storyteller, editor, and educator to add a touch of magic to your project. Let her words leave a lasting impression, inspiring and captivating your audience.

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Deepshikha choudhary

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