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फूफू बाबा

– गिजुभाई बधेका

एक ब्राह्मण था। उसका एक लड़का था। एक दिन बाप-बेटा पडोस के गांव जाने के लिए निकले। चलते-चलते रास्ता क्या भूले कि घने जंगल में पहुंच गए। उस जंगल में एक चुड़ैल रहती थी।

दोनों को जोर की भूख लगी थी। वो चुड़ैल के घर पहुंचे। चुडैल घर में ही बैठी थी। उसे देख कर बाप–बेटा दोनों घर के कोने में पड़े कुठले में छिप गए। दोपहर होने पर चुड़ैल कहीं बाहर गई और दूध की हंडी ले कर लौटी । फ़िर उसने खीर बनाई। खीर गरम थी। उसने उसे ठंडा करने के लिए एक ओर रख दिया।

बेटे को कड़ाके की भूख लगी थी। खीर देख कर उसके मुंह में पानी आ गया। खाने के लिए वह उतावला होने लगा। वह पिता से बोला, ‘बापू अब तो मुझसे रहा नहीं जाता। मैं बाहर निकल कर खीर खाऊंगा। चाहे चुड़ैल मुझे ही क्यों न खा जाए। पिता ने कहा, ‘अच्छी बात है। धीरे से बाहर निकलना। चुड़ैल की बाएं और बैठ कर खीर खाना । उसकी बाई आंख नकली है। इसलिए वह तुझे देख नहीं पाएगी। बेटा धीरे से बाहर निकला। जैसे ही उसने खीर के बरतन में हाथ डाला, गरम-गरम खीर से उसका हाथ जल गया। वह फूक-फूंक कर हाथ को सहलाने लगा। फूफू आवाज उठने लगी। चुड़ैल ने पहले कभी ऐसी आवाज नहीं सुनी थी। वह एकदम डर गई। उसने सोचा, मेरे घर में यह कौन घुस गया? सचमुच यह कोई फूफू बाबा है। शायद बहुत बड़ा जादूगर हो! वह फ़ोरन भागी। रास्ते में उसे एक सियार मिला। सियार ने पूछा, ‘अरी ओ भूत की बहन!

यों तीर की तरह कहां जा रही हो?’ वह बोली, “अब क्या बताऊं? मेरे घर में फूफू बाबा घुसा है। इतनी बढ़िया खीर बनाई थी मैंने, लेकिन नसीब में हो तब न सियार बोला, ‘डरो मत। आओ, मैं तुम्हारे साथ चलता हूं। भला चुड़ैल के घर में घुसने की हिम्मत कोन कर सकता है तुमसे तो सारा जमाना डरता है।

चुड़ैल और सियार दोनों घर पहुंचे।.

सियार ने चारों तरफ देखा, तो कहीं कोई भी नजर नहीं आया। हां, कुठले मैं से फूफू की आवाज जरूर उठ रही थी । बेटा अभी भी अपने जले हुए हाथ पर फूंक मार रहा था। सियार बोला, ‘हूं:..कोई है जरूर। चिंता की बात नहीं। कुठले में झांक कर अभी बताता हूं

सियार आगे बढ़ कर कुठले पर चढ़ा और अंदर उतरने लगा । जैसे ही सियार की पूंछ करीब आई अंदर दुबके बेठे ब्राह्मण ने उसे पकड़ कर मरोड़ दिया। सियार चीखने-चिल्लाने लगा, “बाप रे बाप! कुठले में तो कोई मरोड़ी लाल बैठा है! भागो, भागो। यह तो तुम्हारे रे फूफू बाबा का भी बाप मालूम होता है। लेकिन सियार भागता कैसे? उसकी पूंछ तो ब्राह्मण  के हाथ में थी । उसे छुड़ाने के लिए सियार ने ऐसा जोर लगाया कि पूंछ ही टूट गई। वह और चुड़ैल, दोनों अपनी जान बचा कर भाग खड़े हुए।

बाद में ब्राह्मण और उसका बेटा कुठले में से बाहर निकले और खीर खाने के बाद इत्मीनान से अपने घर पहुंच गए ।

कहानी की सीख

तो बच्चों फूफू बाबा कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे कैसी भी विपरीत परिस्थितियों में विचलित नहीं होना चाहिए, सद्बुद्धि के प्रयोग से हम बड़ी से बड़ी परेशानी से भी निकल सकतें हैं

इस कहानी में आये हुए कुछ कठिन शब्द

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